रायपुरःयूं तो लोक आस्था का महापर्व छठ (chhath festival of faith) बिहार समेत पूरे-देश दुनिया में मनाया जाता है. लगातार बीते कई वर्षों से व्रत करने के साथ-साथ ही कई व्रती ऐसी भी हैं, जो पहली बार छठ व्रत करेंगी. इसको लेकर चहुंओर माहौल भक्तिमय हो गया है. छठ के गीत चारों ओर गूंज रहे हैं.
चार दिनों तक चलने वाले इस सबसे कठिन अनुष्ठान में आज खरना है. महिलाएं शाम को गुड़ से बनी खीर और रोटी का सेवन करेंगी. जिसके बाद से ही वह निर्जला व्रत (Nirjala Vrat) रख लेंगी. यह 36 घंटे चलेगा और परसों सुबह सूर्य को अर्घ्य देने के बाद महिलाएं प्रसाद खाकर व्रत खोलेंगी.
छठ का पर्व बहुत ही पवित्र पर्व माना जाता है. बच्चों और पति के लिए महिला है यह व्रत करती हैं. दिवाली के 3 दिन बाद से ही छठ का पर्व शुरू हो जाता है. पहले दिन नहाए खाए की रस्म रहती है. जिस दिन महिलाएं सुबह उठकर स्नान कर साफ-सुथरे कपड़े पहन कर बिना लहसुन-प्याज के लौकी की सब्जी बनाती हैं और रोटी के साथ खाती हैं.
आज से महिलाएं 4 दिन तक चप्पल नहीं पहनती हैं और रात को जमीन पर सोती हैं. छठ के दूसरे दिन खरना रहता है. इस दिन महिलाएं गुड़ की बनी खीर और सूखी रोटी खाती हैं. वहीं छठ के तीसरे दिन महिलाएं घाट पर जाती हैं और छठ मईया (chhath maiya) की पूजा कर डूबते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. चौथे दिन छठ महापर्व का समापन होता है. इस दिन उगते सूर्य को अर्घ्य (salute to the sun) दिया जाता है और छठ मैया को विदा किया जाता है. जिसके बाद ही महिलाएं छठ का प्रसाद खा कर निर्जला व्रत खोलती हैं.
छठ पूजा में बांस के बने सूप और दौरी का विशेष महत्व होता है. इसके साथ ही छठ पूजा में इस्तेमाल होने वाले फलों का भी विशेष महत्व होता है. छठ के दौरान डाभ नीबू का इस्तेमाल किया जाता है जो साल के इसी महीने में ज्यादा बाजारों में देखने को मिलता है. ईटीवी भारत ने छठ पूजा के दौरान सूप, दौरी, डाब नीबू का महत्व के बारे में पंडित विनीत शर्मा से बात की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा?
पर्व पर बांस के दौरी और सूप का विशेष महत्व
पंडित विनीत शर्मा ने बताया कि छठ बहुत ही पावन पर्व है और इस पर्व को आज पूरे विश्व में बड़े धूमधाम से मनाया जाता है. छठ के समय महिलाएं अपने पति और बच्चों के सुख-समृद्धि के लिए 36 घंटे का निर्जला व्रत रखती हैं और डूबते और उगते सूर्य को अर्घ्य देती हैं. इस दौरान महिलाएं बांस के बने सूप का इस्तेमाल करती हैं. जोकि आस्था का प्रतीक है. बांस विभिन्न गुणों से भरा रहता है. बांस में जो अलग-अलग गांठ होती है, वह रिश्तों को दर्शाता है.