रायपुर : कोरोना संक्रमण को लेकर लोगों में दहशत है. अब तीसरी लहर को लेकर लोग चिंतित हैं. कोरोना की पहली लहर ने बुजुर्गों को और दूसरी ने युवाओं को प्रभावित किया. अब ऐसी आशंका जताई जा रही है कि तीसरी लहर बच्चों को अपनी चपेट में ले सकती है. सभी राज्यों में तीसरी लहर से निपटने के लिए तैयारियां शुरू कर दी गई हैं. छत्तीसगढ़ में इससे बचने के लिए और स्वास्थ्य व्यवस्थाओं को लेकर तैयारियां किस तरह की हैं, इस पर स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने जानकारी दी.
स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव से खास बातचीत स्वास्थ्य मंत्री टीएस सिंहदेव ने टीकाकरण की प्रक्रिया और वैक्सीन की आपूर्ति के विषय में भी चर्चा की. सिंहदेव ने निजी अस्पतालों में नियंत्रण और दवाईयों की कालाबाजारी सहित कई मुद्दों पर अपनी प्रतिक्रिया दी है.
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सवाल :शहरों के बाद अब गांवों में संक्रमितों की संख्या तेजी से बढ़ी है, इसकी क्या वजह है ?
जवाब :जो शहरों के संक्रमितों के संपर्क में आए, उन्होंने अब इसे शहरों से गांव में पहुंचा दिया है. अब बाहर से आने वालों की जांच का सिलसिला भी लगातार चल रहा है. उसमें बहुत ज्यादा पॉजिटिव मरीज नहीं आ रहे हैं. 3 से 5 फीसदी लोग ही पॉजिटिव पाए जा रहे हैं, लेकिन उनको भी चिन्हित किया जा रहा है. कोरोना गांव में फैला, तो यह चिंता का विषय है. इसे रोकने के लिए लोगों को जागरूक करना होगा. गांव में कोरोना संक्रमण के पीछे शादी-ब्याह सहित सामाजिक गतिविधियों का होना भी मुख्य कारण है.
सवाल : अब तीसरी वेव आने वाली है, तो इसे लेकर राज्य सरकार की क्या तैयारी है?
जवाब : कोरोना संक्रमण के दौरान सबसे ज्यादा दिक्कत का सामना आईसीयू को लेकर करना पड़ा. संक्रमितों के अनुपात में आईसीयू बेड की संख्या कम थी, इसे बढ़ाना पहली प्राथमिकता होनी चाहिए. किसी ने नहीं सोचा था कि ऐसा स्वरूप सामने आएगा कि 4 गुणा से ज्यादा मरीज होंगे. दूसरी वेव आएगी, यह भी मालूम था और तीसरी आएगी, यह भी मालूम है, लेकिन इस वेव में मान लिया जाए कि 10 गुणा मरीज आए, तो तैयारी कम हो सकती है. लेकिन 4 गुणा मरीज आए, तो उसकी तैयारी होनी चाहिए. किसी भी चीज के लिए समय पर निर्णय लेना है. इस बार हमने देखा कि लॉकडाउन का अंततः प्रभाव पड़ा. सही समय पर लॉकडाउन लगा दिया जाए, तो वह भी काम आएगा.
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सवाल : थर्ड वेव बच्चों के लिए खतरनाक साबित हो सकती है, इसे लेकर क्या तैयारी है?
जावाब : स्वास्थ्य मंत्री ने कहा कि इसके आंकड़े हैं कि किस आयु वर्ग के बच्चों की कोरोना से डेथ हुई है. इसमें यह आंकड़े भी शामिल हैं. कितने महिला कितने और पुरुष हैं. यह सही है कि कोरोना की पहली वेव में बच्चों पर इसका असर ना के बराबर था, लेकिन दूसरी वेव में बच्चे भी संक्रमित हुए हैं. राज्य स्तर पर टास्क फोर्स गठन करने का सरकार ने निर्णय लिया है. इस दौरान जो बच्चे कोरोना संक्रमित होंगे, उनके लिए अलग तरह के वेंटिलेटर की जरूरत होगी. यह भी देखना होता है कि बच्चों को कितनी मात्रा में दवाई दी जाए. टास्क फोर्स गठित किया जा रहा है, जो इस बात को ध्यान में रखेगा कि कोविड और कोविड के बाद बच्चों की देखरेख कैसे की जाए. उसके लिए भी योजना बन रही है.
सवाल : छत्तीसगढ़ में अन्य राज्यों की अपेक्षा जनसंख्या के आधार पर कहीं ज्यादा कोरोना संक्रमित मिल रहे हैं, तो क्या कोरोना संक्रमण से निपटने के दौरान राज्य सरकार से कहीं चूक हुई है?
