रायपुर:महाशिवरात्रि के दिन भगवान शिव और माता पार्वती की विधि-विधान से पूजा-अर्चना की जाती है. महाशिवरात्रि पर शिवालयों में भक्तों की भीड़ उमड़ती है. हर जगह बम-बम भोले के नारे गूंजते हैं. महाशिवरात्रि भगवान शिव और पार्वती के विवाह का दिन माना जाता है.
ज्योतिषाचार्य विनीत शर्मा ने बताया कि इस साल फाल्गुन कृष्ण पक्ष की त्रयोदशी प्रदोष व्रत के दिन महाशिवरात्रि का शुभ पर्व मनाया जा रहा है. धनिष्ठा नक्षत्र में शिव योग पंचक प्रवृत्ति में यह महापर्व गुरुवार के दिन पड़ रहा है. साथ ही प्रभावी संवतसार के शुभ योग में संपन्न हो रहा है.
ज्योतिषाचार्य ने बताया कि निशिथ काल अर्थात रात्रि में शिव की पूजा अर्चना, अभिषेक और माता पार्वती के साथ विवाह का पावन योग है, जिसे महाशिवरात्रि के नाम से जाना जाता है.
महाशिवरात्रि का मुहूर्त और पूजा विधि
- निशिथ काल में पूजा का 'शुभ योग'
- 10 मार्च की रात 11:49 से 11 मार्च 12:37 तक विशेष योग
- भगवान शिव को बेलपत्र, नीला अकाव, चमेली, कमल फूल प्रिय
- 'ओम नमः शिवाय' और महामृत्युंजय मंत्र का भी जाप करें
- जल, दूध, गंगाजल और पंचामृत से भोलेनाथ का अभिषेक करें
कुंवारी कन्याओं के लिए विशेष फलदाई व्रत
महाशिवरात्रि का पर्व विशेषकर कुंवारी कन्याओं के विवाह के लिए फलदायी है. इस दिन कुंवारी कन्या जल, दूध, गंगाजल और पंचामृत आदि से भोलेनाथ का अभिषेक करें. इससे उन्हें वांछित फल की प्राप्ति होगी.
राशि अनुसार कैसे करें महादेव की पूजा ?
मेष राशि: महाशिवरात्रि के दिन मेष राशि वालों को धन प्राप्ति का योग है. इस दिन मेष राशि वालों को गूलर के फूल से भगवान शिव का अभिषेक करना चाहिए.
वृषभ राशि: महाशिवरात्रि के दिन वृषभ राशि वालों का सिद्धि योग है. इस राशि वालों को इस दिन भगवान शिव को बेलपत्र चढ़ाने चाहिए.