राज्यपाल अनुसुइया उइके ने छत्तीसगढ़ विधानसभा के 13वें सत्र में अभिभाषण प्रस्तुत किया. राज्यपाल ने कहा कि ''छत्तीसगढ़ विधानसभा के साल 2022 के पहले सत्र के अवसर पर आप सबको बधाई और शुभकामनाएं. मैं आप सबका हार्दिक अभिनंदन करती हूं. मुझे खुशी है कि माननीय सदस्य के रूप में आप लोगों ने इस सदन की गौरवशाली परंपराओं का निर्वाह किया है. लोकतंत्र को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. जनहित और प्रदेश हित के प्रति आपका समर्पण अनुकरणीय रहा है. यही वजह है कि हमारा छत्तीसगढ़ राज्य जनहितकारी विकास के लिए देश-दुनिया में अलग पहचान बनाने में सफल हुआ है. मैं कामना करती हूं कि आप लोग इसी तरह छत्तीसगढ़ की यश-पताका को ऊंचा उठाए रखेंगे.''
राज्यपाल अनुसुइया उइके ने कहा कि ''मुझे यह कहते हुए बहुत खुशी हो रही है कि स्थानीय संसाधनों और जनता के आत्मगौरव के प्रति मेरी सरकार के बेहद संवेदनशील व्यवहार को भरपूर सराहना मिल रही है. समावेशी विकास का छत्तीसगढ़ मॉडल बहुत सफल रहा है. मैं चाहती हूं कि आर्थिक रूप से कमजोर तबकों के साथ ही प्रदेश के समग्र विकास में आई तेजी का सिलसिला लगातार जारी रहे. इसमें आप सबका भरपूर सहयोग मिले.
छत्तीसगढ़ सरकार वास्तव में किसानों, वन आश्रितों और मजदूरों की सरकार है, जिनके आत्मसम्मान के लिए आय और भागीदारी बढ़ाने की रणनीति अपनाई गई है. खेती के प्रति लोगों का रुझान लौटना अपने आप में बड़ी सफलता मानी जा रही है. खरीफ वर्ष 2021-22 में समर्थन मूल्य पर धान खरीदी में अब तक का सबसे बड़ा कीर्तिमान बना है. इस साल करीब 21 लाख 77 हजार किसानों ने 97 लाख 98 हजार मीट्रिक टन धान बेचा है.
किसानों की सुविधाएं और आय बढ़ाने के लिए सरकार ने इस साल173 नए धान खरीदी केन्द्र खोले. समर्थन मूल्य का भुगतान सीधे किसानों के बैंक खातों में किया गया. धान के साथ ही अन्य खरीफ फसलों को भी ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ का लाभ लगातार दिया जा रहा है. इसमें उद्यानिकी और लघु धान्य फसलों को भी शामिल किया गया है. किसानों को ब्याजमुक्त अल्पकालीन कृषि ऋण उपलब्ध कराने के लिए इस साल 5 हजार 900 करोड़ रुपए का लक्ष्य रखा गया है. जिसमें से अबतक 85 प्रतिशत राशि दी जा चुकी है. करीब 6 दशक बाद प्राथमिक कृषि साख सहकारी समितियों का पुनर्गठन किया गया है. जिससे 725 नवीन समितियां भी कृषि ऋण वितरण और अन्य योजनाओं के संचालन में सहयोग दे रही हैं.
भोरमदेव सहकारी शक्कर कारखाना में प्रथम एथेनॉल प्लांट की स्थापना के लिए एमओयू के तहत कार्य प्रगति पर है. अतिशेष धान से भी एथेनॉल उत्पादन के लिए काफी गंभीरता से प्रयास किए जा रहे हैं ताकि धान के बम्पर उत्पादन का बेहतर उपयोग किया जा सके. सरकार के इन उपायों से किसान परिवारों का मनोबल और उत्साह बढ़ा है.
