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कोरोना ने गुप्त नवरात्रि की चमक की फीकी, नहीं दिखी श्रद्धालुओं की भीड़ - कोरोना के कारण मंदिरो में कम दिखी भीड़

गुप्त नवरात्रि के दौरान हर साल मंदिरों में श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता था, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण मंदिरों में भक्तों की भीड़ कम है.

mahamaya mandir
महामाया मंदिर

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Published : Jun 27, 2020, 9:28 PM IST

रायपुर: गुप्त नवरात्रि के दौरान माता का गुप्त श्रृंगार किया जा रहा है. हर साल इस समय मंदिरों में श्रद्धालुओं की आवाजाही रहती थी, लेकिन इस साल कोरोना वायरस के कारण मंदिरों में भक्तों की संख्या कम देखने को मिल रही है. मां महामाया मंदिर में भी इस मौके पर माता का विशेष श्रृंगार किया जा रहा है. मंदिरों में गुप्त नवरात्रि के दौरान गुप्त पूजा और गुप्त सेवा साधना होती है. गुप्त नवरात्रि होने की वजह से कोई भी प्रत्यक्ष कार्यक्रम इस दौरान नहीं किए जाते हैं. सभी दिनों में माता के अलग-अलग रूप के लिए श्रृंगार और पूजा अर्चना होती है. वहीं सोमवार को गुप्त नवरात्रि का समापन होगा.

गुप्त नवरात्रि पर नहीं दिखे श्रद्धालु

मां महामाया मंदिर के पुजारी मनोज शुक्ला के मुताबिक साल में 4 बार पौष, चैत्र, आषाढ़ और अश्विन महीने में नवरात्रि मनाई जाती है. मां दुर्गा को समर्पित नवरात्रि में उनके नौ रूपों की आराधना की जाती है. आषाढ़ मास की गुप्त नवरात्रि विशेषकर तांत्रिक क्रियाएं शक्ति साधना महाकाल से जुड़े लोगों के लिए खास महत्व रखती है. आमतौर पर इस नवरात्रि में देर रात तक पूजा की जाती है. यह नवरात्रि 21 से 29 जून तक मनाई जा रही है. माता के नौ रूपों और 10 महाविधाओं की पूजा होती है. नवरात्रि के पहले दिन शैलपुत्री, दूसरे दिन ब्रह्मचारिणी, तीसरे दिन चंद्रघंटा, चौथे दिन कुष्मांडा, पांचवें दिन स्कंदमाता, छठवें दिन कात्यायनी, सातवें दिन कालरात्रि, आठवें दिन महागौरी और नौंवे दिन सिद्धिदात्री माता की पूजा की जाती है और नौ देवियों के साथी 10 महाविद्याओं की भी विशेष पूजा की जाती है. 10 महाविद्या में काली, तारा, त्रिपुर, सुंदरी, धूमावती, बगलामुखी, मातंगी और कमला शामिल हैं.

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चैत्र नवरात्र बड़ी अश्विन नवरात्रि को मानते हैं. हर महीने एकम से नवमी तक नवरात्रि होती है. चैत्र माह की नवरात्रि को बड़ी नवरात्रि और आश्विन माह की नवरात्रि को छोटी नवरात्रि माना जाता है. साथ ही बड़ी नवरात्रि को बसंत और छोटी नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है. मान्यता के अनुसार तुलजा भवानी को बड़ी माता और चामुंडा माता को छोटी माता कहा जाता है. संवत की शुरुआत में बसंत नवरात्रि और शरद नवरात्रि के बीच 6 महीने का फासला होता है.

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