रायपुरःमुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने महासमुंद दौरे पर रवाना होने से पहले मीडिया से की गई चर्चा में कहा कि भारतीय जनता पार्टी शासित राज्य (State ruled by Bharatiya Janata Party) में आज क्या हो रहा है? उत्तर प्रदेश में एक साधु की हत्या (Sadhu murdered in Uttar Pradesh) हो जाती है. दिल्ली के कोर्ट में हमले (Attack in Delhi Court) हो रहे हैं. भाजपा यहां हम लोगों को नसीहत देती है. उन्होंने व्यंग करते हुए 'पर उपदेश कुशल बहुतेरे' लोकोक्ति भी पढ़ डाली.
नक्सलवाद को लेकर अमित शाह (Amit Shah's meeting on Naxalism) के द्वारा बुलाई गई बैठक में शामिल नहीं होने के जवाब में सीएम ने कहा कि सीएस और डीजीपी (CS and DGP) को भेज दिया गया था. चूकी हमने एक समाज के कार्यक्रम के लिए पहले से समय दे दिया था. अमित शाह से इससे पहले भी हमारी इस समस्या पर कई बार बात हो चुकी है. इसे राजनीतिक चश्मे से नहीं देखना चाहिए. भारतीय जनता पार्टी के शासन काल में सक्रिय नक्सली क्षेत्र को हमने खाली करवाया. घोर नक्सली क्षेत्र में तेजी से विकास का कार्य किया जा रहा है. रोजगार दिया जा रहा है. लोग शासन के कैंपों में आ रहे हैं. आधार कार्ड बनाए जा रहे हैं. राशन कार्ड बनाए जा रहे हैं. पीडीएस की दुकानें खोलने की तैयारी की जा रही है. शासन की योजनाओं का लाभ देने की तैयारी चल रही है.
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उन्होंने बताया कि महासमुंद के मचेवा में आयोजित चंद्रनाहूं कुर्मी क्षत्रिय समाज के अधिवेशन का न्योता मिला है, जिस में शामिल होने जा रहे हैं. आदिवासी नृत्य महोत्सव प्रति वर्ष आयोजित करने को लेकर पिछले वर्ष घोषणा हुई थी. आदिवासी नृत्य महोत्सव के साथ राज्योत्सव का भी आयोजन किया जाएगा. कोरोना प्रोटोकॉल का पालन करते हुए आयोजन होगा. इसमें छत्तीसगढ़ के कलाकारों के साथ ही बाहर के कलाकार भी शामिल होंगे. पिछले वर्ष के मुकाबले इस बार हटकर कार्यक्रम किए जाएंगे. आदिवासी नृत्य महोत्सव के माध्यम से अन्य राज्यों से आए कलाकारों की अर्थव्यवस्था जाने की भी कोशिश होगी. जिसमें परिचर्चा का आयोजन किया जाएगा. इस बार के आयोजन में नवीनता देखने को मिलेगी.
सीएम ने कहा कि 28,29,30 अक्टूबर को आदिवासी नृत्य महोत्सव आयोजित किया जाएगा. 31 अक्टूबर को स्वर्गीय इंदिरा गांधी और सरदार वल्लभभाई पटेल की जयंती पर कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे. वहीं 1 नवम्बर राज्य स्थापना दिवस के मौके पर राज्य अलंकरण समारोह होगा कुल यह कार्यक्रम 5 दिनों का कार्यक्रम होगा. कोशिश होगी कि कोरोना प्रटोकॉाल का पालन करते हुए पिछले साल से हट कर कार्यक्रम होंगे. आदिवासी रहन-सहन, कल्चर, खान पान और गोष्ठियां साथ-साथ चलेंगी, ताकि नवीनता आए.