छत्तीसगढ़ सरकार ने प्रदेश के 14 आदिवासी बहुल जिलों के 25 विकासखण्डों में 1 हजार 735 करोड़ रुपए की लागत से ‘चिराग परियोजना’ की शुरुआत कर दी है, जिससे आदिवासी अंचलों में आजीविका के नए साधन बनेंगे. ‘सुराजी गांव योजना’ के माध्यम से नरवा, गरुवा, घुरुवा, बारी को बचाने का जो संकल्प लिया था, वह सफलता के नए-नए शिखरों को छू रहा है. नाला उपचार के हजारों कार्यों से भू-जल स्तर बढ़ा है.
‘गोधन न्याय योजना’ का लगातार विस्तार किया जा रहा है. गोबर विक्रेताओं को लगभग 127 करोड़ रुपए की राशि दी गई है. वर्मी कम्पोस्ट, सुपर कम्पोस्ट और सुपर कम्पोस्ट प्लस उत्पादन, विक्रय और इसके उपयोग पर बहुत ध्यान दिया जा रहा है ताकि रासायनिक खाद की कमी से निपटने में जैविक खाद का विकल्प तैयार किया जा सके. इसके अलावा गोबर से बिजली, प्राकृतिक पेंट और अन्य सामग्रियों के उत्पादन और विक्रय को भी बढ़ावा दिया जा रहा है.‘ग्रामीण औद्योगिक पार्क’ विकसित किए जा रहे हैं। ‘गोधन न्याय मिशन’ से इस अभियान को नई ऊंचाई मिलेगी. घुरवा से 6 लाख मीट्रिक टन जैविक खाद का निर्माण किया गया है. 3 लाख बाड़ियों का विकास किया जा चुका है, जिससे गांवों में सब्जी तथा फलों की उपलब्धता बढ़ी है.
‘राजीव गांधी ग्रामीण भूमिहीन कृषि मजदूर न्याय योजना’ की शुरुआत इसी वित्तीय वर्ष से करने का वादा भी निभाया है. इस योजना के तहत पंजीकृत व्यक्ति को प्रतिवर्ष 6 हजार रुपए देने का प्रावधान है. इसकी पहली किस्त के रूप में प्रथम भुगतान हितग्राहियों को किया जा चुका है.
आदिवासी अंचलों में चाय, कॉफी, काजू, तीखुर, अलग-अलग विशेषताओं वाले चावल, उच्च गुणवत्ता के फल, विदेशों में बेचे जाने योग्य पोषक उत्पादों के काम में स्थानीय लोगों की भागीदारी तेजी से बढ़ी है. इससे स्थानीय लोगों और उनके उत्पादों के साथ प्रदेश को भी एक नई पहचान मिली है.
तेन्दूपत्ता संग्रहण दर 2500 से बढ़ाकर 4 हजार रुपए प्रतिमानक बोरा करने के अलावा समर्थन मूल्य पर खरीदी की जाने वाली लघु वनोपजों की संख्या 7 से बढ़ाकर 61 कर दी गई है. ‘छत्तीसगढ़ हर्बल ब्रांड’ के नाम से 121 उत्पादों के प्रसंस्करण और 200 उत्पादों के विपणन की व्यवस्था की गई है. लाख पालन को कृषि का दर्जा दिया गया है. कोदो, कुटकी और रागी के लिए भी समर्थन मूल्य पर खरीदी की व्यवस्था की गई है. ‘छत्तीसगढ़ मिलेट मिशन’ के गठन से लघु धान्य फसलों की अपार संभावनाएं आकार लेंगी.
संयुक्त वन प्रबंधन समितियों के माध्यम से 27 लाख परिवारों को वनोपज के कारोबार में भागीदार बनाया है. ‘शहीद महेन्द्र कर्मा तेन्दूपत्ता संग्राहक सामाजिक सुरक्षा योजना,’ ‘मुख्यमंत्री बांस बाड़ी योजना’, ‘नदी तट वृक्षारोपण योजना’, ‘मुख्यमंत्री वृक्षारोपण प्रोत्साहन योजना’, कैम्पा मद से वन विकास, वन सुरक्षा, वन्यप्राणियों का संरक्षण, भू-जल संरक्षण जैसे प्रयासों का सकारात्मक असर वन अंचलों में दिखाई पड़ने लगा है.
