रायपुर: छत्तीसगढ़ में प्रदेश के किसान अलग अलग तरीके से धान की फसल की बुवाई करते हैं अधिकांश किसान रोपाई विधि सीधी बुवाई और लेही विधि से बुवाई करते हैं वर्तमान समय में बदली और 80 प्रतिशत से अधिक आद्रता के कारण कई तरह की धान की फसलों में कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है कीट का प्रकोप प्रमुख रूप से ब्लास्ट रोग बैक्टीरियल लीफ लाइट शीत ब्लाइट और तना छेदक जैसी बीमारियां धान की फसल में देखने को मिल रही है सही समय पर धान की बुवाई होने वाले फसलों पर कीट का प्रकोप अपेक्षाकृत कम देखने को मिल रहा है लेकिन कुछ जगहों पर किसानों के द्वारा देरी से धान की बुवाई की गई है उन जगहों पर कीट का प्रकोप ज्यादा दिखाई दे रहा है.Insect outbreak in paddy crop due to humidity
80 प्रतिशत आर्द्रता होने के कारण धान में कीट का प्रकोप:इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के कृषि वैज्ञानिक गजेंद्र चंद्राकर (Agricultural scientist Gajendra Chandrakar) ने बताया कि "मध्यम अवधि वाली धान की किस्में जैसे बमलेश्वरी, समलेश्वरी, महेश्वरी और स्वर्णा जैसी धान की किस्मों में बालियों आने में अभी थोड़ा समय है. प्रदेश में धान की फसल में कीट का प्रकोप बदली के साथ ही 80 प्रतिशत आद्रता होने के कारण कीट का प्रकोप देखने को मिल रहा है. जिसमें ब्लास्ट रोग, बैक्टीरियल लीफ लाइट और कहीं कहीं पर शीत ब्लाइट की समस्या देखने को मिल रही है. इसके साथ ही धान की फसल में कीड़े लगने की भी समस्या सामने आ रही है. जिसमें प्रमुख रूप से तना छेदक और लिव फोल्डर है. किसानों समय पर खेतों में फसल की बुवाई करते हैं तो उन क्षेत्रों में कीट व्याधि का प्रकोप कम देखने को मिलता है. "