राजधानी रायपुर में साइबर अपराध (Cyber crimes) की लगातार बढ़ती घटनाएं पुलिस के लिए नई चुनौती है. कोरोना काल के बाद से खास कर नेट बैंकिंग, ई-वॉलेट (Net Banking, E-Wallet) का प्रचलन बढ़ने के साथ ही साइबर अपराधी (cyber criminals) भी अधिक सक्रिय हुए हैं.
रायपुर में बढ़ा साइबर क्राइम का ग्राफ
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Published : Oct 24, 2021, 6:00 PM IST
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Updated : Oct 24, 2021, 7:16 PM IST
रायपुरः साइबर अपराध (Cyber crimes) की लगातार बढ़ती घटनाएं पुलिस के लिए नई चुनौती है. कोरोना काल के बाद से खास कर नेट बैंकिंग, ई-वॉलेट (Net Banking, E-Wallet) का प्रचलन बढ़ने के साथ ही साइबर अपराधी भी अधिक सक्रिय (Cyber criminals also active) हुए हैं. लापरवाही और लालच में आकर लोग बड़ी संख्या में साइबर ठगों का शिकार बन रहे हैं.
अपनी सालों की जमा पूंजी गंवा रहे हैं. इस साल जनवरी से लेकर अब तक के आंकड़ों पर नजर डालें तो साइबर ठगी के मामलों में इजाफा हुआ है, जो काफी चिंताजनक है. पुलिस भी साइबर ठगी के मामलों में शिकंजा कसने का दावा कर रही है, लेकिन आंकड़े कुछ और ही बयां करते हैं.
पुलिस केवल बैंक डिटेल की करते हैं जांच ठगी की वारदात को अंजाम देने के लिए साइबर ठग नए-नए पैटर्न तैयार कर रहे हैं. पुलिस अधिकारी केवल बैंक डिटेल की जांच से केसों को साल्व कर रहे हैं. हाईटेक उपकरण ना मिलने की वजह से सैकड़ों केस पेंडिंग पड़े हैं. इन केसों में अफसर जांच करने की बात कहते हुए बयान बाजी करने से बचते हैं. ठगी के केसों में राशि की रिकवरी में कई बार भारी मशक्कत का सामना करना पड़ता है.
जनवरी से अब तक 15 सौ से अधिक कंप्लेन राजधानी रायपुर में कुछ लोग लालच में तो कुछ लोग जागरूकता की कमी की वजह से बड़ी संख्या में साइबर ठगों का शिकार हो रहे हैं. राजधानी में जनवरी से लेकर अब तक के यदि आंकड़ों की बात की जाए तो चिंताजनक है. ऑनलाइन ठगी की ऑनलाइन पोर्टल पर 978 शिकायतें हुई हैं. जिसमें से 3 लाख 34 हजार 531 रुपये रिफंड किया जा चुका है. जबकि 10 लाख 17 हजार 375 रुपये होल्ड है. इसके अलावा ऑफलाइन शिकायतें 620 हैं. जिसमें से 20 लाख 82 हजार 911 रुपये रिफंड किए जा चुके हैं.
केस - 1 राजधानी रायपुर के तेलीबांधा में ऑनलाइन मार्केटिंग का काम करने वाले अमन अग्रवाल ऑनलाइन ठगी का शिकार हुए हैं. अमन ने एयरफोन को 12 हजार में बेचने के लिए एक ऐड दिया था. जिसके बाद ठग ने खुद को आर्मी में होने और एयरफोन खरीदने दोस्त के फोन आने की बात कही. इसके बाद व्हाट्सएप पर एक रुपए का क्यूआर कोड भेज कर स्कैन करने को कहा. फिर दो बार और क्यो आर कोड भेजा और करीब 3 लाख रुपये ले उड़े.
केस - 2 बिजली विभाग के रिटायर्ड अभनपुर निवासी अशोक साहू को 17 जून को साइबर ठगों ने बैंक अधिकारी बन कर मृत बेटे का खाता अपडेट करने के नाम पर फोन किया. उनसे उनके बैंक खाता नंबर, मोबाइल नंबर, आधार नंबर, पैन नंबर आदि की जानकारी लेने के बाद उनसे 15 दिनों तक बातचीत करते रहे. इस दौरान उनके मोबाइल में ओटीपी भेजते रहे. अशोक हर बार ठगों को मोबाइल में आए ओटीपी को शेयर कर देते थे. जिससे उनके खातों से 50 हजार से लेकर 10 लाख तक निकाल लेते थे. ठगों ने उनके बैंक खाते से कुल 63 लाख 33 हजार रुपये का आहरण किया था.