सरकार ने ऊर्जा के क्षेत्र में कुशल प्रबंधन से प्राप्त उपलब्धियों को किसानों और आर्थिक रूप से कमजोर तबकों तक पहुंचाकर उन्हें शक्ति-सम्पन्न बनाने की रणनीति अपनाई. विद्युत अधोसंरचना के विकास पर जोर दिया. सभी लंबित 35 हजार 161 कृषि पम्प कनेक्शन के आवेदनों को एक साथ स्वीकृत करते हुए ऊर्जीकृत करने का जो अभियान शुरू किया गया था, वह इसी वित्तीय वर्ष में पूर्ण किया जा रहा है. अबतक 90 प्रतिशत से अधिक का लक्ष्य पूर्ण किया जाना एक बड़ी उपलब्धि है.
सरकार ने शहरों, गांवों सहित सभी क्षेत्रों में सड़क अधोसंरचना के विकास के लिए एक बड़ी कार्ययोजना बनाई है. जिसके तहत 24 हजार करोड़ रुपए की लागत से सड़क, पुल-पुलिया निर्माण के कार्य कराए जा रहे हैं. प्रत्येक निविदा अनुबंध में बेरोजगार इंजीनियरों की उपस्थिति और ई-श्रेणी पंजीयन की व्यवस्था से लगभग 8 हजार स्थानीय युवाओं की निर्माण कार्यों में भागीदारी तय की गई है. ई-श्रेणी में विकासखण्ड स्तर पर 225 करोड़ रुपए के कार्य पंजीकृत युवाओं को आबंटित किए गए हैं.
‘बिजली बिल हाफ योजना’ के तहत 40 लाख 56 हजार घरेलू उपभोक्ताओं को 2 हजार 100 करोड़ रुपए से अधिक की छूट मिल चुकी है. 5 लाख 81 हजार किसानों को सिंचाई पम्प कनेक्शन में छूट का लाभ मिल रहा है. 17 लाख से अधिक परिवारों को 30 यूनिट तक प्रतिमाह निःशुल्क विद्युत आपूर्ति की जा रही है. आर्थिक मंदी और कोरोना काल में प्रदेश के इस्पात उद्योगों को ऊर्जा प्रभार में राहत का लाभ भी दिया गया.
‘मुख्यमंत्री शहरी विद्युतीकरण योजना’, ‘मुख्यमंत्री मजरा-टोला विद्युतीकरण योजना’, ‘मुख्यमंत्री विद्युत अधोसंरचना विकास योजना’, स्कूलों का विद्युतीकरण, सौर ऊर्जा से सिंचाई पम्पों का ऊर्जीकरण जैसे कार्यों की सफलता बहुत महत्वपूर्ण है. कुशल प्रबंधन और उत्तम रखरखाव से प्रदेश के बिजली घरों में उत्पादन के कीर्तिमान बनाए. पारेषण प्रणाली की उपलब्धता भी 99 प्रतिशत से अधिक रही. यह अपने आप में एक कीर्तिमान है.
सरकार ने गांवों के विकास में ग्रामीण अधोसंरचना को प्राथमिकता दी. सारी गतिविधियों का केन्द्र बेहतर आजीविका और रोजगार के अवसरों को बनाया. ‘महात्मा गांधी नरेगा योजना’ से गांवों में भरपूर रोजगार दिया गया. यह कोरोना जैसे संकटकाल में बहुत उपयोगी रहा. साल 2020-21 में योजना प्रारंभ होने से अब तक 18 करोड़ 41 लाख मानव दिवस सृजित किए गए. यह संशोधित लक्ष्य की 100 प्रतिशत पूर्ति करते हैं. इस अवधि में 7 लाख 88 हजार परिवारों को 100 मानव दिवस रोजगार दिया गया, जिसमें वन अधिकार पट्टाधारी लगभग 46 हजार परिवार शामिल हैं.
