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वास्तु शास्त्र में तुलसी का क्या है महत्व जानिए ! - तुलसी पूजा

वास्तु शास्त्र में तुलसी माता की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. वास्तुशास्त्र में इसकी उपयोगिता और महत्व (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra) पादप जगत में सबसे ज्यादा है. तुलसी के पौधों में जल डालने से विनम्रता एकाग्रता सहनशीलता के गुण विकसित होते हैं. पारिवारिक क्लेश या पति-पत्नि के बीच कड़वाहट दूर करती है तुलसी. जानने का प्रयास करते हैं कि तुलसी के पौधे को किन-किन दिशाओं में लगाया जाना चाहिए.

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वास्तु शास्त्र में तुलसी का महत्व

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Published : Jul 17, 2022, 9:38 PM IST

रायपुर: वास्तु शास्त्र में तुलसी माता की बहुत महत्वपूर्ण भूमिका है. वास्तुशास्त्र में इसकी उपयोगिता और महत्व पादप जगत में सबसे ज्यादा है. सर्वप्रथम हम यह जानने का प्रयास करते हैं कि तुलसी के पौधे को किन-किन दिशाओं में लगाया जाना चाहिए.

वास्तु शास्त्र में तुलसी का महत्व

तुलसी के पौधे रखने के लिए कौन सी दिशा है सर्वोत्तम: तुलसी के लिए ईशान कोण यानी उत्तर पूर्व का कोना सर्वोत्तम माना गया है. इसके अलावा पूर्व की दिशा और उत्तर दिशा में भी तुलसी के पौधे को स्थापित कर सकते हैं. यह पौधा संपूर्ण वास्तु क्षेत्र के ऊर्जा को बढ़ाकर (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra) रखता है. तुलसी के पौधों से टकराकर हवा अनेक सुगंधित प्राणवायु वातावरण में फैलाती है. इसलिए जिन घरों में तुलसी अधिक होती है, वहां के लोगों का स्वास्थ्य अन्य लोगों की तुलना में बहुत अच्छा रहता है.

पहले ब्रह्स्थान में तुलसी चौरा को दिया जाता था महत्व:ज्योतिष पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि "तुलसी माता में अनेक आध्यात्मिक वैज्ञानिक गुण पाए जाते हैं. यह किसी भी जीव के लिए सकारात्मकता का स्त्रोत और औषधि के समान है. तुलसी के सेवन मात्र से ही शरीर की दक्षता बढ़ जाती है. पुराने समय में तुलसी चौरा को बहुत महत्व (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra)दिया जाता था. यह घर के मध्य स्थल अर्थात ब्रह्मस्थान में स्थापित किया जाता था. भवन में रहने वाले लोग इस की परिक्रमा, पूजा और अर्चना किया करते थे. आज भी जिन घरों में मध्यस्थल खाली हो, चारों तरफ आंगन हो, वहाँ तुलसी चौरा को ब्रह्मस्थान में ही स्थापित (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra) करना चाहिए. तुलसी के गिरे हुए पत्तों को भी जमीन में डाल देना चाहिए. जिससे वह अधिक औषधिमय गुणों साथ जमीन की उर्वरा शक्ति, क्षमता और उत्पादकता को बढ़ा देते हैं."

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जानिये तुलसी चौरा स्थापित करने की सही दिशा:वास्तु में पूर्व अथवा ईशान को खाली रखकर तुलसी चौरा को स्थापित किया जाता है. उस क्षेत्र में योग प्राणायाम करने पर विशेष लाभ मिलते हैं. तुलसी की मंजरी तुलसी पत्रों से मनमोहक रहती है और यह हवा में सुगंध के साथ अनेक औषधि तत्वों को प्राणवायु के द्वारा हमारे शरीर तक पहुंचाती हैं. जिससे मनुष्य स्वस्थ सरल और दबाव रहित जीवन व्यतीत करता है. आजकल अनेक लोग तुलसी वाली चाय का भी उपयोग (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra) करते हैं. यह चाय मूलता आरोग्यवर्धिनी होती है. बशर्ते चाय विधानपूर्वक बनाई जाए. तुलसी में अनंत गुण पाए जाते हैं. तुलसी के अतिरिक्त आंवला, कमल के फूल आदि चीजों को भी वास्तुशास्त्र जिक्र मिलता है.

तुलसी में जल चढ़ाने से आते हैं विनम्रता और एकाग्रता के गुण:तुलसी चौरा या तुलसी का पौधा घर के सदस्यों की एकता प्रेम और आपसी सम्मान की भावना को बल प्रदान (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra)करता है. घर में अधिक से अधिक मात्रा में तुलसी के पौधे विधानपूर्वक लगाए जाने चाहिए. वह जातक जो लोहा, प्रेस-पत्रकारिता, कोयला इंधन और लौह अयस्क का काम करते हैं. ऐसे जातकों को श्याम तुलसी, जो कि श्याम वर्ण की मानी जाती है, इसको लगाना शुभ माना जाता (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra) है. जिन घरों में बहुत सारी तुलसी होती है, वहां का वातावरण शुद्ध और पवित्र होता है. ऐसे वास्तु में रहने वाले लोग कर्मठ और सक्रिय रहते हैं. तुलसी के पौधों में जल डालने से विनम्रता एकाग्रता सहनशीलता के गुण विकसित होते हैं.

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प्रबोधिनी एकादशी तुलसी विवाह का महत्व:सनातन परंपरा में दीपावली के पश्चात प्रबोधिनी एकादशी के दिन तुलसी विवाह कराने की परंपरा है. इस विवाह को उचित रीति-रिवाज से करना चाहिए. तुलसी विवाह के उपरांत ही देवता गण जागृत होते हैं और विवाह मांगलिक कार्य पुनः प्रारंभ होते हैं. विवाह में माता तुलसी का सर्वाधिक महत्व (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra) माना गया है. यह वास्तु को संतुलन, समन्वित और उच्च स्तर पर समायोजित करता है. तुलसी के पत्तों को अलग से कभी नहीं तोड़ना चाहिए. रविवार के दिन तुलसी को छूना और पत्ते तोड़ना वर्जित माना (importance-of-tulsi-in-vastu-shastra) गया है. भगवान तुलसी में ही विष्णु भगवान का वास माना गया है. अतः कुमारी कन्या या ऐसे युवा जिनके विवाह में विघ्न आ रही हो, उन्हें प्रतिदिन तुलसी माता की सेवा और पूजा आराधना करनी चाहिए. जिससे उनके पारिवारिक जीवन में शीघ्रता से अनुकूलता आए.

पारिवारिक क्लेश या पति-पत्नि के बीच कड़वाहट दूर करती है तुलसी: से दांपत्य जीवन जिनमें कड़वाहट हो अथवा जो लोग अलग होने की सोच रहे हैं. ऐसे जातकों को भी एक नए मकान में, जहां पर तुलसी की मात्रा अधिक हो, ऐसे वास्तु क्षेत्र में रहने की सलाह दी जाती है. जिससे उनके तनाव में कुछ कमी देखने को मिले. तुलसी का जल पीना बहुत शुभ माना गया है. अनेक मंदिरों में तुलसी का जल चरणामृत के रूप में दिया जाता है. जल में मिलाए जाने पर अनेक गुण विकसित हो जाते हैं और वे शरीर को सकारात्मक बल प्रदान करते हैं.

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