रायपुर:छत्तीसगढ़ के जांजगीर चांपा में 10 साल का मासूम राहुल साहू बोरवेल में गिर गया था. राहुल को 104 घंटे बाद सुरक्षित बोरवेल से निकाला गया है. राहुल का इलाज बिलासपुर के अपोलो में चल रहा है. बोरवेल में गिरने का यह कोई पहला मामला नहीं है. देश के अलग अलग राज्यों में लोगों की लापरवाही की वजह से खुले बोरवेल में बच्चों के गिरने का मामला आते रहे हैं. हालांकि छत्तीसगढ़ में इस तरह के मामले कम ही देखने को मिले हैं. प्रदेश में बोरवेल की स्थिति की बात की जाए तो 10 लाख से ज्यादा बोरवेल हैं. इसमें से अधिकतर बोरवेल का उपयोग किया जा रहा है.
जानिए कितने बोरवेल: छत्तीसगढ़ में बोरवेल की संख्या कितनी है. इसे लेकर पीएचई विभाग से मिले आंकड़े की बात करें तो प्रदेश भर में 3 लाख 48 हजार 771 बोरवेल है. विभाग के प्रमुख अभियंता टी जी कोशरिया ने बताया कि "ये सभी बोरवेल उपयोगी हैं. विभाग की ओर से बोरवेल करने के बाद यदि वह उपयोगी नहीं होता है तो उसे पूरी तरह से बंद कर दिया जाता है. उपयोगी बोरवेल का ही इस्तेमाल किया जा रहा है. हमारे विभाग के पास बोरवेल की संख्या 3 लाख 48 हजार 771 है. इसके अलावा बाकी विभाग की तरफ से भी बोरवेल खुदवाए जाते हैं. जैसे कि पंचायत, नगरीय निकाय या कृषि विभाग की ओर से भी बोरवेल करवाए जाते हैं. जिसका आंकड़ा हमारे पास नहीं है. संबंधित विभागों के पास इसका डेटा मिलेगा."
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10 लाख से अधिक बोरवेल:प्रदेश में बोरवेल की संख्या को लेकर ईटीवी भारत की टीम ने प्राइवेट नलकूप लगाने वालों से भी बात की. प्राइवेट नलकूप लगाने वाले नंद कुमार साहू ने टेलीफोनिक बातचीत में बताया कि "प्रदेश में 10 लाख से अधिक बोरवेल हैं. ग्रामीण इलाकों में किसान अपने खेतों में बोरवेल करवाते हैं. इसकी संख्या लगातार बढ़ती जा रही है. गर्मी के मौसम में हमने करीब 20 से अधिक जगहों पर बोरवेल का काम किया है. इसमें से दो जगहों पर बोरवेल से पानी नहीं निकल पाया. उस जगह को हमने मलबा डाल कर समतल कर दिया है."
कलेक्टरों को दिए निर्देश: जांजगीर-चांपा में राहुल साहू के बोरवेल में फंसने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने सभी खुले बोरवेल बंद करने के निर्देश दिए. इसके बाद अपर मुख्य सचिव ने पत्र लिखकर सभी कलेक्टरों को आदेश दिया कि सभी खुले बोरवेल बंद किए जाए. उन्होंने उच्चतम न्यायालय की ओर से 2009 में रिट पिटिशन क्रमांक 9 के संबंध में पारित आदेश का कठोरता से पालन करने को भी कहा. अपर मुख्य सचिव ने कहा कि कई बार नलकूप खनन के दौरान विभिन्न कारणों से केसिंग डालने के बाद भी नलकूप खनन का कार्य पूर्ण नहीं होता. केसिंग पाइप निकाल लिया जाता है. ऐसी स्थिति में अधूरे कार्य की वजह से निर्मित बोरवेल दुर्घटना का कारण बनता है.