सरकार ने कृषि और प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन के कार्यों को सर्वोच्च प्राथमिकता दी है. इस दिशा में जो ठोस प्रयास किए हैं, उसके कारण भारत सरकार के निर्धारित मापदण्डों से 26 प्रतिशत अधिक राशि इन कार्यों पर खर्च की है. महात्मा गांधी नरेगा तथा अन्य योजनाओं के अनुसरण से 4 लाख से अधिक निर्माण कार्य कराए गए हैं, 7 हजार 835 गौठान, 5 हजार 484 चारागाह, 740 नवीन ग्राम पंचायत भवन तथा 6 हजार आंगनवाड़ी भवनों का निर्माण कराया जा रहा है.
‘स्वच्छ भारत मिशन’, ‘प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना’, ‘प्रधानमंत्री ग्रामीण आवास योजना’, ‘छत्तीसगढ़ राज्य ग्रामीण आजीविका मिशन’, ‘ग्रामीण शहरी क्लस्टरों का विकास’, ‘मुख्यमंत्री ग्राम सड़क एवं विकास योजना’, ‘मुख्यमंत्री ग्राम गौरवपथ योजना’, सरपंचों का डिजिटल हस्ताक्षर, एकीकृत सुविधा केन्द्रों का विकास जैसे अनेक मोर्चों पर एक साथ काम करते हुए सरकार ने त्रिस्तरीय पंचायती राज संस्थाओं के साथ ग्रामीण विकास में कई कीर्तिमान स्थापित किए हैं. तीन वर्षों में छत्तीसगढ़ को राष्ट्रीय स्तर पर जो 36 पुरस्कार प्राप्त हुए हैं, उनमें से अधिकांश पुरस्कार अनुसूचित क्षेत्रों की पंचायत राज संस्थाओं को मिले हैं.
ग्रामीण और दुर्गम क्षेत्रों में जनता के धन की सुरक्षा और सुरक्षित लेन-देन की व्यवस्था की गई है, जिसमें 21 हजार से अधिक बैंक मित्र, 26 हजार से अधिक बीसी सखियां, 551 नई बैंक शाखाएं तथा 600 एटीएम का सहयोग मिलने लगा है.
सरकार ने ऐसी अधोसंरचनाओं के विकास पर बल दिया है, जिससे अधूरे पड़े कार्य शीघ्रता से पूरे हों और उनका लाभ तुरंत जनता को मिले. इस रणनीति से 42 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई क्षमता निर्मित की गई, वहीं बेहतर प्रबंधन से 3 लाख हेक्टेयर से अधिक वास्तविक सिंचाई में वृद्धि की गई है. केलो, खारंग, मनियारी, अरपा-भैंसाझार परियोजनाओं के शेष काम वर्ष 2022 में ही पूर्ण करने का लक्ष्य है. इतना ही नहीं, किसानों पर बरसों से लंबित सिंचाई जल कर की राशि 342 करोड़ रुपए अब तक माफ की गई है, जिसका सीधा लाभ किसानों को मिला है.
प्रदेश में शुद्ध पेयजल उपलब्ध कराने के लिए अब घर-घर में नल कनेक्शन देने के लिए युद्धस्तर पर कार्य किया जा रहा है. ‘जल जीवन मिशन’ के अंतर्गत 48 लाख 59 हजार 443 परिवारों को घरेलू नल कनेक्शन के माध्यम से पेयजल देने का कार्य वर्ष 2023 तक पूरा करने का लक्ष्य रखा गया है. इस दिशा में की जा रही प्रगति उत्साहवर्धक है.
