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पॉलीट्रॉमा और इंटरनल इंजरी क्यों है खतरनाक - पॉलीट्रॉमा और इंटरनल ऑर्गन इंजरी में अंतर

कई तरह के सड़क हादसों में अक्सर लोगों को बाहरी तौर पर ज्यादा चोट नहीं लगती है.बावजूद इसके वो अस्पताल पहुंचते तक दम तोड़ देते हैं. ऐसे में सवाल उठते हैं कि क्यों हादसे में घायल व्यक्ति ने दम तोड़ दिया. इस बात का जवाब एक्सपर्ट ने बताया. एक्सपर्ट्स की माने तो हादसों के वक्त ज्यादातर मामलो में इंटरनल ऑर्गन इंजरी होती है. जो दिखाई नहीं देती. घायल व्यक्ति की जांच करने के बाद ही ऐसी जानलेवा चोटों का पता लगता है. मेडिकल भाषा में इन चोटों को पॉलीट्रॉमा कंडीशन कहते हैं.Polytrauma and Internal Injury

पॉलीट्रॉमा और इंटरनल इंजरी क्यों है खतरनाक
पॉलीट्रॉमा और इंटरनल इंजरी क्यों है खतरनाक

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Published : Sep 6, 2022, 7:43 PM IST

रायपुर : देश में लगातार सड़क हादसे के मामले बढ़ते जा रहे हैं. हाल ही में टाटा ग्रुप के पूर्व चेयरमैन साइरस मिस्त्री की मौत सड़क दुर्घटना से हुई है. पोस्टमार्टम में यह पता चला कि हेड इंजरी और इंटरनल ऑर्गन इंजरी के वजह से साइरस मिस्त्री की मौत हुई है. मल्टीपल इंजरी और इंटरनल ऑर्गन इंजरी को मेडिकल भाषा में "पॉलीट्रोमा" कहा जाता है. पॉलीट्रोमा और इंटरनल ऑर्गन इंजरी क्या होता है? यह कितना खतरनाक है? इस तरह की इंजरी होने पर क्या करना चाहिए? इस बारे में ईटीवी भारत ने मेकाहारा के ऑर्थोपेडिक ट्रामा एंड ज्वाइंट रिप्लेसमेंट सर्जरी डिपार्टमेंट के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉ अभिषेक तिवारी से बातचीत की.

पॉलीट्रॉमा और इंटरनल इंजरी क्यों है खतरनाक
क्या होता है पॉलीट्रोमा?सर्जन डॉ अभिषेक तिवारी ने बताया " पॉलीट्रोमा का बेसिक मतलब शरीर में मल्टीपल इंजरी से है. इसे ऐसे समझा जा सकता है कि जैसे आप किसी से जोर से टकराते हैं तो आपके सिर , हाथ , पैर , घुटने जैसे अलग-अलग जगह गंभीर चोट लगना और हड्डी टूटना इसको मल्टीपल इंजरी कहते हैं. पॉलीट्रोमा हाई वेलोसिटी से होने वाले हादसों में देखने को मिलता है. हाई वेलोसिटी से होने वाले हादसों में पॉलीट्रोमा के साथ इंटरनल ऑर्गन इंजरी भी होती है. इंटरनल ऑर्गन इंजरी में आपके शरीर के अंदर के ऑर्गन डैमेज हो जाते (Polytrauma Dangerous in road accidents ) हैं.

पॉलीट्रॉमा और इंटरनल ऑर्गन इंजरी में अंतर : सर्जन डॉ अभिषेक तिवारी ने बताया " पॉलीट्रोमा और इंटरनल ऑर्गन दोनों लगभग सिमिलर है। लेकिन पॉलीट्रोमा में जरूरी नहीं है कि इंटरनल ऑर्गन इंजरी भी हुई हो. जैसे पैर-हाथ कि अगर एक्सीडेंट में हड्डी टूटी है तो जरूरी नहीं है कि इससे इंटरनल ऑर्गन भी डैमेज हुए हो. वहीं एक्सीडेंट में अगर इंटरनल ऑर्गन इंजरी है तो यह जरूरी नहीं कि हाथ और पैर की हड्डी भी टूटी हो. यह डिपेंड करता है कि हादसा कितना बड़ा था और कहां पर कितनी चोट आई (difference between Polytrauma and Internal Injury) है.


लौ वेलोसिटी एक्सीडेंट में पॉलीट्रोमा :सर्जन डॉ अभिषेक तिवारी ने बताया " पॉलीट्रोमा और इंटरनल ऑर्गन इंजरी जरूरी नहीं है कि हाई वेलोसिटी से एक्सीडेंट होने पर ही हो। लौ वेलोसिटी से एक्सीडेंट होने पर भी इस तरह के इंजरी देखने को मिलती है। लौ वेलोसिटी एक्सीडेंट से भी आपको लंग इंजरी कार्डियक इंजरी , रिब्स फैक्चर , चेस्ट इंजरी हो सकता है। इंटरनल ऑर्गन इंजरी होने से शरीर के अंदर अलग-अलग जगह से खून निकलना और आपके महत्वपूर्ण ऑर्गन तक खून का प्रभाव ना होना जिससे मौत भी हो सकती है। "



कैसे पता लगाए इंटरनल इंजरी :सर्जन डॉ अभिषेक तिवारी ने बताया " सड़क हादसों में यह कॉमन मैन के लिए बता पाना मुश्किल है कि किसी को भी इंटरनल ऑर्गन इंजरी हुई है। सांस लेने में दिक्कत होना. नब्ज चेक करके बताना कि वह धीमी हो चुकी है. अगर इंटरनेट ब्लड लॉस होता है तो उसे नब्ज धीमी हो जाती है. यह कुछ तरीके हैं जिससे इंटरनल ऑर्गन इंजरी के बारे में पता लगाया जा सकता है. लेकिन सबसे अच्छा यह है कि अगर गंभीर सड़क हादसा हुआ हो तो तत्काल एंबुलेंस को फोन कर बुलाया जाए और स्पेशलाइज डॉक्टर की सलाह ली जाए.''

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