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Dussehra 2021 : राक्षस नहीं महापंडित था रावण, लंकेश के इन गुणों को जानकर रह जायेंगे हैरान - Lankesh

दशहरा (Dussehra) में रावण दहन (Ravana Dahan) तो सभी करते हैं पर शायद ही किसी को पता है कि रावण (Ravana) बहुत बड़ा ज्ञानी था, उसके अंदर गुणों का असीम भंडार था. कई जगहों में आज भी रावण की पूजा (Worship of Ravana) की जाती है.

Ravana was not a demon but a great pundit
राक्षस नहीं बल्कि महापंडित था रावण

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Published : Oct 11, 2021, 4:25 PM IST

Updated : Oct 15, 2021, 8:49 AM IST

रायपुरःरामचरित मानस (Ramcharit Manas) हो या फिर रामायण (Ramayana) हर जगह हमने महज रावण (Ravana) को क्रूर राक्षस के तौर पर ही देखा है. लेकिन कम लोग ही ऐसे हैं जो इस बात को जानते हैं कि रावण राक्षस नहीं बल्कि महान पंडित था. जी हां, रावण (Ravana) विद्वान होने के साथ-साथ महान पंडित भी था. रावण की मां राक्षस कुल की थी और रावण को गुस्सा बहुत आता था. यही कारण है कि अक्सर लोग रावण को राक्षस की उपाधि देते हैं. दशहरा में रावण को जलाने (Burn Ravana) की बात हम सब जानते हैं पर रावण एक महान शासक के साथ असीम गुणों से भरा था. आज भी कई जगहों पर रावण की न सिर्फ पूजा होती है, बल्कि दशहरे (Dussehra)के दिन रावण की मौत का शोक भी मनाया जाता है.

महान पंडित का पुत्र था रावण

हालांकि ये कहना गलत होगा कि रावण में बुराईयां थी. रावण महान पंडित विश्रवा के पुत्र थे. विश्रवा की पहली पत्नी भारद्वाज की पुत्री देवांगना थी. जिसका पुत्र कुबेर थे. रावण ने कुबेर को लंका से हटाकर वहां खुद का राज्य कायम किया था. धनपति कुबेर के पास पुष्पक विमान था, जिसे रावण ने छीन लिया था. रावण ने अपने पिता से सभी विद्यायें सीख ली थी. हालांकि अपने नाना सुमाली के नेतृत्व में रहने के कारण रावण के अंदर राक्षस वाली प्रवृत्ति जरूर आ गई थी.

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शिव भक्त था रावण

वहीं, रावण भगवान शिव का परम भक्त था. रावण ने ही शिवतांडव स्त्रोत का निर्माण किया था. कहा जाता है कि एक बार रावण को घमण्ड हो गया था कि वो सर्वशक्तिमान है. उस वक्त उसने भगवान शिव के सिंहासन को ही उठाने का प्रयास किया. हालांकि शिवजी ने रावण के हाथों की छोटी उंगली यानी कि कनिष्ठा पर अपने पैर की एक उंगली रख दी. जिसका भार रावण सहन नहीं कर पा रहा था. कष्ट से कराहते हुए रावण ने शिवतांडव स्त्रोत का पाठ किया, जिसके बाद भगवान शिव से उसने क्षमा भी मांगी. शिव के ही आशिर्वाद से रावण के दस सिर हुए. कहा जाता है कि रावण ने भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए अपने सिर दस बार काट कर अर्पित किए, जिससे भगवान शिव ने प्रसन्न होकर रावण को वरदान दिया.

राजनीति का ज्ञाता

कहा जाता है कि जब रावण मृत्युशैया पर पड़ा था, तब राम ने लक्ष्मण को राजनीति का ज्ञान लेने रावण के पास भेजा. जब लक्ष्मण रावण के सिर की ओर बैठ गए. तब रावण ने कहा- ‘सीखने के लिए सिर की तरफ नहीं, पैरों की ओर बैठना चाहिए. यह पहली सीख है. फिर रावण ने लक्ष्मण को राजनीति के कई गूढ़ रहस्य बताए.

माता सीता को छुआ तक नहीं

बहुत कम लोग जानते हैं कि रावण ने सीता का हरण करने से पहले मां सीता को प्रणाम कर क्षमा मांगी थी. एक सच्चाई ये भी है कि रावण ने भले ही सीता का हरण किया था, लेकिन उसने सीता को छुआ तक नहीं था. रामचरित मानस के अनुसार रावण ने अपने भाई जब खर और दूषण के मरने की खबर सुनी तो उसने सोचा कि ये दोनों मेरी ही तरह बलवान हैं, इन्हें कोई साधारण व्यक्ति नहीं मार सकता. निश्चित तौर पर इश्वर ने धरती पर जन्म ले लिया है. फिर अपनी मुक्ति का सोच कर ही रावण ने श्री राम से बैर लिया और माता सीता का छल से हरण कर लिया.

रावण के लिखे उपाय लाल किताब में है वर्णित

भले ही रावण को बुराई का अंत करने के लिए जलाया जाता हो, पर रावण के अकूत अच्छाईयां भरी हुई थी, जिसे कम लोग ही जानते हैं. आज रावण के लिए कई मंत्र और उपाय लोग आम तौर पर जीवन में उपयोग करते हैं, जिसका लोगों को खास लाभ भी मिलता है. कहा जाता है कि रावण के लिखे उपाय लाल किताब में वर्णित है. वहीं, रावण संहिता में रावण ने कई ऐसी औषधियों को लिखा है, जिसके बारे में आज के चिकित्सक सोच भी नहीं सकते.

Last Updated : Oct 15, 2021, 8:49 AM IST

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