सरकार ने न्याय दिलाने के शुरुआती कदम के रूप में निरस्त वन अधिकार दावों की समीक्षा का निर्णय लिया था, जिसके कारण अब तक 4 लाख 45 हजार 833 व्यक्तिगत वन अधिकार पत्र तथा 45 हजार 305 सामुदायिक वन अधिकार पत्र और 23 लाख हेक्टेयर भूमि पर मान्यता दी गई है. इससे बड़े पैमाने पर आय बढ़ाने के अवसर सृजित किए गए हैं. वन अधिकार पत्रों के तहत आबंटित भूमि पर उपजाए धान की समर्थन मूल्य पर खरीदी, ‘राजीव गांधी किसान न्याय योजना’ जैसी सुविधाएं भी दी गई हैं.
सरकार ने अनुसूचित क्षेत्रों में शिक्षा की व्यापकता और गुणवत्ता बढ़ाने के लिए अनेक प्रयास किए हैं. 16 जिलों में 150 आदर्श छात्रावासों तथा आश्रम शालाओं का विकास किया जा रहा है. अनुसूचित जाति वर्ग के विद्यार्थियों को प्रतियोगी परीक्षाओं के लिए उच्चस्तरीय प्रशिक्षण देने के लिए जिला दुर्ग में 200 सीटर आवासीय कोचिंग संस्थान स्थापित करने की पहल की गई है. ‘स्वर्गीय राजीव गांधी बाल भविष्य सुरक्षा प्रयास आवासीय विद्यालयों’ में सफलता के नए कीर्तिमान रचे गए हैं. साथ ही ‘सहयोग योजना’ के तहत 12वीं उत्तीर्ण विद्यार्थियों को उच्च शिक्षा के लिए आर्थिक सहायता उपलब्ध कराई जा रही है. इन उपायों से नक्सल प्रभावित परिवारों के साथ ही अनुसूचित क्षेत्रों के नौनिहालों में नई आशा का संचार हुआ है.
अनुसूचित क्षेत्रों के जिलों में सरकारी विभागों में तृतीय एवं चतुर्थ श्रेणी के जिला संवर्ग के रिक्त पदों पर स्थानीय युवाओं की भर्ती सुनिश्चित की जा रही है. सरगुजा, बस्तर संभाग के जिलों के अलावा गौरेला-पेण्ड्रा-मरवाही तथा कोरबा जैसे 14 जिलों में यह व्यवस्था की गई है. विशेष कनिष्ठ कर्मचारी चयन बोर्ड का गठन करते हुए भर्ती की प्रक्रिया भी शुरू कर दी गई है.
सरकार ने जिला खनिज संस्थान न्यास निधि का उपयोग व्यापक जनहित में करने के लिए अनेक सुधार किए हैं, जिसके तहत निर्वाचित जनप्रतिनिधियों के अतिरिक्त महिलाओं एवं अनुसूचित जनजाति वर्ग के सदस्यों का नामांकन सुनिश्चित किया गया है. सही नीति और सही अमल के कारण इस निधि की औसत प्राप्ति 1 हजार 200 करोड़ रुपए वार्षिक से बढ़कर 2 हजार करोड़ रुपए हो गई है.इसी तरह गौण खनिजों से प्राप्त राशि का शत-प्रतिशत वितरण ग्रामीण विकास, पंचायतों और स्थानीय निकायों में करने के निर्णय से विगत वर्ष लगभग 261 करोड़ रुपए इन क्षेत्रों को दिए गए हैं.
सरकार ने लोककलाओं, परंपराओं, स्थानीय कौशल, संस्कृति और पर्यटन को समग्रता से देखते हुए ऐसा वातावरण बनाया है, जिसमें संरक्षण के साथ रोजगार के अवसरों को भी समेकित किया जा सके. अनुसूचित वर्गों में आत्मगौरव के संचार के लिए नवा रायपुर में शहीद वीर नारायण सिंह जी एवं बाबा गुरु घासीदास जी के नाम पर स्मारक एवं संग्रहालय स्थापित करने की पहल की गई है.
