रायपुर :छत्तीसगढ़ के स्पंज आयरन उद्योग समेत नॉन पावर सेक्टर उद्योग इन दिनों कोयले के संकट से जूझ रहे हैं. प्रदेश के नॉन पावर सेक्टर को सिर्फ 40 फ़ीसदी कोयले की आपूर्ति हो रही है. जिसके कारण उद्योग का उत्पादन 50 फीसदी कम हो गया है. नॉन पावर सेक्टर के उद्योगों को पर्याप्त मात्रा में कोयला नहीं मिलने से ताले बंदी (Chhattisgarh non power sector industries affected) जैसी नौबत आ गई है.
छत्तीसगढ़ में गहराया कोल संकट कोल इंडिया ने की सप्लाई बंद :पूर्व में राज्य सरकार ने एसईसीएल से बातचीत करके कोयले की व्यवस्था रोलिंग मिल के लिए करवाई थी. लेकिन कोल इंडिया ने 3 मार्च को आदेश जारी कर प्राइवेट एजेंसियों के कोल सप्लाई को बंद कर (Coal India stopped supply) दिया. जिसके बाद कोयले के लिए रोलिंग मिल संचालकों को सीएसआईडीसी पर निर्भर होना पड़ गया है. सीएसआईडीसी को साल में 60 हजार टन कोयला अलॉट किया जाता है. लेकिन छत्तीसगढ़ में ही रोलिंग मिल को 1 साल में 30 लाख से 40 लाख टन कोयले की आवश्यकता है.
कोयला करना पड़ रहा इंपोर्ट :कोयले की कमी के कारण अब कोयला बाहर से मंगाना पड़ रहा है. कोल महंगा होने के कारण अब रोलिंग प्लांट का काम 1 सप्ताह होता है और दूसरे सप्ताह बंद रहता है. यूक्रेन में युद्ध होने के कारण बाहर से भारत में इंपोर्ट होने वाले कोयले की कीमत बढ़ गई है. पहले जो इम्पोर्ट कोयला 6000 रुपए से 7000 हजार रुपए प्रति टन मिला करता था. आज वो 17 हजार रुपए प्रति टन में हो चुका है.
SECL का सालाना उत्पादन 150 मिलियन टन से ज्यादा लेकिन 20 मिलियन टन के लिए हाय तौबा
8 से 10 रोलिग मिले हुई बंद :छत्तीसगढ़ रोलिंग मिल एसोसिएशन के अध्यक्ष मनोज अग्रवाल ने बताया ''कोयले की आपूर्ति नहीं होने के कारण पिछले 1 महीने में छत्तीसगढ़ की 10 रोलिंग मिल बंद हुई है. सरकार इस ओर ध्यान नहीं देगी और कोल संकट दूर नहीं किया गया. तो आने वाले समय में प्रदेश की सारी रोलिंग मिलें बंद हो जाएंगी.''
नॉन पावर सेक्टर की हालत पतली :छत्तीसगढ़ स्पंज आयरन एसोसिएशन के अध्यक्ष अनिल नचरानी का कहना है कि ''छत्तीसगढ़ राज्य का कोयला बाहर दूसरे पावर सेक्टरों को भेजा जा रहा है. जिसके कारण छत्तीसगढ़ के नॉन पावर सेक्टर उद्योग में ताले बंदे जैसी स्थिति निर्मित हो गई है. कोयले का जो संकट खड़ा हुआ है ऐसी स्थिति में कोल इंडिया को कोयले का प्रोडक्शन बढ़ाना पड़ेगा.''
कोल इंडिया पर है जिम्मेदारी : अनिल का कहना है कि ''कोल इंडिया के सभी अधिकारियों को सारी स्थितियां पता है.अब उनके परफॉर्मेंस की बारी है कि कैसे देश में कोयले का प्रोडक्शन बढ़ाया जाए. जिस तरह की स्थितियां निर्मित हो रही है. ऐसा प्रतीत होता है कि कोल इंडिया सेंट्रल गवर्नमेंट की नीति विफल साबित हो रही है. कोयले को लेकर केंद्र सरकार को फिर से नई नीति बनानी चाहिए. इसके साथ ही प्रोडक्शन बढ़ाने की दिशा में कदम उठाना पड़ेगा. अगर इस तरह से निर्णय लिया जाएगा. तो देश से कोयले की समस्या 2 महीने के भीतर ही ठीक हो जाएगी''
किन उद्योगों पर संकट :जानकारी के अनुसार छत्तीसगढ़ में कोयले के संकट की वजह से स्टील उत्पादन से जुड़े उद्योगों का पूरा चेन प्रभावित हो गया है. 100 स्पंज आयरन उद्योग और उन पर निर्भर लगभग 150 रोलिंग मिल, 150 फर्नेस यूनिट और लगभग 200 वायर ड्राइंग यूनिट प्रभावित हैं. स्पंज आयरन उद्योग पूरी तरह से एसईसीएल के कोयले पर निर्भर है. छत्तीसगढ़ में स्पंज आयरन उद्योग को हर महीने 15 लाख टन कोयले की जरूरत पड़ती है.
सीमेंट उद्योग पर कोयले का संकट :बलौदा बाजार जिले के सीमेंट संयंत्रों से जुड़े लोगों ने बताया कि उन्हें भी कोयले के संकट का सामना करना पड़ रहा है. एसईसीएल द्वारा सीमेंट संयंत्रों में कोयले की आपूर्ति लगभग बंद कर दी गई है. कोल माइन्स से निकलने वाले अधिकांश कोयले को पावर सेक्टर कंपनियों को ही दिया जा रहा है. जिसके चलते सीमेंट प्लांट में कोयले की शॉर्टेज है.