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पौराणिक उपन्यास कर्म मेव जयते के जरिए हेमू यदु ने दिया बड़ा संदेश

इतिहासकार और पुरातत्वविद हेमू यदु ने कोरोना काल के दौरान कर्म मेव जयते पौराणिक उपन्यास लिखा. इस उपन्यास के जरिए वे लोगों को जीवन में कर्म के महत्व के बारे में बता रहे हैं.

Karma Meva Jayate mythological novel
हेमू यदु का कर्म मेव जयते पौराणिक उपन्यास

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Published : Jun 14, 2022, 2:16 PM IST

रायपुर: राजधानी के इतिहासकार और पुरातत्वविद हेमू यदु एक उपन्यासकार भी बन गए हैं. उन्होंने कर्म और भाग्य पर आधारित एक पौराणिक उपन्यास भी लिखा है. यह उपन्यास कर्म मेव जयते- कथा सागर के नाम से साल 2022 में प्रकाशित हुई है. हेमू यदु पिछले कई सालों से इतिहासकार और पुरातत्वविद भी हैं. हेमू यदु ने बताया कि कोरोना काल के समय खाली बैठे हुए थे. तभी उनके मन में यह विचार आया जिसके बाद उन्होंने इस पौराणिक उपन्यास को लिखना शुरू किया. इस पौराणिक उपन्यास को लिखने में उन्हें लगभग साल भर का समय लगा. इसके पहले भी हेमू यदु ने एक पौराणिक उपन्यास यशोदा की रामायण भी लिखी है. (Karma Meva Jayate mythological novel by Hemu Yadu )

हेमू यदु का कर्म मेव जयते पौराणिक उपन्यास

धर्म-कर्म हमारे जीवन का पर्याय: इतिहासकार और पुरातत्वविद हेमू यदु ने बताया कि "कर्म मेव जयते- कथा सागर नामक पौराणिक उपन्यास में महाभारत और रामायण की छोटी-छोटी 75 कहानियों का संकलन है. जो पूरी तरह से कर्म और भाग्य पर आधारित है. भगवान श्री कृष्ण ने भागवत गीता के अध्याय 2 के 47 वें श्लोक में कहते हैं कि कर्मण्ये वाधिकारस्ते मां फलेषु कदाचन अर्थात कर्म पर तुम्हारा अधिकार है फल पर तुम्हारा अधिकार नहीं है. इसलिए कर्म फल पर आशा नहीं रखनी चाहिए. धर्म-कर्म हमारे जीवन का पर्याय हैं". (Compilation of stories from Ramayana and Mahabharata )

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भीष्म पितामह के कर्म के कारण उन्हें मिला बाणों की शैया: उपन्यासकार हेमू यदु ने उदाहरण देते हुए बताया कि "महाभारत युद्ध के दौरान वीर योद्धा भीष्म पितामह अंतिम समय में बाणों की शैया पर मृत्यु को प्राप्त होते हैं. अपने पूर्वजों को याद करते हुए रोते बिलखते रहते हैं. उनके करीब भगवान श्री कृष्ण खड़े होकर उन्हें देखकर मुस्कुराते हैं. आखिर ऐसी स्थिति क्यों बनी है कि भीष्म पितामह जैसे वीर योद्धा को अंतिम समय में बाणों की शैया नसीब हुई.तो यह उनका कर्म था".

नारी की अस्मिता को बचाने के लिए जटायु ने रावण से युद्ध किया:दूसरा उदाहरण देते हुए उपन्यासकार बताते हैं कि "माता सीता का हरण करके लंकापति रावण जब लेकर जा रहा था उसी समय गिद्धराज जटायु माता सीता को रावण से बचाने के लिए युद्ध करते हैं. लंकापति रावण जटायु के दोनों पंखों को काट देते हैं. जिससे जटायु जमीन पर गिर जाता है और अंतिम समय में जटायु भगवान राम की गोद में मृत्यु को प्राप्त होते हैं. जटायु जानते थे कि लंकापति रावण बलवान होने के साथ एक वीर योद्धा हैं बावजूद इसके जटायु ने रावण से युद्ध किया. जटायु ने नारी की अस्मिता को बचाने के लिए रावण से युद्ध किया था और ऐसा संयोग हर किसी को नहीं मिलता. ऐसे समय में भगवान श्री राम की आंखों से आंसू निकल रहे थे और मृत्यु के अंतिम समय में जटायु मुस्कुरा रहे थे. यह नारी के प्रति जटायु का कर्म ही था.

द्रोपदी के शब्द बाण के कारण लिखी गई महाभारत की पटकथा:भगवान श्री कृष्ण ने द्रोपदी से कहा कि तुम्हारे कारण ही महाभारत का युद्ध हुआ है. भगवान श्री कृष्ण द्रोपदी से कहते हैं तुमने धृतराष्ट्र के बेटे दुर्योधन को यह कहा था कि अंधे का बेटा अंधा है. यह तुम्हारे शब्द बाण थे. जिसके कारण दुर्योधन इस बात से काफी विचलित हुआ था. इस वजह से महाभारत का युद्ध हुआ.



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