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EXCLUSIVE: महिलाएं शिक्षित होंगी तभी अपने अधिकारों को समझेंगी-शहाना कुरैशी

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Published : Nov 6, 2020, 7:51 AM IST

छत्तीसगढ़ राज्य अलंकरण से सम्मानित समाजसेविका शहाना कुरैशी से ईटीवी भारत ने खास बातचीत की. उन्होंने बताया कि महिलाओं को शिक्षा दी जाएगी तो महिलाएं अपने अधिकारों को समझेंगी और अपने परिवार में अपने बच्चों को भी आगे बढ़ने में मदद करेंगी.

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राज्य अलंकरण से सम्मानित समाजसेविका शहाना कुरैशी

रायपुर:छत्तीसगढ़ राज्य के 20वें स्थापना दिवस पर प्रदेश के महान विभूतियों को राज्य अलंकरण से सम्मानित किया गया है. हर साल राज्योत्सव में अलग-अलग क्षेत्रों में उत्कृष्ट काम कर रहे हस्तियों को यह सम्मान दिया जाता है. इस साल महिला उत्थान के क्षेत्र में काम कर रहीं शहाना कुरैशी को राज्य अलंकरण मिनीमाता सम्मान से नवाजा गया है.


ETV भारत से खास में चर्चा शहाना कुरैशी ने बताया वे लंबे समय से महिला उत्थान के लिए काम कर रही हैं और काम करने से उन्हें सेटिस्फेक्शन मिलता है, लेकिन जब सम्मान प्राप्त हुआ तो एक अलग ही खुशी हुई. उन्होंने बताया कि इस सम्मान प्राप्त करने के से परिवार, शहर के लोग भी खुश हुए और अभी तक उन्हें शुभकामनाएं मिल रही हैं. राज्य अलंकरण से सम्मानित शहाना कुरैशी से हमने खास बातचीत की.

राज्य अलंकरण से सम्मानित समाजसेविका शहाना कुरैशी
आप महिला उत्थान में किस तरह काम करती हैं

खास बातचीत में शहाना कुरैशी ने बताया कि वे महिलाओं को घरेलू हिंसा, दहेज प्रताड़ना और महिलाओं को उनके अधिकारों और उनके लीगल राइट के बारे में अवेयर कर रही हैं. साथ ही उनके शिक्षा स्वास्थ्य और रोजगार को लेकर भी उन्हें जागरूक करते आ रही हैं.

महिला उत्पीड़न पर सरकार को किस तरह काम करना चाहिए

शहाना कुरैशी ने बताया कि लगातार उत्पीड़न के मामले भी सामने आ रहे हैं, लेकिन ऐसा नहीं है कि उत्पीड़न सिर्फ अब ही हो रहे हैं, लगातार महिलाओं के साथ उत्पीड़न होता आ रहा है, लेकिन अब महिलाएं उत्पीड़न के खिलाफ खुलकर सामने आ रही हैं. महिलाएं लीगल राइट्स को लेकर अवेयर नहीं थी. अब महिलाएं अवेयर हो गई हैं और उत्पीड़न के खिलाफ भी आवाज उठा रही हैं.


महिलाओं में जागरूकता लाने के लिए क्या करना होगा

शहाना कुरैशी ने बातचीत में कहा कि अब तक उन्होंने 5000 परिवारों की काउंसलिंग की है और इस पूरे मामले में पति-पत्नी और उनके परिवार के लोग भी आते हैं. अगर उन्हें अच्छी शिक्षा नहीं दी जाए. अगर वह अपने अधिकारों के प्रति जागरूक नहीं हैं और अपने पैरों पर खड़ी नहीं है, तो ऐसे में वे अपने निर्णय स्वतंत्र रूप से नहीं ले पाती हैं, लेकिन छत्तीसगढ़ में जो श्रमिक महिलाएं हैं वे अपना स्वतंत्र निर्णय हमें सुनाती हैं. वे महिलाएं पढ़ी-लिखी नहीं है, लेकिन अपना निर्णय स्वतंत्र रूप से सुनाती हैं. कई बार देखा गया है कि पढ़ी-लिखी महिलाएं अपना निर्णय लेने में झिझकती हैं.


महिलाओं के विकास के लिए क्या करने की जरूरत है

शहाना कुरैशी ने बताया कि हम लोग खुशनसीब हैं कि हमें शिक्षा का पूरा अवसर मिला. लगातार महिलाओं को घरेलू हिंसा के खिलाफ जागरूक किया जा रहा है. साथ ही उनके स्वास्थ्य को लेकर भी जागरूक किया जा रहा. अगर कोई महिला का स्वस्थ नहीं होगी तो वे अपने परिवार में सही तरह से जुड़ नहीं पाएगी, जिससे परिवार में टेंशन आना स्वाभाविक है. ऐसे में महिला को स्वस्थ रहना भी बेहद जरूरी है. साथ ही अगर महिलाएं शिक्षित होंगी और महिलाओं को शिक्षा दी जाएगी तो महिलाएं अपने अधिकारों को समझेंगी और अपने परिवार में अपने बच्चों को भी आगे बढ़ने में मदद करेंगी.

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