रायपुर:मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने विश्व आदिवासी दिवस के मौके पर राज्य में वनवासियों की खुशहाली और वनांचल के गांवों को स्वावलंबी बनाने के उद्देश्य से इंदिरा वन मितान योजना शुरू किए जाने की घोषणा की. मुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना के तहत राज्य के आदिवासी अंचल के 10 हजार गांव में युवाओं के समूह गठित कर उनके माध्यम से वन आधारित सभी आर्थिक गतिविधियों का संचालन किया जाएगा. इन समूहों के माध्यम से वनवासियों के स्वरोजगार और उनकी समृद्धि के नए रास्ते खुलेंगे. इस योजना के तहत समूहों के माध्यम से वनोपज की खरीदी, उसका प्रसंस्करण और मार्केटिंग की व्यवस्था सुनिश्चित की जाएगी. राज्य के हरेक आदिवासी विकासखण्डों में वनोपज प्रसंस्करण केन्द्र की स्थापना किए जाने का लक्ष्य सरकार ने रखा है.
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मुख्यमंत्री ने कहा कि अनुसूचित क्षेत्रों के 10 हजार गांवों में इस योजना के अंतर्गत समूह गठित किए जाएंगे, जिनमें युवाओं को प्राथमिकता दी जाएगी. प्रत्येक समूह में 10 से 15 सदस्य होंगे. इंदिरा वन मितान योजना में अनुसूचित क्षेत्रों के 19 लाख परिवारों को जोड़ने का लक्ष्य है. इस योजना के माध्यम से समूहों को वृक्ष प्रबंधन का अधिकार दिया जाएगा, जिससे वे वन क्षेत्रों के वृक्षों से वनोपज संग्रहण कर आर्थिक लाभ ले सकें. वनोपज की खरीदी की व्यवस्था समूह के माध्यम से की जाएगी, जिससे वनोपज का सही मूल्य मिल सके. समूह के माध्यम से लोगों के लिए स्व-रोजगार के नए अवसर निर्मित होंगे. वनोपजों की मार्केटिंग की व्यवस्था के साथ अनुसूचित क्षेत्रों के प्रत्येक विकासखण्ड में वनोपज प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की जाएगी. एक यूनिट की अनुमानित लागत लगभग 10 लाख रुपए होगी. अनुसूचित क्षेत्रों के 85 विकासखण्ड में वनोपज प्रोसेसिंग यूनिट स्थापना के लिए 8 करोड़ 50 लाख रुपए की राशि प्राधिकरण मद से उपलब्ध कराई जाएगी. वनों में इमारती लकड़ी के बजाए फलदार और वनौषधियों के पौधे लगाए जाएंगे, ताकि वनवासियों की आय बढ़ सके.