रायपुर: कोरोना संक्रमण की वजह से लगातार अब ऑक्सीजन की मांग बढ़ती जा रही है. हालांकि डॉक्टरों का कहना है कि ऑक्सीजन की आवश्यकता वाले केस की संख्या कम है, लेकिन जिस तरह से प्रदेश में कोरोना के मामले बढ़ रहे हैं, इससे कयास लगाया जा सकता है कि आने वाले समय में ऐसे मरीजों की संख्या में काफी इजाफा हो सकता है, जिन्हें ऑक्सीजन की आवश्यकता पड़ेगी. ईटीवी भारत ने पड़ताल की है कि आखिर प्रदेश में ऑक्सीजन को लेकर क्या स्थिति है.
प्रदेश में पर्याप्त मात्रा में है ऑक्सीजन! रोज 4-6 मीट्रिक टन की खपत
प्रदेश में 17 ऑक्सीजन जेनरेशन प्लांट है. इसकी प्रतिदिन क्षमता लगभग 296 मीट्रिक टन है. वर्तमान में प्रदेश के सभी कोविड अस्पतालों में दो से तीन मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत हो रही है. वहीं अन्य मरीजों को लगने वाली ऑक्सीजन की मात्रा को मिला लें तो रोजाना करीब चार से छह मीट्रिक टन ऑक्सीजन की खपत होने का अनुमान है. लिहाजा प्रदेश में वर्तमान स्थिति में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है.
पड़ोसी राज्य को भी ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा छत्तीसगढ़
जानकारी के मुताबिक छत्तीसगढ़ पड़ोसी राज्य को भी ऑक्सीजन सप्लाई कर रहा है. भिलाई स्टील प्लांट से भी नागपुर में ऑक्सीजन सप्लाई किया जा रहा है. इसके अलावा अन्य पड़ोसी राज्यों में भी विभिन्न ऑक्सीजन प्लांट्स के माध्यम से ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा रही है.
4 मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट लगाने की तैयारी
राज्य के 2 सबसे बड़े अस्पताल एम्स में ऑक्सीजन क्रायोजेनिक टैंक की क्षमता 28.35 लीटर और अंबेडकर अस्पताल के ऑक्सीजन क्रायोजेनिक टैंक की क्षमता 11.45 लीटर है. बिलासपुर रेलवे कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की क्षमता 140 लीटर प्रति मिनट और बीजापुर कोविड अस्पताल में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट की क्षमता 106.9 लीटर प्रति मिनट है. इधर राज्य शासन ने अंबिकापुर, रायगढ़, जगदलपुर और रायपुर सहित 4 मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन जनरेशन प्लांट स्थापित करने की तैयारी शुरू कर दी है.
छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग बढ़ी
राजधानी रायपुर में कोरोना संक्रमण के पहले छोटे-बड़े अस्पतालों में मिलाकर रोज 200 से 250 ऑक्सीजन सिलेंडर की आपूर्ति की जाती थी, लेकिन मार्च के बाद कोरोना महामारी फैलने के बाद प्रतिदिन ऑक्सीजन की मांग लगभग 400 से 500 सिलेंडर प्रतिदिन हो गई है. यानी मांग लगभग दोगुनी हो गई है. इसके अलावा घरों में भी रखने के लिए छोटे ऑक्सीजन सिलेंडर की मांग तेजी से बढ़ी है. ऑक्सीजन का 10 किलो का सिलेंडर लगभग 6500 रुपये के आसपास की कीमत में उपलब्ध है. साथ ही सिलेंडर को रिफिल कराने में लगभग डेढ़ सौ रुपए खर्च आता है. इसके अलावा अलग-अलग ऑक्सीजन सिलेंडर क्षमता के अनुसार अलग-अलग कीमत है.
ऑक्सीजन बिस्तरों की बढ़ाई जा रही संख्या
प्रदेश में लगभग 2 हजार ऑक्सीजन बिस्तरों की संख्या बढ़ाई जा रही है. वर्तमान में यह संख्या 2 हजार 2 सौ 83 है जिसमें 7 सौ 87 ऑक्सीजन युक्त बेड सरकारी अस्पतालों में, 616 बेड निजी और 8 सौ 80 बिस्तर कोविड केयर सेंटर में है. राज्य में वर्तमान में कोविड मरीजों के लिए कुल 32 हजार 9 सौ 38 सामान्य बिस्तर है. शासकीय अस्पतालों में 3 हजार 7 सौ 27 बेड है, जिनमें 2 हजार 9 सौ 40 सामान्य 787 ऑक्सीजन युक्त और 406 आईसीयू है. इसी प्रकार कोविड केयर सेंटर में कुल जनरल बिस्तर 26 हजार 758 और अब सीजन बिस्तर 880 है. निजी अस्पतालों में कोविड मरीजों के लिए 957 सामान्य बिस्तर 616 ऑक्सीजन युक्त बिस्तर, 436 आईसीयू बेड निर्धारित किए गए हैं.
निजी-प्राइवेट अस्पतालों में 3 हजार बेड
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में कोरोना महामारी से संबंधित तैयारी की जानकारी जिला चिकित्सा अधिकारी डॉ मीरा बघेल ने दी. उन्होंने बताया कि कोरोना संक्रमण को देखते हुए राजधानी में शासकीय सहित निजी अस्पतालों में 3 हजार ऑक्सीजन बेड की व्यवस्था किया जाना है. जिसमें से 2 हजार ऑक्सीजन बेड वर्तमान में पूरी तरह तैयार है. मीरा बघेल ने बताया कि कोरोना के दौरान ऑक्सीजन की खपत में काफी वृद्धि हुई है, बावजूद इसके रायपुर में पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन उपलब्ध है.
प्लांट लगाने में करीब डेढ़ करोड़ तक का खर्च
प्रदेश में ऑक्सीजन की उपलब्धता के लिए छत्तीसगढ़ के 6 मेडिकल कॉलेज में ऑक्सीजन प्लांट लगाया जाएगा. तीन नए स्थापित होने वाले मेडिकल कॉलेज में भी ऑक्सीजन प्लांट लगाने की तैयारी है. इसमें लगभग 80 लाख से डेढ़ करोड़ के बीच की राशि खर्च होने की संभावना है. वर्तमान में सिर्फ रायपुर मेडिकल कॉलेज में ही ऑक्सीजन प्लांट की व्यवस्था है. प्लांट लगने के बाद प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी नहीं होगी. इसके अलावा वेंटीलेटर की संख्या बढ़ाये जाने पर भी सरकार काम कर रही है.
सरकार का दावा
राज्य सरकार के अनुसार प्रदेश में कोरोना महामारी से निपटने के लिए पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन है. आने वाले समय में भी ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित हो उसके लिए भी प्रयास किए जा रहे हैं. यही कारण है कि शासकीय मेडिकल कॉलेजों में ऑक्सीजन प्लांट लगाने का निर्णय लिया गया है ताकि प्रदेश में ऑक्सीजन की कमी न हो सके.