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छत्तीसगढ़ की सत्ता की चाबी पर कांग्रेस और बीजेपी दोनों की निगाहें !

छत्तीसगढ़ की दोनों प्रमुख राजनीतिक पार्टियां कांग्रेस और बीजेपी मिशन 2023 की तैयारी में जुट गई हैं. दोनों पार्टियों का फोकस बस्तर संभाग पर है. बस्तर संभाग को छत्तीसगढ़ की सत्ता की चाबी कहा जाता है. आइये जानते हैं आखिर बस्तर का सियासी समीकरण क्या है? बस्तर इतना अहम क्यों है? (BJP and Congress focus on Bastar )

BJP and Congress focus on Bastar
छत्तीसगढ़ में बस्तर पर बीजेपी और कांग्रेस का फोकस

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Published : May 22, 2022, 11:14 AM IST

Updated : May 22, 2022, 1:02 PM IST

रायपुर:बीजेपी बस्तर में अपनी वापसी की राह तलाश रही है. प्रदेश की सत्ता पर काबिज कांग्रेस 2018 की स्थिति को बरकरार रखने की कोशिश में जुटी है. बीजेपी प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी बस्तर क्षेत्र का कई बार दौरा कर चुकी हैं. प्रदेश के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल इन दिनों इस क्षेत्र में भेंट मुलाकात अभियान के जरिए लोगों से रूबरू हो रहे हैं. मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने भेंट मुलाकात अभियान के दूसरे चरण की शुरूआत 18 मई से की. 2 जून तक चलने वाले इस अभियान के पहले दिन मुख्यमंत्री बस्तर क्षेत्र के कोंटा विधानसभा पहुंचे. इससे पहले बीजेपी प्रदेश प्रभारी डी पुरंदेश्वरी भी बस्तर क्षेत्र में पार्टी के कार्यक्रमों में शामिल हो चुकी हैं.

क्यों अहम है बस्तर?: राजनीति के जानकार और वरिष्ठ पत्रकार कृष्णा दास बीजेपी और कांग्रेस के बड़े नेताओं की बस्तर संभाग में बढ़ी सक्रियता को चुनावी लिहाज से काफी अहम मानते हैं. कृष्णा दास का कहना है कि " प्रदेश में सक्रीय सभी राजनीतिक दलों के लिए बस्तर संभाग की 12 विधानसभा सीटें महत्वपूर्ण है. माना जाता है कि आदिवासी मतदाता एकजुट होकर वोट करते हैं, जिसका असर पूरे राज्य के चुनाव परिणाम में दिखाई देता है. संख्या के लिहाज से भी यह सच है कि राज्य में आदिवासी मतदाताओं का साथ जिस पार्टी को मिलता है, उसी पार्टी की प्रदेश में सरकार बनने की संभावना ज्यादा रहती है. इसी वजह से भाजपा और कांग्रेस दोनों पार्टियों के लिए बस्तर बेहद अहम है. आदिवासी मतदाताओं को साधने के लिए ही कांग्रेस और बीजेपी इस इलाके में आगामी विधानसभा चुनाव के एक साल पहले से ही पूरा जोर लगा रही हैं.''

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क्यों माना जाता है बस्तर को सत्ता की चाबी:छत्तीसगढ़ में हुए विधानसभा के कई चुनावों में देखा गया है, कि अमूमन जिस पार्टी ने बस्तर संभाग में जीत हासिल की, राज्य में वही पार्टी सत्ता पर काबिज हुई है. छत्तीसगढ़ राज्य निर्माण के पहले अविभाजित मध्य प्रदेश में यहां कांग्रेस ने 11 सीटों पर जीत हासिल की थी. प्रदेश में पहली सरकार कांग्रेस की बनी. उसके बाद 2003 के चुनावों में यहां से भाजपा ने 8 सीटें हासिल कर प्रदेश में सरकार बनाई. 2008 विधानसभा चुनाव में बीजेपी को यहां 11 सीटें मिलीं और उसकी सत्ता बरकरार रही. हालांकि यह मिथक 2013 में टूटा, जब 12 में से बस्तर की आठ सीटें जीतकर भी, कांग्रेस प्रदेश की सत्ता हासिल नहीं कर पाई. लेकिन 2018 के चुनावों में यहां भाजपा का सूपड़ा साफ हो गया और बस्तर संभाग की 11 सीटों को जीतकर प्रदेश की सत्ता पर कांग्रेस काबिज होने में सफल रही.

वर्तमान में सभी 12 सीटों पर है कांग्रेस का कब्जा : छत्तीसगढ़ में 2018 में हुए विधानसभा के चुनाव में कांग्रेस ने एकतरफा जीत हासिल कर प्रदेश में अपनी सरकार बना ली. इस चुनाव में कांग्रेस को बस्तर संभाग की 12 में से 11 सीटों पर जीत मिली. बीजेपी के एकमात्र प्रत्याशी भीमा मंडावी ने दंतेवाड़ा विधानसभा सीट से जीत हासिल की थी. लेकिन 2019 में लोकसभा चुनाव के दौरान नक्सलियों ने बीजेपी विधायक भीमा मंडावी की हत्या कर दी . इसके बाद हुए उपचुनाव में कांग्रेस की देवती कर्मा ने भीमा मंडावी की पत्नी ओजस्वी मंडावी को हराकर दंतेवाड़ा विधानसभा की इस सीट को भी, कांग्रेस की झोली में डाल दिया.