परंपरागत बुनकरों द्वारा निर्मित गमछे को राजकीय गमछे का दर्जा दिया गया है. प्रदेश में पहली बार वार्षिक सांस्कृतिक कैलेण्डर का निर्माण किया गया है. फिल्म नीति 2021 लागू कर दी गई है. राष्ट्रीय आदिवासी नृत्य महोत्सव का आयोजन दूसरी बार भी सफलतापूर्वक किया गया। चौमासा कार्यक्रम के अंतर्गत 1 हजार 58 सांस्कृतिक कार्यक्रमों का आयोजन किया गया. ‘छत्तीसगढ़ संस्कृति परिषद’ का गठन कर दिया गया है. ‘लोक कलाकार प्रोत्साहन योजना’,‘छात्रवृत्ति योजना’, ‘मानस मण्डली प्रोत्साहन योजना’ लागू की गई है.
सरकार ने ग्रामीण अर्थव्यवस्था के हर पहलू पर ध्यान दिया है। ग्रामोद्योग के परंपरागत आधार को नया आयाम दिया गया है. हथकरघा वस्त्रों को उचित दाम दिलाने हेतु गोदना-शिल्प, टाई-डाई, इम्ब्राडरी वर्क, मधुबनी आर्ट, स्टेनसिल, कसीदाकारी जैसे प्रिंट को बढ़ावा दिया जा रहा है. बैगा, उरांव, डोंगरिया गोंड एवं लोधी समुदाय में प्रचलित परंपरागत डिजाइन के वस्त्रों को नया जीवन देकर उत्पादन कराया जा रहा है. प्राचीन स्मारकों पर आधारित डिजाइन श्रृंखला जैसे बाबा गुरु घासीदास, जैतखाम, कौशल्या, रामायण, सिरपुर एवं दूधाधारी डिजाइन को कपड़ों में बुनाई कला के माध्यम से उकेरा गया है. केला, अलसी, सीसल, घींचा जैसे प्राकृतिक रेशों से भी वस्त्र निर्माण को प्रोत्साहित किया जा रहा है. ट्राईफेड द्वारा आदिवासी बुनकरों के द्वारा निर्मित वस्त्रों की बिक्री का इंतजाम किया गया है। इसी प्रकार धातु, माटी, बांस आदि सामग्रियों से हस्तशिल्प की परंपरा को भी नई सुविधाओं के साथ नया बाजार उपलब्ध कराया जा रहा है. छत्तीसगढ़ी खान-पान को बढ़ावा देने के लिए 16 जिलों में गढ़कलेवा के नए केन्द्र स्थापित किए गए हैं.
सरकार ने स्वस्थ और सचेतन छत्तीसगढ़ निर्माण की अवधारणा को सिर्फ अस्पतालों और दवाओं तक सीमित न रखकर सम्पूर्ण जीवनचक्र से जोड़ा है. स्वस्थ जीवन के लिए सबसे जरूरी है पर्याप्त और पोषणयुक्त भोजन. इसलिए मेरी सरकार ने सार्वभौम पीडीएस लागू किया और लाभान्वितों की संख्या को 2 करोड़ 12 लाख से बढ़ाकर 2 करोड़ 55 लाख कर दिया है. वर्ष 2021 में 2 लाख 34 हजार राशनकार्ड जारी किए गए तथा 11 लाख 29 हजार सदस्यों के नाम जोड़े गए. पोषण सुरक्षा के लिए बस्तर में पात्र हितग्राहियों को 17 रुपए किलो की दर से 2 किलो गुड़ दिया जा रहा है. फोलिक एसिड तथा विटामिन बी 12 युक्त फोर्टिफाइड चावल वितरण का कार्य अब सभी जिलों में मध्याह्न भोजन तथा पूरक पोषण आहार योजना के तहत किया जा रहा है. कोरोना काल में निःशुल्क चावल वितरण का जो कार्य शुरू किया गया था, वह मार्च 2022 तक जारी रहेगा.