जवाब :मैं यह नहीं कहूंगा कि राज्य सरकार की ओर से कोई चूक रही है, लेकिन यह संख्या बहुत ज्यादा है. इतनी संख्या की उम्मीद किसी को नहीं थी. 17 हजार तक 1 दिन में पॉजिटिव लोगों की संख्या गई. यह हम लोगों के अनुमान के बाहर था. दूसरी वेव आएगी यह पता था, लेकिन इतनी संख्या में मरीज मिलेंगे, यह अनुमान नहीं था.
सवाल :क्या ऐसा है कि छत्तीसगढ़ कोरोना संक्रमितों के सही आंकड़े पेश कर रहा है और अन्य राज्यों के द्वारा आंकड़े छुपाए जा रहे हैं?
जवाब : मैं तो यह नहीं कहूंगा, लेकिन हमने यह प्रयास जरूर किया है कि चाहे देर से भी आंकड़े आते हैं, लेकिन 1 महीने बाद भी उन आंकड़ों को चढ़ाना है, तो हमने उससे परहेज नहीं किया है. यदि यह जानकारी लगती है कि कोरोना से मृत्यु हुई है और किसी कारण से वह उस दिन नहीं चढ़ा, तो उसे लगातार जोड़ते चले गए. उसमें यह भी संभव है कि जो पहले छूट गए हैं, वह अब जोड़े जा रहे हैं और जो वास्तविक संख्या 200 से ऊपर दिखा रहे हैं, उसमें वह संख्या भी शामिल हो, इसलिए वर्तमान में संख्या ज्यादा हो गई हो.
सवाल : केंद्र और राज्य सरकार में सामंजस्य स्थापित नहीं हो पा रहा है, इसे आप किस रूप में देखते हैं और उसका आगे क्या हल निकल सकता है ?
जवाब : इसमें केंद्र सरकार ने पहल की थी और राष्ट्रीय स्तर पर कोई आपदा है तो स्वाभाविक है कि केंद्र सरकार ही निर्णय लेगी. माध्यम जरूर राज्य सरकारें हो सकती हैं और यदि केंद्र सरकार को निर्णय लेना है एख राज्य से दूसरे राज्य की व्यवस्थाओं का डिस्ट्रीब्यूशन सुनिश्चित करना है तो वह न्यायोचित तरीके से केंद्र सरकार ही कर सकती है. बड़े आपदा के समय केंद्र सरकार को आगे आना चाहिए वे आगे आई उन्होंने जो कदम उठाया उसके हर कदम से हम सहमत न हो , लेकिन करना तो केंद्र सरकार को ही है.
सवाल : कांग्रेस का यह आरोप रहा है कि केंद्र सरकार द्वारा भेदभाव किया जा रहा है?
जवाब : कुछ राज्यों के द्वारा यह बात कही गई है. टीकाकरण के अनुपात को ही देख लेंगे किस राज्य की आबादी कितनी है और वहां टीके कितने मिले. गुजरात और महाराष्ट्र की बात लगातार की जा रही थी. गुजरात की आबादी कितनी है और उनको कितने टीके मिले, महाराष्ट्र आबादी कितनी है और उनको कितने टीके मिले. गुजरात को ज्यादा मिले महाराष्ट्र को कम मिले. ऐसा नहीं होना चाहिए, यह जिम्मेदारी होती है केंद्र सरकार की सबको एक नजर से देखना चाहिए.
सवाल : कई बार आपको मुख्यमंत्री को पत्र लिखकर व्यवस्थाओं को लेकर मांग करनी पड़ी, तो क्या यह माना जाए आप दोनों के बीच बातचीत नहीं हो पा रही है?
जवाब : दोनों चीजें होती है कई बार ऐसा होता है कि बात हो भी रही है उसको ऑन रिकॉर्ड लाना है. स्वास्थ विभाग की तरफ से आखिर सरकार में जो निर्णय होते हैं वह कैसे होते हैं फाइल के माध्यम से होते हैं. आज जो स्थिति बनी फाइल के माध्यम से बनी, बैठक हुई वह सचिव के पास जाएगा, सचिव के पास से मंत्री के पास, मंत्री के पास से मुख्यमंत्री के पास, उसके बाद कोई निर्णय लिया जाएगा.
सवाल :कोरोना के थर्ड वेव को लेकर स्वास्थ्य विभाग की ओर से क्या सुझाव दिए गए हैं?
