रायपुर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने छत्तीसगढ़ में कोयला कारोबारी और आईएएस अफसरों के यहां जांच में वसूली रैकेट का खुलासा किया है. ईडी ने प्रेस कॉन्फ्रेंस कर इस बात का खुलासा किया कि प्रदेश के खनिज विभाग ने खनिज परिवहन के ऑनलाइन सिस्टम को खत्म कर ऑफलाइन कर दिया. जिससे लगभग डेढ़ साल में कोयला परिवहन से 500 करोड़ से ज्यादा की अवैध वसूली हुई है. 25 रुपये प्रति टन कोयला के लिए अवैध वसूली की गई. Illegal recovery in CG Mineral Department
खनिज परिवहन के ऑनलाइन सिस्टम को ऑफलाइन किया: ईडी की जांच से पता चला है कि अवैध कोयला लेवी की जबरन वसूली उस समय तेज हो गई. जब निदेशक, भूविज्ञान और खनन विभाग ने 15 जुलाई 2020 को एक अधिसूचना जारी की. जिसमें खदानों से उपयोगकर्ताओं तक कोयले के परिवहन के लिए ई-परमिट की पूर्व ऑनलाइन प्रक्रिया को मैनुअल एनओसी जारी करने के लिए संशोधित किया गया था. इस संबंध में कोई एसओपी या प्रक्रिया परिचालित नहीं की गई थी. ऑनलाइन सिस्टम में बदलाव का आदेश तत्कालीन खनिज संचालक रहे समीर बिश्नोई ने जारी किया था. Offline System in CG Mineral Transportation
ईडी ने कहा इस घोटाले का मुख्य सरगना रहे सूर्यकांत तिवारी और उनके सहयोगियों ने कोयले पर अवैध लेवी की जबरन वसूली की एक समानांतर प्रणाली चलाने के लिए एक आपराधिक साजिश रची. इससे मिलने वाले ब्लैक मनी का इस्तेमाल बेनामी सपत्तियों में निवेश करने, वरिष्ठ अधिकारियों को प्रभावित करने के लिए अधिकारियों को रिश्वत देने और राज्य के राजनीतिक अधिकारियों द्वारा या उनकी ओर से इस्तेमाल किया जा रहा था.
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ईडी ने इस अवैध उगाही और सबूतों को नष्ट करने के लिए इस साजिश के खिलाफ आयकर विभाग की तरफ से प्राथमिकी के आधार पर मनी लॉन्ड्रिंग जांच शुरू की. ईडी मुख्य सरगना सहित इस साजिश के पूरे पहलू की जांच कर रहा है. छत्तीसगढ़ में कई स्थानों पर एक साथ तलाशी ली और विभिन्न संदिग्धों से आपत्तिजनक सबूत और बेहिसाब की और आभूषण जब्त किए. सूर्यकांत तिवारी फरार हो गया. रानू साहू IAS (कलेक्टर रायगढ़) भी अपने सरकारी आवास से गायब पाई गईं. ईडी ने करीब 4.5 करोड़ रुपये की बेहिसाबी नकदी, सोने के आभूषण, सराफा और करीब दो करोड़ रुपये मूल्य के अन्य कीमती सामान जब्त किए हैं.
15 जुलाई से 30 हजार एनओसी जारी हुई:ईडी की जांच से पता चला कि 15 जुलाई 2020 से बिना किसी एसओपी के 30,000 से अधिक एनओसी जारी किए गए हैं. खनन विभागों में कोई दस्तावेजीकरण प्रणाली नहीं थी. कई जगहों पर हस्ताक्षर गायब थे. नोट शीट गायब हैं. कलेक्टर / डीएमओ की मर्जी से अनापत्ति प्रमाण पत्र जारी किए जाते हैं. आवक और जावक रजिस्टरों का रखरखाव नहीं किया गया. अधिकारियों की भूमिका पर कोई स्पष्टता नहीं है. ट्रांसपोर्टर का नाम, कंपनी का नाम जैसे कई विवरण खाली छोड़ दिए गए हैं.
हर रोज 2 से 3 करोड़ की वसूली: ईडी ने आगे कहा कि सूर्यकांत तिवारी के नेतृत्व में वरिष्ठ अधिकारियों की सहायता से कार्टेल ने जबरन वसूली का एक नटवर्क बनाया, जिसके द्वारा कोयले के प्रत्येक खरीदार / ट्रांसपोर्टर को पहले डीएम कार्यालय से एनओसी प्राप्त करने से पहले 25 रुपये प्रति टन का भुगतान करना पड़ता था. इसकी वसूली के लिए एक समूह बनाया गया था, जो पैसे नेताओं और IAS-IPS अधिकारियों तक पहुंचाते थे. ईडी का अनुमान है कि हर रोज लगभग 2-3 करोड़ रुपये की वसूली होती थी.
आईएएस समीर विशनोई के पास से 47 लाख कैश, सोना और मिले हीरे: आईएएस समीर के घर से 47 लाख कैश, 4 किलो सोना और डायमंड्स मिले हैं. लक्ष्मीकांत तिवारी के पास से 1.5 करोड़ रुपये नकद बरामद किया गया. वह रोजाना 1-2 करोड़ की जबरन वसूली करता था. सुनील अग्रवाल ने सूर्यकांत तिवारी के साथ मिलकर कई इंडस्ट्रीज परचेस की है. कोर्ट ने सभी को 21 अक्टूबर तक के लिए रिमांड पर ईडी को सौंपा है.