रायपुर: मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) ने प्रदेशवासियों को रथयात्रा (Jagannath Rath Yatra) की शुभकामनाएं दी हैं. उन्होंने इस अवसर पर भगवान जगन्नाथ (Lord Jagannath) से सभी नागरिकों की सुख, समृद्धि और खुशहाली की प्रार्थना की है. सीएम 11.30 बजे भगवान जगन्नाथ जी की रथ यात्रा कार्यक्रम में शामिल हुए. इसके बाद 12 बजे राज्य योजना आयोग की राज्य स्तरीय एसडीजी (सतत विकास लक्ष्य) संचालक समिति की बैठक में शामिल हुए.
भगवान जगन्नाथ की सीएम ने की पूजा मुख्यमंत्री भूपेश बघेल रथ यात्रा पर्व में हुए शामिल शंख बजाकर और विधिवत पूजा अर्चना कर महाप्रभु जगन्नाथ से प्रदेशवासियों की सुख-समृद्धि और खुशहाली की कामना की.
भगवान जगन्नाथ की आरती उतारी सीएम बघेल ने अपने बधाई संदेश में कहा है कि प्राचीन काल से ही छत्तीसगढ़वासियों की भगवान जगन्नाथ में गहरी आस्था रही है. यहां हर साल भक्ति भाव से श्रद्धालुओं द्वारा भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और बहन देवी सुभद्रा के साथ रथयात्रा निकाली जाती रही है. मुख्यमंत्री ने कहा कि महाप्रभु जगन्नाथ के धाम पुरी सहित संपूर्ण भारत में एक साथ निकलने वाली यह रथयात्रा सांस्कृतिक एकता तथा सौहार्द्र का प्रतीक है.
मुख्यमंत्री बघेल ने कहा है कि प्रदेश में कोरोना का प्रभाव कम हुआ है, लेकिन अभी खतरा टला नहीं हैं इसलिए सभी लोग जागरूकता और सुरक्षा बनाए रखें. मास्क, फिजिकल डिस्टेंसिंग जैसे कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए जारी दिशा-निर्देशों का पालन करें.
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क्यों मानाया जाता है रथ उत्सव ?
ओडिशा के साथ देशभर में सबसे प्रतीक्षित त्योहारों में एक जगन्नाथ रथ यात्रा एक वार्षिक आयोजन है. यह त्योहार पारंपरिक उड़िया कैलेंडर के अनुसार शुक्ल पक्ष, आषाढ़ महीने के दूसरे दिन मनाया जाता है. पुरी में रथ यात्रा निकाली जाती है. रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ (श्रीकृष्ण), उनकी बहन देवी सुभद्रा और उनके बड़े भाई भगवान बलभद्र को समर्पित है. इसे गुंडिचा यात्रा, रथ उत्सव, दशावतार और नवदीना यात्रा के नाम से भी जाना जाता है. ऐसा माना जाता है कि हर साल भगवान जगन्नाथ अपने भक्तों की मनोकामना पूरी करने के लिए कुछ दिनों के लिए अपने जन्मस्थान मथुरा की यात्रा करना चाहते हैं. यह यात्रा हर साल जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर तक आयोजित की जाती है. यात्रा शुरू होने से पहले, स्नान पूर्णिमा के दिन मूर्तियों को 109 बाल्टी पानी से स्नान कराया जाता है, फिर उन्हें जुलूस के दिन तक अलग-थलग रखा जाता है. रथ यात्रा के दौरान एक विशाल जुलूस निकाला जाता है, जिसमें तीन देवताओं की लकड़ी की मूर्तियों को जगन्नाथ मंदिर से गुंडिचा मंदिर ले जाया जाता है. इन मूर्तियों को आकर्षक रथों में विराजमान किया जाता है. जुलूस के दौरान चारों ओर मंत्रोच्चार और शंख की आवाज सुनी जा सकती है.