रायपुर: चीफ जस्टिस ऑफ इंडिया एनवी रमना हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी के पांचवें दीक्षांत समारोह में शामिल हुए. छात्रों को उपाधि देने के बाद CJI ने उन्हें बधाई दी और कहा कि "आज का दिन उनके लिए बहुत महत्वपूर्ण दिन है. युवा लगातार आज बेहतर कर रहे है. कड़ी मेहनत का और कोई विकल्प नहीं होता. आपके पास अभी आगे बेहतर करने का बहुत समय है. सभी क्षेत्रों में बेहतर करने आपके पास अवसर है. सामाजिक पारदर्शिता बहुत आवश्यक है. प्रत्येक व्यक्ति को न्याय पाने का अधिकार है. लोगों को उनका संवैधानिक अधिकार मिलना चाहिए. विधिक कार्यवाही की रक्षा करना आपका कर्तव्य है. लोगों को उनका अधिकार बताना होगा. आपके पास एक विजन होना चाहिए. भोजन, आवास, मूलभूत अधिकार लोगों को दिलाना प्राथमिकता होना चाहिए. " दीक्षांत समारोह में सीएम भूपेश बघेल, छत्तीसगढ़ के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस अरूप कुमार गोस्वामी भी चांसलर के रूप में उपस्थित रहे. सुप्रीम कोर्ट के जस्टिस एस अब्दुल नजीर कार्यक्रम की अध्यक्षता की. (CJI NV Ramana at convocation of Hidayatullah National Law University )
हिदायतुल्लाह नेशनल लॉ यूनिवर्सिटी का दीक्षांत समारोह: दीक्षांत समारोह में बीए एलएलबी (ऑनर्स ) बैच 2015 से 2020 के 160 स्टूडेंट्स, बीए एलएलबी बैच 2016 -2021 के 147 स्टूडेंट्स , 2019-2020 एवं 2020-2021 के एलएलएम के 49 और पीएचडी के 4 छात्र छात्राओं को डिग्री दी गई.
एक पैसे वाले केस के बदले तीन फ्री केस: चीफ जस्टिस आफ इंडिया ने बताया "हिदायतुल्लाह जब युवा बैरिस्टर थे तब कहते थे मेरे लिए क्लाइंट इकट्ठा कर पाना एक बहुत ही मुश्किल और धीमी प्रक्रिया थी. हर एक केस जिसके लिए मुझे पैसे मिले उसके बदले मैंने तीन ऐसे केस किए जो मुफ्त थे. धीरे धीरे उनकी ख्याति बढ़ती गई और आज उनका ओहदा लॉ के क्षेत्र में बहुत ऊंचा हो गया है. ही एक सबसे बड़ा उदाहरण है जिसका अनुसरण कर हर छात्र अपना लक्ष्य पा सकता है."
हिदायतउल्लाह की जीवनी से चंद वाक्य याद करते हुए उन्होंने कहा कि "सांसारिक धन और ऐश-ओ-आराम की चाह में हमें बदलाव के लिए संघर्ष को नहीं भूलना चाहिए. इस युवा पीढ़ी से मेरी यही आशा है कि वह समय-समय पर अपने विचारे, प्रतिपादित नीतियों, याचिकाओं और मूल्यों को अस्त्र बनाकर मानव की मूलभूत आवश्यकताओं और अधिकारों से संबंधित समस्याओं के खिलाफ आवाज उठाए और बदलाव लेकर आए."
सामाजिक इंजीनियर तैयार करें लॉ कॉलेज:सीजेआई ने कहा "लॉ विद्यालयों को चाहिए कि वे स्नातकों को एक सामाजिक इंजीनियर की तरह तैयार करें. क्योंकि कानून सामाजिक परिवर्तन का एक औजार है. लॉ के स्नातकों को अपने भीतर सामाजिक और कानूनी समस्याओं के निवारण के लिए एक विश्लेषणात्मक क्षमता, आलोचनात्मक मूल्यांकन और रचनात्मक समाधान की क्षमता का रोपण करना चाहिए."