रायपुर : मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना (Chief Minister pilgrimage scheme ) को लेकर इन दिनों विपक्ष सरकार पर हमलावर हो गई है. विपक्ष का सीधा आरोप है कि डॉ रमन सिंह के शासनकाल में शुरू की गई मुख्यमंत्री तीर्थ योजना (mukhyamantri tirth darsan yojna in Chhattisgarh) को कांग्रेस सरकार ने बंद कर दिया है. जिस वजह से पिछले 4 सालों से प्रदेश के वृद्धजन तीर्थ यात्रा पर नहीं जा पा रहे हैं .भाजपा ने राज्य सरकार से एक बार फिर इस योजना को शुरू किए जाने की मांग की है. वहीं कांग्रेस ने इस तीर्थ यात्रा के नाम पर पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के द्वारा भ्रष्टाचार किए जाने का आरोप लगाया है. साथ ही वर्तमान में केंद्र की मोदी सरकार के द्वारा वृद्धजनों और दिव्यांगों को रेल किराए में दिए जाने वाली छूट को बंद करना भी यात्रा को प्रभावित करने की वजह बताई है. इसके लिए कांग्रेस ने सीधे तौर पर पूर्व की भाजपा और वर्तमान की केंद्र सरकार को जिम्मेदार ठहराया है.
छत्तीसगढ़ में मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना की टूटी कमर, बुजुर्ग तीर्थस्थल दर्शन से वंचित
छत्तीसगढ़ के बुजुर्गों को पिछले 4 साल मुख्यमंत्री तीर्थदर्शन योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. जब से कांग्रेस सरकार बनी है तब से लेकर आज तक इस योजना को लेकर मौजूदा सरकार ने कोई भी दिलचस्पी नहीं दिखाई है. इससे पहले की सरकार में बुजुर्ग लोगों को जिला के हिसाब से देश के तीर्थस्थलों के निशुल्क दर्शन कराए जाते थे.
योजना के नाम पर पूर्ववर्ती सरकार ने किया जमकर भ्रष्टाचार :वहीं भाजपा की इस मांग पर कांग्रेस ने जोरदार पलटवार किया है. कांग्रेस प्रदेश प्रवक्ता धनंजय सिंह ठाकुर का सीधा आरोप है कि पूर्ववर्ती भाजपा सरकार के द्वारा तीर्थ दर्शन योजना के नाम पर भ्रष्टाचार किया गया है.
वृद्धजनों और दिव्यांगों को ट्रेनों में मिलने वाली छूट के केंद्र सरकार ने की बंद :धनंजय सिंह ठाकुर ने कहा कि '' 2 साल कोरोना कॉल की वजह से तीर्थ यात्रा नहीं हो सकी, अब केंद्र सरकार के द्वारा वृद्धजनों दिव्यांगों को ट्रेनों में दी जाने वाली छूट को समाप्त कर दिया गया है. ऐसे में वृद्धजनों की तीर्थ यात्रा बंद होने के पीछे राज्य नहीं बल्कि केंद्र की मोदी सरकार जिम्मेदार है . धनंजय सिंह ठाकुर ने भाजपा को नसीहत दी है कि रेलों में वृद्धजनों और दिव्यांगों को दी जाने वाली छूट को उन्हें शुरू करने केंद्र सरकार से मांग करें .वही 'मुख्यमंत्री तीर्थ यात्रा' योजना का नाम बदलकर 'तीरथ बरत योजना' करने पर धनंजय ने कहा कि यहां पर दर्शन को बरत कहा जाता है. इसलिए दर्शन की जगह बरत नाम दिया गया था.
60 साल से ऊपर के बुजुर्गों को कराई जाती थी देश के तीर्थ स्थलों की यात्रा :मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन योजना का उद्देश्य छत्तीसगढ़ निवासी 60 साल से अधिक उम्र के वरिष्ठ नागरिकों को उनके जीवन काल में एक बार राज्य के बाहर के तीर्थ स्थानों में से किसी एक या एक से ज्यादा तीर्थों की यात्रा करवाना है. मिली जानकारी के अनुसार के वर्ष 2012-13 में योजना प्रारंभ होने के बाद अब तक 255 तीर्थ यात्राओं के माध्यम से 2 लाख 31 हजार 591 बुजुर्गों और दिव्यांगजनों को देश के तीर्थों का निःशुल्क भ्रमण करवाया गया है. इनमें से छह यात्राएं दिव्यांगजनों के लिए आयोजित की गई. इन यात्राओं में 3 हजार 82 दिव्यांगजनों ने देश के प्रसिद्ध तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया.उनके सहयोग के लिए दो हजार 156 सहायकों और 233 अनुरक्षकों को भी भेजा गया था.
15 जनवरी 2013 को हुई थी योजना की शुरुआत :योजना की शुरूआत 15 जनवरी 2013 को मुख्यमंत्री डॉ. रमन सिंह द्वारा राजधानी रायपुर के रेल्वे स्टेशन विशेष रेलगाड़ी को हरी झण्डी दिखाकर की गई थी. प्रथम वर्ष 2012-13 में 15 यात्राओं में 14 हजार 390, वर्ष 2013-14 में 66 यात्राओं के जरिए 57 हजार 462 और वर्ष 2014-15 में 37 यात्राओं के जरिए 32 हजार 729 लोगों को तीर्थ करने का अवसर मिला.वर्ष 2015-16 में 49 यात्राओं के जरिए 45 हजार 624, वर्ष 2016-17 में 38 यात्राओं के जरिए 34 हजार 729, वर्ष 2017-18 में 39 यात्राओं के जरिए 36 हजार 366 और वर्तमान वित्तीय वर्ष 2018-19 में 11 यात्राओं के जरिए 10 हजार 291 वरिष्ठ नागरिकों ने छत्तीसगढ़ सरकार द्वारा उपलब्ध कराई गई विशेष रेल गाड़ियों में देश के विभिन्न तीर्थ स्थानों का भ्रमण किया.
जानकारी के मुताबिक साल 2019 में भूपेश सरकार द्वारा 5 जुलाई से 27 सितंबर 2019 तक सभी जिलों के बुजुर्गों को प्रस्तावित तीर्थ यात्रा पर भेजना था, लेकिन फंड की कमी के कारण यात्राएं रद्द कर दी गई हैं. सूत्रों के मुताबिक पिछले सत्र के मुख्यमंत्री तीर्थ दर्शन यात्रा के भी लाखों रुपए का भुगतान उस समय तक बकाया था. जिसकी मंजूरी वित्त विभाग में अटकी थी.