रायपुर: भरत, शिवानंद नगर में अपनी मां , पत्नी और एक बेटे के साथ खुशी-खुशी जीवन बिता रहे थे. कोरोना की पहली लहर आई तो सभी अपना ध्यान रख रहे थे. परिवार में सबकुछ ठीक चल रहा था. खुशियां चहक रही थीं. कोरोना की दूसरी लहर ने परिवार की खुशियों पर ग्रहण लगा दिया. (son lost his mother in covid second wave raipur )
भरत की मां को कोरोना संक्रमण कैसे हुआ?
भरत ने बताया कि, ''हम सभी अपनी सेहत का ध्यान रख रहे थे. सभी कोरोना को लेकर जागरूक थे. मुझे और मेरी मां को घर के रोजमर्रा की जरूरतों का सामान लेने आसपास जाना पड़ता था. 22 मार्च 2021 की सुबह मां कुछ देर के लिए सब्जी लेने बाहर निकली थी. वह दिन भर स्वस्थ रहीं. अचानक शाम से उन्हें खांसी होने लगी. हमने अपने परिचित डॉक्टरों से बातचीत कर खांसी और सर्दी की दवाइयां भी मां को दीं. लेकिन मां की सेहत ठीक नहीं हुई. खांसी बढ़ती जा रही थी. जब मां की तकलीफ बढ़ने लगी तो हमने स्वास्थ विभाग की ओर से जारी किए गए नंबर पर संपर्क किया और मां की हालत की जानकारी दी. स्वास्थ्य अमला हमारे घर पहुंचा और मां का कोरोना टेस्ट किया. कोरोना टेस्ट में राहत की बात यह रही कि मां की रिपोर्ट नेगेटिव आई. जिससे घबराहट थोड़ी कम हुई.
भरत ने बताया कि, ''कोरोना टेस्ट रिपोर्ट नेगेटिव आने के 5-6 दिन बाद भी मां की खासी रुकने का नाम नहीं ले रही थी. हम लोगों से मां की तकलीफ देखी नहीं जा रही थी. 30 मार्च 2021 को हम, मां को लेकर हॉस्पिटल पहुंचे तब कोरोना के मामले बढ़ गए थे. जिस हॉस्पिटल में हम गए वह कोविड हॉस्पिटल बना दिया गया था. यहां अस्पताल प्रबंधन ने हमसे कहा कि कोविड पॉजिटिव आने पर ही हम मरीज को एडमिट कर पाएंगे. जिसके बाद हमें निराश होकर घर लौटना पड़ा. घर पर ही हम मां को लगातार सर्दी-खांसी की टेबलेट देते रहे. कुछ मित्रों से संपर्क कर मां की तबीयत में सुधार न होने की जानकारी दी. मैंने उन्हें बताया कि मां का कोरोना टेस्ट नेगेटिव आया है. लेकिन उन्हें खांसी और सर्दी से निजात नहीं मिल रही है. दोस्तों ने सलाह दी कि मैं, मां का कोरोना टेस्ट दोबारा करवाऊं. 3 दिन का समय गुजर चुका था.
2 अप्रैल की रात को हमने दोबारा स्वास्थ्य विभाग में कॉल किया और मां का कोरोना टेस्ट करने का आग्रह किया. 3 अप्रैल को विभाग ने टेस्ट के लिए दो कर्मियों को हमारे घर भेजा. इस बार स्वास्थ्यकर्मियों की वेशभूषा बिल्कुल अलग थी. दोनों स्वास्थ्य कर्मचारी पीपीई किट पहने हुए थे. जैसे ही दोनों घर के अंदर आए, वैसे ही हमारे घर का माहौल भी अलग सा हो गया. मां के चेहरे पर चिंता की लकीरें साफ दिखाई देने लगी. दोनों कर्मियों ने कोरोना टेस्ट के लिए मां का सैंपल लिया. दूसरे दिन रिपोर्ट देने की बात कहकर वे दोनों वापस लौट गए.
अस्पताल में भर्ती करने की कहानी
भरत ने बताया कि, ''3 अप्रैल को सैंपल देने के बाद हम कोरोना टेस्ट की रिपोर्ट का इंतजार कर रहे थे. इन सभी प्रक्रियाओं के बीच मेरी मां की हालत और बिगड़ने लगी, उन्हें सांस लेने में भी तकलीफ होने लगी. लगातार खांसी से वो परेशान होती रहीं. जैसे-जैसे रात होती गई, मां की तकलीफें बढ़ने लगी. हम सभी परिजनों के लिए इस वक्त का एक-एक सेकंड कई घंटों की तरह गुजर रहा था. इस दौरान मैंने कई हॉस्पिटल्स में फोन कर एम्बुलेंस भेजने की भी गुहार लगाई. लेकिन सभी जगह से निराशा ही हाथ लगी. मन की बेचैनी समय के साथ बढ़ती जा रही थी. हम बेबस थे. पूरा परिवार भगवान से जल्दी सूरज निकलने की प्रार्थना कर रहा था. शायद यह हम सबके जीवन की सबसे लंबी रात थी. अलसुबह (4 अप्रैल ) मैंने उन अस्पतालों में एम्बुलेंस के लिए फिर गुहार लगाई, जिन्होंने रात में आश्वस्त किया था कि दिन निकलते ही वे एम्बुलेंस भेज देंगे. लेकिन बदकिस्मती से कहीं से भी एम्बुलेंस की व्यवस्था नहीं हो पाई.''
मौत की कहानी