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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से बातचीत की पहल कितनी होगी सार्थक?

Talks with Naxalites in Chhattisgarh: छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से बातचीत की पहल शुरू हो गई है. सीएम भूपेश ने कहा कि बस्तर क्षेत्र में नक्सली घटनाएं कम हो रही है. यदि नक्सली भारत के संविधान पर विश्वास रखते हैं तो सरकार किसी भी प्लेटफार्म पर उनसे बातचीत करने के लिए तैयार है.

Initiation of talks with Naxalites in Chhattisgarh
छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से बातचीत की पहल

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Published : Apr 9, 2022, 9:52 PM IST

Updated : Apr 9, 2022, 11:04 PM IST

रायपुर:छत्तीसगढ़ विधानसभा चुनाव 2018 के लिए कांग्रेस के जन घोषणा पत्र में 22 वे नंबर पर कांग्रेस ने वादा किया था, कि नक्सल समस्या के समाधान के लिए नीति तैयार की जाएगी. नक्सलियों से वार्ता शुरू करने के लिए कांग्रेस सरकार गम्भीरतापूर्वक प्रयास करेगी. नक्सलियों से बातचीत को लेकर मुख्यमंत्री भूपेश बघेल का दिया बयान उनके जन-जन घोषणा पत्र से जोड़ कर देखा जा रहा है. (Bhupesh Baghel invites Naxalites to talk )

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छत्तीसगढ़ में नक्सलियों से बातचीत की पहल

छत्तीसगढ़ भाजपा का सीएम बघेल पर वार:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बयान पर छत्तीसगढ़ भाजपा ने पलटवार किया है. भाजपा से लोकसभा सांसद सुनील सोनी का कहना है कि ''आप नक्सलियों से बातचीत करिए. आप क्या कदम उठाना चाहते हैं, उनसे चर्चा करिए. इसमें श्रेय लेने और बयानबाजी की जरूरत नहीं है. यह गंभीर समस्या है. इसके समाधान के लिए क्या रणनीति होना चाहिए, उसके लिए ही आप मुख्यमंत्री बने हैं. फिर उसे बताने की क्या जरूरत है?''

नक्सलियों से किसी भी प्लेटफॉर्म पर बात करने को हम तैयार: सीएम भूपेश बघेल

क्या कहते हैं नक्सल एक्सपर्ट: नक्सल एक्सपर्ट शुभ्रांशु चौधरी (Naxalite expert Shubhranshu Choudhary)का कहना है कि यह अच्छा मौका है. नक्सलियों को भी सोचना चाहिए. यह आदिवासी आंदोलन पहले की तरह कोई लैंड राइट आंदोलन जैसा नहीं है. यह मौका है जब आदिवासियों को सरकार के साथ बातचीत करना चाहिए. उन्हें पांचवी अनुसूची या फिर अन्य संवैधानिक अधिकारी पर चर्चा करनी चाहिए, जिन्हें पूरा नहीं किया गया है. इस मौके का उपयोग कर आदिवासियों के अधिकारों को हासिल करना चाहिए.

बातचीत से समाधान संभव:वरिष्ठ पत्रकार रामअवतार तिवारी (Senior Journalist Ramavatar Tiwari) कहते हैं कि किसी भी समस्या का समाधान बातचीत के जरिए ही निकाला जा सकता है. हिंसा से किसी भी समस्या का समाधान नहीं होता है. नक्सल प्रभावित प्रभावित क्षेत्रों का विकास रूका हुआ है. आदिवासी विकास से वंचित हैं. बातचीत के जरिए समस्या के समाधान का यह अच्छा मौका है. लोकतांत्रिक तरीके पर विश्वास रखते हुए नक्सलियों को बातचीत के लिए आगे आना होगा तभी एक सार्थक चर्चा हो सकेगी.

Last Updated : Apr 9, 2022, 11:04 PM IST

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