जवाब :तीसरे वेव के लिए कमी किस चीज की है, एक ऑक्सीजन पर्याप्त मात्रा में हो हमारे पास, सरप्लस ऑक्सीजन है उसका प्रबंधन करना है. ऑक्सीजन फ्लोर मीटरों के लिए हम दौड़ रहे हैं, छोटे सिलेंडरों के लिए हम दौड़ रहे हैं. लिक्विड ऑक्सीजन को पहुंचाने के लिए व्यवस्था हो रही है. अब हमको मालूम है कि क्या कितना होना है, ऐन मौके पर हमें ऑक्सीजन सिलेंडर दवाई के लिए नहीं भागना है. हमें जानकारी है कि इससे निपटने के लिए मेडिकल ग्रेड ऑक्सीजन की आवश्यकता होती है. ऑक्सीजन के लिए मारामारी लास्ट मिनिट पर ना हो. हालांकि प्रदेश में ऑक्सीजन की इतनी परेशानी नहीं हुई. उस समय आईसीयू की भी जरूरत होगी. उसके लिए अभी से ही तैयारी की जाएगी क्योंकि उस समय एक-दो दिन में यह व्यवस्था नहीं हो सकती और इस व्यवस्था को बनाने आज काम नहीं किया तो जब वह आएगा तो उस समय दिक्कत होगी.
सवाल : निजी अस्पतालों में इलाज के लिए रेट जारी कर दिया गया है इसके बाद भी मनमानी राशि वसूली जा रही है, क्या राज्य सरकार ने अस्पतालों पर नियंत्रण खो दिया है?
जवाब :निजी अस्पताल सीधे राज्य सरकार के कंट्रोल में है ही नहीं. यही एक प्रमुख कारण है कि हर बार यूनिवर्सल हेल्थ केयर की बात करता हूं. जब ऐसी स्थिति सामने आती है तो सरकार के पास नागरिकों को नि:शुल्क सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए नहीं है, लेकिन निजी संस्थाओं के पास है.जहां उनका शोषण होता है. ये एक लंबी नीति है कि आपकों एक व्यवस्था सरकारी तंत्र में रखनी चाहिए कि लोग निजी क्षेत्रों में जाने से बचे. प्राइवेट अस्पताल में रेट का नियंत्रण कठिन होता है. पेट्रोल-डीजल को आप नियंत्रण कर सकते हैं लेकिन डॉक्टरों और अस्पताल जहां जीने मरने का सवाल होता है उसे नियंत्रण नहीं कर सकते हैं. जब तक आप रेट तय करते हैं पेसेंट मर जाता है. असल में निजी अस्पताल देखरेख में तो है सरकार की लेकिन नियंत्रण में कभी नहीं रह सकते हैं.
सवाल:ऑक्सीजन और दवाइयों की कालाबाजारी भी इस दौरान चरम पर रही उस पर भी राज्य सरकार का कोई नियंत्रण नहीं था.
जवाब : जब भी कोई वस्तु कम होती है तो कालाबाजारी होती है. कालाबाजारी कौन करता है हमारे ही जान पहचान रिश्तेदार भाई बंधु करते हैं. दूसरा जैसी स्थिति की जानकारी लगती है सरकार ने भी अपनी तरफ से भरसक प्रयास किया कार्रवाई करना एक बात, दूसरा उस चीज की पूर्ति करना आज रेमडेसिविर की कोई बात नहीं कर रहा जो उस समय बात हो रही थी. लोग इसे खरीदने लगे थे भगदड़ जैसी स्थिति निर्मित हो गई थी, लेकिन अब रेमडेसिविर की कोई बात नहीं होती है, कल के दिन दूसरी दवाई की शॉर्टेज होगी निर्माण नहीं होगा, वहां कालाबाजारी की स्थिति आ जाती है. वैक्सीनेशन की बात की जाए तो यह कम है. बावजूद इसके इसकी कालाबाजारी की बात सामने नहीं आ रही है क्योंकि यह मार्केट में है ही नहीं ये सीधे गवर्नमेंट के पास आएगा. इसे भी प्राइवेट सेक्टर के लिए ओपन कर दिया जाएगा तो इसकी कालाबाजारी भी होगी.
सवाल : कोरोना को लेकर जनता से आपकी क्या अपील है?
जवाब :कोरोना हमारे बीच से जाने वाला नहीं है यह हमारे बीच रहेगा. जैसे सर्दी-खांसी रहती है दूसरा इसको कोई बहुत भयावह बीमारी के रूप में मत देखिए. आप उसको सामान्य बीमारियां जैसे रहती है उसी रूप में ही देखिए. आखिर पल्स पोलियो का टीका तो ले रहे हैं पल्स पोलियो की कीटाणु हमारे बीच में विद्यमान होंगे, तब तो हम लेते हैं. चेचक का टीका हम ले ही रहे हैं. स्वाइन फ्लू की बात आती है आखिर स्वाइन फ्लू, वर्ल्डफ्लू भी हमारे बीच में है. उसके साथ हमको रहना है. यह समझना है कि कोई ऐसी स्थिति में नहीं है कि सर्वनाश होने वाला है. सिंगल मास्क की जगह डबल मास्क पहनकर जाइए यदि यह सब सावधानी बरतते रहेंगे तो अपना बचाव भी रहेगा. सरकार को अपनी ओर से प्रबंध करना है और नागरिकों को अपनी तरफ से इसे व्यवहार में लाना है.