रायपुर :राजधानी रायपुर में 20 अगस्त से वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अपनी 2 सूत्रीय मांग को लेकर प्रदेश व्यापी प्रदर्शन कर रहे(demand for regularization and strike in Raipur) हैं. आज उनके प्रदर्शन का 11 वां दिन है और छत्तीसगढ़ का पारंपरिक त्यौहार तीजा पर्व भी आज है. दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी के इस प्रदर्शन में लगभग 15 महिलाएं तीजा पर्व का निर्जला उपवास रहकर प्रदर्शन करने को मजबूर (Employees celebrats Teeja festival ) हैं. कुछ महिलाएं भूख हड़ताल पर भी बैठी हुई हैं.इस प्रदर्शन के दौरान खास बात यह भी देखने को मिली की महिलाओं के अलावा एक पुरुष ने भी आज उपवास रहकर प्रदर्शन में अपनी भूमिका निभाई है. हड़ताली कर्मचारियों की मांग है कि मुख्यमंत्री तीजा पर्व में उन्हें तोहफा के रूप में नियमितीकरण का उपहार दें.
रायपुर में हड़ताल के साथ तीजा पर्व, पुरुष ने भी रखा व्रत व्रत रखकर नियमितिकरण की मांग :आज प्रदेश में तीजा का पर्व बड़े धूमधाम और हर्षोल्लास से मनाया जा रहा है. बाजार में भी रौनक देखने को मिल रही है. राजधानी के प्रदर्शन स्थल बूढ़ा तालाब में वन विभाग में काम करने वाले दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी अपनी मांगों को लेकर बीते 11 दिनों से प्रदर्शन कर रहे हैं. आज तीजा का पर्व होने के कारण 24 घंटे का निर्जला उपवास रखकर महिलाएं इस व्रत को पूरा करने मे लगी हुई है. महिलाओं के साथ ही एक पुरुष भी आज तीजा पर्व का उपवास रखकर अपनी मांगों को पूरा करने के लिए प्रदेश के मुखिया से विनती करते नजर आए. गणेश चतुर्थी के दिन फलाहार से तोड़ेंगे व्रत : तीजा पर्व का उपवास रखने वाली महिलाओं ने बताया कि "तीजा का पर्व जिसमें कि 24 घंटे का निर्जला उपवास रखा जाता है तीजा उपवास के 1 दिन पहले कडू भात खाकर इस उपवास की शुरुआत की जाती है. तीजा पर्व के अगले दिन गणेश चतुर्थी के दिन फलाहार के माध्यम से इस तीजा पर्व के व्रत को तोड़ा जाता है. महिलाओं ने बताया कि ''बुधवार को गणेश चतुर्थी के पावन पर्व पर धरना स्थल पर ही फलाहार करके तीजा पर्व के इस उपवास को तोडे़ंगे.'' उपवास करने वाली महिलाएं बताती है कि वैसे तो तीजा पर्व मायके में मनाया जाता है और कुछ महिलाएं ससुराल में भी इस व्रत को करती हैं लेकिन हालात और परिस्थिति के चलते महिलाओं को प्रदर्शन स्थल पर ही व्रत पूरा करना पड़ रहा है ।" पूर्व सीएम रमन सिंह ने भी किया ट्वीट क्या है मांगें :कर्मचारियों की 2 सूत्रीय मांग जिसमें पहला स्थायीकरण और दूसरा नियमितीकरण का है. इन कर्मचारियों का कहना है कि '' जो कर्मचारी 2 साल की सेवा पूर्ण कर लिए हैं उन्हें स्थाई किया जाए.साथ ही जो दैनिक वेतन भोगी 10 वर्ष की सेवा पूरा कर चुके हैं उन्हें नियमित किया जाए. पूरे प्रदेश में वन विभाग में दैनिक वेतन भोगी के रूप में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या लगभग 6500 हैं. इन कर्मचारियों को वेतन के रूप में प्रतिमाह महज 9 हजार रुपये ही वेतन मिलता है. जो वन विभाग में वाहन चालक, कंप्युटर ऑपरेटर, रसोईया और बेरियर का काम करने के साथ ही जंगल का काम भी देखते हैं.''