सरकार ‘मुख्यमंत्री सुपोषण अभियान’ के रूप में एक बहुत बड़ी जिम्मेदारी निभा रही है. इस कार्य में आंगनवाड़ी सेवाएं, मुख्यमंत्री बाल संदर्भ योजना, वजन तिहार, नवा जतन, महतारी जतन योजना आदि का सहयोग भी मिल रहा है. इस अभियान का सुपरिणाम है कि एनएफएचएस 5 के ताजा आंकड़ों के अनुसार छत्तीसगढ़ में कुपोषण की दर राष्ट्रीय औसत से भी कम होकर 31.3 प्रतिशत हो गई है.
सरकार ने स्वास्थ्य अधोसंरचना के विकास हेतु 3 नए मेडिकल कॉलेजों की स्थापना तथा 1 निजी मेडिकल कॉलेज का अधिग्रहण किया है. इसी प्रकार नए 50 उपस्वास्थ्य केन्द्र, 30 प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र, 2 जिला अस्पताल, 2 सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र बनाने की स्वीकृति दी। साथ ही विभिन्न संस्थाओं का उन्नयन भी किया गया है.
कोरोना महामारी से निपटना पूरी दुनिया के लिए एक नया अनुभव था. छत्तीसगढ़ सरकार ने बहुत तत्परता और दूरदर्शिता के साथ इस चुनौती का सामना किया और बड़े पैमाने पर कोरोना की जांच तथा उपचार की अधोसंरचना बनाई. ये सुविधाएं दर्शाती हैं कि मेरी सरकार किसी भी आपात स्थिति से निपटने में सक्षम है.
स्वास्थ्य सेवाओं को बसाहटों, गांवों तथा शहरी स्लम बस्तियों तक पहुंचाने तथा महंगे उपचार से जनता को राहत दिलाने के लिए मेरी सरकार ने ‘मुख्यमंत्री हाट-बाजार क्लीनिक योजना’, ‘मुख्यमंत्री शहरी स्लम स्वास्थ्य योजना’, ‘दाई-दीदी क्लीनिक’, ‘श्री धन्वंतरी जेनेरिक मेडिकल स्टोर्स’, ‘डॉक्टर खूबचंद बघेल स्वास्थ्य सहायता योजना’, हमर अस्पताल, दीर्घायु वार्ड आदि योजनाएं तथा ‘मलेरियामुक्त छत्तीसगढ़ अभियान’ संचालित किया. राज्य में मलेरिया परजीवी सूचकांक वर्ष 2018 में 2.63 प्रतिशत था, जो अब 2 तिहाई घटकर 0.92 प्रतिशत रह गया है. निश्चित तौर पर यह सफलता की एक बड़ी मिसाल है.
सरकार ने प्रदेश में न्याय व्यवस्था की मजबूती के लिए 37 व्यवहार न्यायाधीशों की नियुक्ति की है. अपराध पीड़ित बच्चों के प्रकरणों के लिए (पॉक्सो) फास्ट ट्रेक कोर्ट तथा अधिवक्ताओं के लिए राज्य अधिवक्ता संस्थान की स्थापना कर रही है.
सरकार ने महिला-स्वावलंबन के लिए नए-नए उपाय किए हैं। अपनी जमीन-अपना घर महिलाओं को शक्ति देते हैं. सरकार ने छोटे भू-खण्डों की खरीद-बिक्री पर रोक हटाई, पंजीयन की प्रक्रिया को सरल किया। बाजार मूल्य दरों को 40 प्रतिशत तक कम किया। आवासीय भवनों के पंजीयन शुल्क में रियायत दी और महिलाओं के पक्ष में पंजीयन कराने पर स्टाम्प शुल्क में 1 प्रतिशत की छूट दी। इसका लाभ लाखों परिवारों को मिला है और निश्चित तौर पर महिलाओं को बड़ी राहत मिली है.
