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स्कूलों में शत-प्रतिशत बच्चों की उपस्थिति ने बढ़ाई अभिभावकों की चिंता, कहा-सबसे पहले तो सेफ्टी जरूरी

प्रदेश में कोरोना का खतरा (danger of corona) अभी भी टला नहीं है. धीरे-धीरे प्रदेश में संक्रमित मरीजों की संख्या (number of infected patients) बढ़ रही है. ऐसे में स्कूलों में बच्चों की शत-प्रतिशत उपस्थिति के निर्णय (Decision for 100% attendance of children in school) से अभिभावकों में चिंता की लकीर गहरी हो गई है.

Concern among parents over the presence of children in school
स्कूल में बच्चों की उपस्थिति पर अभिभावकों में चिंता

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Published : Nov 18, 2021, 5:26 PM IST

Updated : Nov 18, 2021, 6:29 PM IST

रायपुरःप्रदेश में कोरोना का खतरा (danger of corona) अभी भी टला नहीं है. धीरे-धीरे प्रदेश में कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या (number of corona infected patients) बढ़ रही है. यह एक बड़ी चिंता का विषय है. वैक्सीनेशन की बात की जाए तो प्रदेश में लगभग ढाई करोड़ लोगों को वैक्सीन लगाया जा चुका है. लेकिन अब तक बच्चों की वैक्सीन (children vaccine) बाजार में नहीं आई है. इसलिए प्रदेश के 42 लाख बच्चों का वैक्सीनेशन नहीं हो पाएगा (42 lakh children will not be able to get vaccinated).

स्कूल में बच्चों की उपस्थिति पर अभिभावकों में चिंता

ऐसे में 100% उपस्थिति के साथ स्कूल खोला जाना एक चिंता का विषय बन गया है. परिजनों का कहना है कि जब तक बच्चों को वैक्सीन नहीं लग जाता, तब तक 100% उपस्थिति के साथ स्कूल नहीं खोला जाना चाहिए. बता दें कि पिछले दिनों शिक्षा मंत्री द्वारा बयान आया था कि कैबिनेट में 100% उपस्थिति के साथ स्कूल खोले जाने को लेकर चर्चा की जाएगी. इसके लिए शिक्षा विभाग द्वारा तैयारी भी की जा रही है. वहीं, इसको लेकर ईटीवी भारत ने कुछ परिजनों और बच्चों से और साइकैटरिस्ट से बात कि आइए जानते हैं उनका क्या कहना है?


परिजनों का कहना है कि 100% उपस्थिति के साथ जो स्कूल खुलने की बात चल रही है, वह शिक्षा विभाग और स्कूलों की मिली-भगत है. अगर 100% उपस्थिति के साथ स्कूल खोले जाते हैं तो बच्चों की सिक्योरिटी (security) का क्या होगा? अभी कोविड खत्म हुआ तो नहीं है. कोविड अभी भी है. उन्होंने कहा कि 50% उपस्थिति के साथ स्कूल खुलेंगे लेकिन वह भी कारगर साबित नहीं हुआ. क्योंकि अभी भी बच्चे संक्रमित मिल रहे हैं. अभी सरकार की जो बैठक होने वाली है, उसमें 100 उपस्थिति के साथ स्कूल खोले जाने को लेकर निर्णय लिया जाना है.

इससे स्पष्ट होता है कि सरकार भी कहीं ना कहीं शिक्षा माफियाओं के साथ मिली हुई है. स्कूल बच्चों के माध्यम से परिजनों पर फीस को लेकर दबाव बनाना चाहते हैं और 2 महीने स्कूल खोलने का क्या मतलब रहा? अगर स्कूल खोल भी दिए जाते हैं तो बच्चों पर प्रेशर बढ़ेगा. ऊपर से परिजनों पर पुस्तकों, कपड़ों, जूतों, बस भाड़ा का एक्स्ट्रा खर्चा बढ़ेगा. फीस को लेकर परिजनों पर प्रेशर बढ़ेगा और पूरे साल भर की बसों की फीस वसूली जाएगी.

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कौन लेगा सुरक्षा की जिम्मेवारी?

उन्होंने कहा कि एक चीज समझ में नहीं आती है कि बच्चों को अभी तक वैक्सीन लगा नहीं है. बच्चों को अगर कोई खतरा होता है तो उसकी जिम्मेदारी कौन लेगा. राज्य सरकार लेगी या स्कूल लेगा? मेरा मानना यह है कि जब तक वैक्सीनेशन बच्चों का नहीं होता, तब तक पालक अपने बच्चों को स्कूल ना भेजें. ऑनलाइन क्लास अभी चल रही है और ऑनलाइन क्लास स्कूल बंद नहीं कर सकता. बच्चों की सेफ्टी सबसे जरूरी है.

स्कूल खोले जाने पर बनेगा बच्चों में मानसिक दबाव
बच्चों का भी यही कहना है कि अभी ऑनलाइन पढ़ाई (online study) अच्छे से चल रही है और साल खत्म होने में सिर्फ 3 महीना ही बाकी है. ऐसे में स्कूल खोले जाने पर हम पर एक्स्ट्रा बर्डन बढ़ेगा. 100% उपस्थिति के साथ अगर स्कूल खोले जाते हैं तो हम अपने दोस्तों से मिलेंगे. ऐसे में वैक्सीनेशन अभी तक हमारा नहीं हुआ है तो वह कोविड का खतरा लगातार मंडराता रहेगा. साइकैटरिस्ट डॉ. सुरभि दुबे (Psychiatrist Dr. Surbhi Dubey) ने बताया कि 100% उपस्थिति के साथ अगर स्कूल खुल जाते हैं तो अभी बच्चों के लिए यह थोड़ा चैलेंजिंग होगा.

क्योंकि अभी तक बच्चे घरों में ऑनलाइन क्लासेस ले रहे थे. तो घर में डिसिप्लिन इतनी जरूरी नहीं होती है. बच्चे घूमते-फिरते बैठते-उठते कभी भी ऑनलाइन क्लास आसानी से ले पा रहे थे. लेकिन 100% उपस्थिति के साथ स्कूल खोले जाने पर बच्चों को डिसिप्लिन के साथ सुबह जल्दी उठकर स्कूल जाने के लिए रेडी होना पड़ेगा. स्कूल जाने के बाद घंटों उन्हें एक ही जगह बैठना पड़ेगा. ऐसे में उन्हें परेशानी हो सकती है. ऑनलाइन क्लासेस में ना उतनी कड़ाई से पढ़ाई होती थी ना ही उतने होमवर्क दिए जाते थे.

Last Updated : Nov 18, 2021, 6:29 PM IST

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