रायपुरः गुरुवार को प्रदोष का व्रत होने की वजह से इसे गुरु प्रदोष व्रत (Guru Pradosh Vrat) कहा जाता है. आज ही मास शिवरात्रि व्रत (month shivratri fast) भी है. प्रदोष तिथि 1 दिसंबर 2021 बुधवार रात्रि 11:35 से लेकर गुरुवार 2 दिसंबर को रात्रि 8:26 तक रहेगी. उसके उपरांत मास शिवरात्रि तिथि (month shivratri date start) प्रारंभ हो जाएगी. इस रात्रि बेला में इसे मास शिवरात्रि के रूप में मनाया जाता है. महाशिवरात्रि के शुभ दिन ही श्री भोलेनाथ और माता पार्वती का शुभ विवाह (Auspicious marriage of Bholenath and Mata Parvati) संस्कार हुआ था. प्रदोष तिथि शिव भक्तों के लिए वरदान की तरह है.
इस दिन भोलेनाथ के भक्त सूर्योदय के पूर्व स्नान-ध्यान (pre-sunrise bath-meditation) आदि से निवृत्त होकर भगवान भोलेनाथ की पूजा में मग्न हो जाते हैं. प्रातः काल में गंगा के जल से और बेलपत्र के द्वारा पूजा स्थल को भली-भांति साफ करना चाहिए. भगवान भोलेनाथ को स्वच्छता बहुत प्रिय है. इसलिए यह सब कार्य बहुत शुद्धता के साथ करना चाहिए. श्वेत रंग भगवान शंकर को प्रिय (White color dear to Lord Shankar) है. इस दिन उज्जवल श्वेत वस्त्र से आसन लगाना चाहिए. फिर अष्ट कमल दल बनाकर कलश की स्थापना करें. इस कलश के ऊपर पवित्र शिवलिंग को स्थापित करना चाहिए. यह ध्यान रहे कि शिवलिंग की दिशा उत्तर की ओर होनी चाहिए. यह बहुत ही आवश्यक है.
Ganesh Ji Ki Aarti: जय गणेश जय गणेश जय गणेश देवा…
शिवलिंग की दिशा को गलत रखना है अशुभ
कई बार भक्तजन शिवलिंग की दिशा को गलत दिशा में रख देते हैं. इससे अनुकूलता नहीं मिलती है. अक्षत गोपी चंदन अष्ट चंदन और माल्याचल के चंदन से शिव का अभिषेक करना चाहिए. श्वेत फूल फूलों की माला यज्ञोपवीत आदि श्री भोलेनाथ जी को मंत्रों के साथ अर्पण किया जाना चाहिए. परिमल अबीर गुलाल आदि भी ध्यान पूर्वक शिव को अर्पित करना चाहिए. ऋतु फल नेवैद्य आदि भी प्रदोष व्रत में भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं. इसी तरह धतूरा आक का फूल सफेद फूल और भिन्न-भिन्न प्रजाति के पुष्प भगवान शिव को चढ़ाए जाते हैं. दूध पंचामृत सहज मानसरोवर के जल नर्मदा के जल गंगा का जल और गोदावरी के जल से रूद्र का अभिषेक किया जाना चाहिए.