सरकार ने श्रमिक परिवारों की बेटियों के पालन-पोषण तथा विवाह में सहायता के लिए ‘मुख्यमंत्री नोनी सशक्तीकरण सहायता योजना’ की नई पहल की है, जिसमें ‘छत्तीसगढ़ भवन एवं अन्य सन्निर्माण कर्मकार कल्याण मण्डल’ में पंजीकृत हितग्राहियों की प्रथम दो पुत्रियों के बैंक खाते में 20-20 हजार रुपए की राशि का भुगतान एकमुश्त किया जाएगा. इसी प्रकार राज्य स्तरीय मुख्यमंत्री हेल्पलाइन सेंटर, जिला तथा विकासखण्ड मुख्यालय स्तर पर ‘मुख्यमंत्री श्रमिक संसाधन केन्द्र’, प्रत्येक जिले में महिला सुरक्षा प्रकोष्ठ की स्थापना, डायरेक्ट भवन अनुज्ञा प्रणाली तथा इसी की तर्ज पर नल कनेक्शन, महिला स्व-सहायता समूहों को छत्तीसगढ़ महिला कोष से प्रदत्त बकाया ऋण माफी, ग्रामीण क्षेत्रों में भी शासकीय पट्टे की भूमि को फ्री-होल्ड करने जैसे फैसलों का लाभ निश्चित तौर पर महिलाओं को राहत पहुंचाने वाला है.
राजस्व न्यायालय के कार्यों में पारदर्शिता तथा तेजी लाने के लिए ‘ई-कोर्ट’ प्रारंभ किए गए हैं, जिसमें नागरिकों को कहीं से भी लॉनलाइन आवेदन करने की सुविधा, पंजीयन से लेकर निराकरण की कार्रवाई और अंतिम आदेश की ऑनलाइन जानकारी, पक्षकारों को पेशी तिथि की सूचना एसएमएस के माध्यम से तथा विचाराधीन प्रकरणों से संबंधित भूमियों की जानकारी ऑनलाइन उपलब्ध कराई गई है. भूमि के पंजीयन, नामांतरण, डायवर्सन, फ्री-होल्ड, वार्षिक भू-भाटक के एकमुश्त भुगतान में राहत, शासकीय भूमि के आबंटन आदि प्रक्रियाओं को सरल किया गया है.
कोविड से मृत व्यक्तियों के आश्रितों को 102 करोड़ रुपए की राहत, बेमौसम बारिश तथा ओलावृष्टि प्रभावितों को 9 करोड़ रुपए की सहायता उपलब्ध कराई गई है, जो संकटग्रस्त लोगों को मदद करने की मेरी सरकार की दृढ़इच्छा-शक्ति का प्रतीक है.
छत्तीसगढ़ में स्कूली शिक्षा की बुनियाद मजबूत करने के लिए मेरी सरकार ने ‘स्वामी आत्मानंद उत्कृष्ट अंग्रेजी माध्यम विद्यालय योजना’ शुरू की थी, जिसके तहत 171 शालाओं में उच्च स्तरीय अधोसंरचना तथा सुविधाएं जुटाई गईं. अब ऐसी ही हिन्दी माध्यम शालाएं विकसित करने के लिए भी कदम उठाए गए हैं. इस योजना से सरकारी शालाओं में पढ़ने वाले कमजोर तबकों के बच्चों का मनोबल बढ़ा है, उन्हें अपना भविष्य संवारने का अवसर मिला है. वहीं इन शालाओं में प्रवेश भी अब प्रतिष्ठा का विषय बन गया है। नवा रायपुर में अंतरराष्ट्रीय स्तर का उत्कृष्ट विद्यालय स्थापित किया जाएगा. वहीं कोरोना के कारण अपने माता-पिता को खोने वाले बच्चों के लिए ‘महतारी दुलार योजना’ शुरू की गई है, जिसके तहत प्रभावित बच्चों की फीस माफी के अलावा इन्हें छात्रवृत्ति भी दी जा रही है.