रायपुर:छत्तीसगढ़ में पीढ़ी दर पीढ़ी एक ऐसी मान्यता चली आ रही है. जिसका पालन तो किया जाता है लेकिन ज्यादातर लोगों को उसकी वजह की जानकारी नहीं है. ये मान्यता है जेठ (जेष्ठ )माह में नव विवाहित महिलाओं को मायके नहीं भेजे जाने की. इस परंपरा के पीछे एक तरफ धर्म का आधार है तो दूसरी तरफ वैज्ञानिक पहलू भी है.(Recognition for month of Jeth for newlyweds )
ज्योतिशाचार्य प्रफुल्ल दुबे के अनुसार " जेष्ठ महीना में सूर्य उच्च राशि में 90 दिन में आता है. इस दौरान सूर्य प्रचण्ड रूप में होता है. सूर्य अग्नि तत्व है, और जेठ का नक्षत्र जल तत्व है. विवाह होने के बाद कन्या दूसरे गोत्र की हो जाती है. अग्नि और जल तत्व के मिलन से भाप पैदा होती है. अग्नि से भी ज्यादा जलन भाप के जलन से होती है. इसलिए कन्या यदि जेठ माह में मायके जाए तो ना वो जल तत्व की होगी ना ही अग्नि तत्व की होगी. वह भाप बनकर हवा तत्व में रह जाएगी. उस महिला का गर्भ जल तत्व में रहता है. ऐसी स्तिथि में जल तत्व में भाप तत्व में रहे तो वह गर्भ के लिए हानिकारक है. इसलिए छत्तीसगढ़ में यह मान्यता है की जेठ महीने में नवविवाहित महिलाओं को मायके नहीं भेजा जाता." (Significance of Jeth month in Chhattisgarh)
ज्येष्ठ नक्षत्र में बड़े बेटे और बेटी का भी नहीं होता विवाह:ज्योतिष प्रफुल्ल दुबे ने बताया कि " ज्येष्ठ (जेठ) माह में घर के बड़े लड़की या बड़ी लड़के का विवाह भी नहीं किया जाता है. ज्योतिष शास्त्र के अनुसार ज्येष्ठ वर, ज्येष्ठ कन्या और ज्येष्ठ माह हो तो उस समय विवाह नहीं किया जाता. हमारे हिंदू धर्म में विवाह संस्कार धार्मिक संस्कार माना जाता है. अगर मन, वचन और कर्म से विवाह की विधा होती है उसमें जल और अग्नि तत्व का मिलन होगा. ऐसे में भाप बनेगी. जो एक वायु तत्व है, वायु चारों तरफ हैं ऐसे में यह कहा जाता है कि ज्येष्ठ वर और ज्येषण वधु का विवाह किया जाए तो एक दूसरे की बात कोई नहीं सुनेगा.. ज्येष्ठ माह में ज्येष्ठ वर और ज्येष्ठ कन्या होना यानी तीन ज्येष्ठ का एक साथ होना वर्जित माना गया है." (which month newlyweds do not go maternal home in Chhattisgarh)