छत्तीसगढ़ कांग्रेस ने विधानसभा चुनाव को लेकर 'अबकी बार 75 पार' का नारा दिया है. सरकार के मंत्री ने कहा है कि 71 सीटें बनाए रखना भी कांग्रेस के लिए एक बड़ी चुनौती होगी. जबकि उससे उलट भाजपा का कहना है कि 15 सीट भी कांग्रेस जीत पाए, यह उनके लिए बड़ी बात होगी. राजनीति के जानकार मानते हैं कि जुमलेबाजी से चुनाव नहीं जीता जाता है. पिछली बार भाजपा ने 65 पार का नारा दिया था, जबकि कांग्रेस ने 68 सीटों पर जीत हासिल की है. इस बार कांग्रेस ने 75 पार का नारा दिया है.
छत्तीसगढ़ कांग्रेस का मिशन 'अबकी बार 75 पार', क्या है सियासी मायने, किन 15 सीटों पर पार्टी कमजोरपूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
इस साल के अंत में होने वाले गुजरात विधानसभा चुनाव (gujarat assembly elections) के लिए गुजरातियों का मूड भांपते हुए भारतीय जनता पार्टी, आम आदमी पार्टी को रेस में ना देखते हुए अभी भी कांग्रेस को ही मुख्य विरोधी पार्टी के तौर पर देख रही है. कांग्रेस को ध्यान में रखते हुए रणनीतियां भी बनाई जा रही हैं.
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कांग्रेस अध्यक्ष पद के चुनाव के लिए बृहस्पतिवार को अधिसूचना जारी करने के बाद से ही देश के सबसे पुराने राजनीतिक दल के सर्वोच्च पद पर आसीन होने वाले राष्ट्रीय अध्यक्ष पद के लिए औपचारिक रूप से चुनाव प्रक्रिया आरंभ हो गई है. पार्टी के वरिष्ठ नेता मधुसूदन मिस्त्री की अध्यक्षता वाले केंद्रीय चुनाव प्राधिकरण की ओर से यह अधिसूचना जारी करते हुए कहा कि नामांकन दाखिल करने की प्रक्रिया 24 से 30 सितंबर तक चलेगी और जरूरी हुआ तो 17 अक्टूबर को मतदान करवाकर 19 अक्टूबर को परिणाम घोषित किये जाएंगे.
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फर्जीवाड़े के तरह तरह के कारनामे सरगुजा में देखने को मिलते हैं. कभी बिना जमीन के लोगों को किसान बनाकर उनके नाम से लोन निकाल लिया जाता है तो कभी मुर्दों को ही लोन दे दिया गया है. बड़ी बात यह है कि ये कारनामे एक ही सहकारी समिति में किये गये हैं. पिछले वर्ष ETV भारत ने ही इस खबर को प्रमुखता से दिखाया था, जब भूमिहीन लोगों के नाम से फर्जी लोन निकाल कर भ्रष्टाचार किया गया था. आज इसी सहकारी समिति ने नए कारनामे को अंजाम दिया है. जिस व्यक्ति की वर्ष 2019 में मृत्यु हो चुकी है, उसे वर्ष 2020 में कृषि ऋण दे दिया गया है.
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दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ से हड़ताल समाप्त कर दिया है. पिछले 34 दिनों से राजधानी रायपुर में प्रदर्शन कर रहे थे. अपर प्रधान मुख्य वन संरक्षक से चर्चा के बाद 4 बिंदुओं का मांग पत्र सौंपा गया और हड़ताल समाप्त कर दी गई. हालांकि दैनिक वेतन भोगी कर्मचारी संघ ने मांगें पूरी नहीं होने पर साल 2023 के जनवरी या फरवरी महीने में फिर से बेमियादी आंदोलन की चेतावनी भी दी है.
दैनिक वेतन भोगी वन कर्मचारी संघ हड़ताल समाप्त,मांगे पूरी नहीं होने पर फिर आंदोलन की भी चेतावनीपूरी खबर पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें
छत्तीसगढ़ की राजधानी रायपुर में दैनिक वेतन भोगी कर्मचारियों की हड़ताल 34 दिन से चल रही है. इन 34 दिनों में ये लोग 8 लाख रुपए से ज्यादा खर्च कर चुके हैं. आलम यह है कि किसी ने गहने गिरवी रखा है, किसी ने कर्जा लिया है तो कोई अपनी संपत्ति बेचकर आंदोलन में शामिल हुआ है. यानी इस बार डेलीवेज वर्कर आरपार के मूड में है.