अलग अलग खातों में ट्रांसफर कर आहरण कहीं, ऑनलाइन ठगों का बड़ा गिरोह होता है. जो ठगी की राशि को एक बैंक खाते से दूसरे में, फिर दूसरे से तीसरे में, ऐसे कई बैंक खातों में ट्रांसफर करता है और फिर अंत में उस राशि को एटीएम के जरिए या नगद आहरण कर लेते हैं. यह पैसा फिर वापस नहीं आता.
24 घंटे में करें शिकायत ऑनलाइन ठगी के मामलों में बैंक खाते या उससे जुड़े डेबिट क्रेडिट कार्ड, पेटीएम फोन पर आदि के जरिए पैसों का ट्रांजैक्शन निकालते हैं. सभी के अलग-अलग पेमेंट गेटवे रहते हैं. जिसमें बैंक खाते से निकली राशि 24 घंटे तक उस में रहती है. इस दौरान अगर पुलिस के पास मामला आता है तो बैंक वालों की मदद से उस पेमेंट गेटवे को ब्लॉक करवा कर ठगी की राशि को वापस किया जा सकता है.
इस नंबर पर करें कॉल ऑनलाइन ठगी के मामलों को देखते हुए साइबर सेल की ओर से हेल्पलाइन नंबर 155260 जारी किया गया है. ठगी होते ही पीड़ित इसमें अपनी शिकायत दर्ज करा सकते हैं. शिकायत दर्ज होते ही साइबर सेल की टीम ठगी की राशि वापस कराने का प्रयास करेगी.
साइबर ठगों से बचने के लिए अवेयरनेस जरूरी पुलिस अधिकारियों के मुताबिक साइबर ठगी से बचने के लिए केवल जागरूकता जरूरी है. लोग लालच के फेर में ठगों की बातों में आ जाते हैं और ठगी का शिकार हो जाते हैं. जब तक पीड़ित पुलिस के पास पहुंचते हैं, तब तक ठग, ऐंठे हुए पैसों को विड्रॉल कर लेते हैं. पुलिस अधिकारियों के अनुसार यदि कोई ठगी का शिकार होता है तो उसे तत्काल अपने निकटतम थाना या रायपुर साइबर सेल को घटना के बारे में बताना चाहिए. साइबर सेल प्रभारी की माने तो ठगी के मामले में इंटर्नल जांच की जाती है.
साल
ऑनलाइन अपराध
रिफंड रकम
2018
348
18 लाख 71 हजार 146 रुपये
2019
548
38 लाख 836
2020
660
22 लाख 25 हजार 939
2021
1598
24 लाख 17 हजार 442 रुपये
साइबर क्राइम से बचने के उपाय
अगर कोई अपनी कोई व्यक्ति किसी एप्लीकेशन को डाउनलोड करने के लिए कहता है तो एप्लीकेशन डाउनलोड ना करें
केवाईसी करने के नाम पर आप से 1 या 10 रुपये आपके ही बैंक अकाउंट में ट्रांसफर करने के लिए कहते हैं तो ऐसा नहीं करें
एटीएम बूथ पर पैसे निकालते वक्त सावधान रहें सजग रहें, ताकि आपका पैसा सुरक्षित रहे
कोई व्यक्ति कभी भी किसी एटीएम बूथ से कार्ड के द्वारा ट्रांजैक्शन करे तो अपना पिन किसी को ना बताएं
ट्रांजैक्शन करने में असमर्थ होने पर किसी भी अब अपरिचित व्यक्ति की सहायता ना लें
किसी भी व्यक्ति के साथ अपने बैंक डिटेल एटीएम कार्ड नंबर कार्ड की एक्सपायरी एवं कार्ड पर पीछे लिखे 3 डिजिट नंबर को किसी के साथ शेयर ना करें.
धोखाधड़ी होने की स्थिति में तत्काल साइबर सेल, बैंक के कस्टमर केयर नंबर पर कॉल करें
नेट बैंकिंग का इस्तेमाल हमेशा अपने पर्सनल कंप्यूटर लैपटॉप या फोन पर करें
किसी अपरिचित नंबर से फोन मैसेज या व्हाट्सएप मैसेज पर कोई लिंक या फोटो आए तो उस पर क्लिक ना करें