रायपुर: भगवान गणेश का एक नाम प्रथमेश भी है. इस नाम का अर्थ प्रथमदेव भी होता है. भगवान गणेश इस ब्रह्मांड के जीव-निर्जीव सबके स्वामी हैं. विवेक और सौम्यता के दाता हैं साथ ही सभी प्रकार के विघ्नों का नाश करने वाले हैं. अपने सौम्य व्यव्हार के चलते भगवान गणेश सभी के प्रिय हैं. मनुष्य अगर अपना कोई भी कार्य करने से पहले गणपति का स्मरण करता है तो उन्हें शुभ फल की प्राप्ति होती है.
प्रथम पूज्य भगवान गणपति के प्रथमेश नाम का महत्व और पूजन विधि - om gan ganpataye namah
भगवान गणेश को बुद्धि और ज्ञान का देवता माना गया है. गणपति बप्पा विघ्नहर्ता, परेशानियों को दूर करने वाले हैं. इसके साथ ही गणेश भगवान देवताओं में प्रथम पूज्य गणाधिपति हैं. जिन्हें किसी दूसरे का आदेश मानने की मजबूरी नहीं. शास्त्रों में भगवान गणेश के कई स्वरूपों का वर्णन किया गया है और मान्यता है कि इनके हर एक रूप में सुख और समृद्धि का वास होता है. ऐसे में जानिए कैसे भगवान गणपति के प्रथमेश नाम की महत्ता और पूजन विधि के बारे में.
'ऊँ गं गणपतये नमः'
इस मंत्र के साथ भगवान गणेश की आराधना करने से रुके हुए काम सफल होते हैं. क्योंकि भगवान गणेश रिद्धि-सिद्धि के भी दाता हैं. इसलिए उनका पावन स्मरण हमें जटिल कार्यों को भी सफलता पूर्वक संपन्न कराने में सहयोग दिलाता है. भगवान गणेश की सच्चे मन से पूजा करने से विद्यार्थी को ज्ञान, जिन्हें संतान की इच्छा है उनकी इच्छा पूरी होती है, आवश्यकता के अनरूप धन की प्राप्ति होती है. इन सभी वरदानों के अलावा जिन्हें भवसागर से पार होना मुक्ति प्राप्त कर प्रभु शरण में जाना है उन्हें उचित गति भी भगवान गणपति प्रदान करते हैं.
कैसे करें भगवान गणपति की पूजा
भगवान गणेश की आसन धारण की हुई प्रतिमा को घर के पूर्व या उत्तर दिशा में विराजित करना चाहिए लाल फूल, दूबी, और मोदक का प्रसाद लगाकर प्रसन्न चित होकर भगवान गणेश का आहवाहन करना चाहिए इसके अलावा भगवान की आरती पूरे परिवार के साथ गाकर प्रर्थना करनी चाहिए की हे भगवान प्रथमेश हम तन-मन-धन से आपके हैं. आप हमारे सभी कष्टों का निवारण करें और सुख,समृद्धि प्रदान करें. इस तरह आप गणपति बप्पा का आशीर्वाद प्राप्त कर सकते हैं.