बस्तर संभाग में 12 सीटें

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बस्तर संभाग की सीटें: जगदलपुर, चित्रकोट, दंतेवाड़ा, बीजापुर, कोंटा, बस्तर, कांकेर, केशकाल, कोंडागांव, नारायणपुर, अंतागढ़, भानुप्रतापपुर शामिल हैं. इनमें से केवल जगदलपुर ही सामान्य सीट है. क्षेत्र की 11 विधानसभा सीटें अनुसूचित जनजाति वर्ग के लिए आरक्षित हैं.

बस्तर की जनसंख्या:साल 2011 की जनगणना के मुताबिक बस्तर की जनसंख्या 8 लाख 34 हजार 375 है. जिसमें 4 लाख 13 हजार 706 पुरुष और 4 लाख 20 हजार 669 महिलाएं हैं. बस्तर की कुल जनसंख्या में 70 प्रतिशत आबादी जनजाति समुदाय की है. जनजाति समुदाय में गोंड, मारिया, मुरिया, भतरा, हल्बा, धुरुवा जैसी जातियां शामिल हैं.

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महिला वोटर्स क्यों हैं अहम:छत्तीसगढ़ के बस्तर संभाग की ज्यादातर विधानसभा की सीटों पर पुरुषों की तुलना में महिला मतदाताओं की संख्या ज्यादा है. चुनाव में भागीदारी के लिहाज से भी बस्तर की महिलाओं को पुरुषों के मुकाबले सक्रिय माना जाता है. यही वजह है कि इस इलाके में, राजनीतिक पार्टियां महिला मतदाताओं को नजरअंदाज नहीं कर सकतीं.

बस्तर में महिला वोटर्स अहम

विधानसभावार पुरुष और महिला मतदाताओं की संख्या :

1. चित्रकोट विधानसभा क्षेत्र में 78289 महिला मतदाता और 72651 पुरुष मतदाता हैं.

2. नारायणपुर बस्तर विधानसभा क्षेत्र में 26845 महिला मतदाता और 26938 पुरुष मतदाता हैं.

3. केशकाल विधानसभा क्षेत्र में 85381 महिला मतदाता और 84401 पुरुष मतदाता हैं.

4. कोंडागांव विधानसभा क्षेत्र में 74279 महिला मतदाता और 73354 पुरुष मतदाता हैं.

5. जगदलपुर विधानसभा क्षेत्र में 88617 महिला मतदाता और 86324 पुरुष मतदाता हैं

6. नारायणपुर क्षेत्र में 38358 महिला मतदाता और 36515 पुरुष मतदाता हैं.

7. अंतागढ़ विधानसभा क्षेत्र में 71361 महिला मतदाता और 75156 पुरुष मतदाता हैं.

8. विधानसभा क्षेत्र, भानुप्रतापपुर में 90189 महिला मतदाता और 87562 पुरुष मतदाता हैं.

9. कांकेर विधानसभा क्षेत्र में 81127 महिला मतदाता और 78505 पुरुष मतदाता हैं.

10. विधानसभा क्षेत्र दंतेवाड़ा में 88727 महिला मतदाता और 83478 पुरुष मतदाता हैं.

11. बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में 78982 महिला मतदाता और 75529 पुरुष मतदाता हैं.

12. बस्तर क्षेत्र के विधानसभा कोंटा में 82651 महिला मतदाता और 75975 पुरुष मतदाता है.

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विधानसभाओं के प्रमुख चुनावी मुद्दे:बस्तर संभाग की एक मात्र अनारक्षित सीट जगदलपुर विधानसभा का ज्यादातर हिस्सा शहरी है. यहां के युवाओं की सबसे बड़ी समस्या बेरोजगारी है. इसके साथ ही शहर में पीने लायक साफ पानी की कमी , ग्रामीण क्षेत्रों में सड़कों का न होना, बिजली का अभाव, जिला अस्पताल में डॉक्टरों की कमी जैसे मुद्दे प्रभावी हैं.

बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार विकास तिवारी के मुताबिक ''संभाग की कई विधानसभा क्षेत्रों में जातिगत समीकरण का प्रभाव भी पिछले कुछ चुनाव से देखने को मिल रहा है. 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में चित्रकोट विधानसभा में चुनाव प्रचार के दौरान अंदरूनी तौर पर गोंड का राजा गोंड जैसे नारे गूंजे थे. जगदलपुर विधानसभा में सामान्य वर्ग का प्रभाव है. इसका असर भी विधानसभा के चुनाव परिणामों में दिखाई देता है.

विकास तिवारी ने बताया ''राज्य बनने के बाद से हुए विधानसभा चुनावों में जगदलपुर सीट से व्यापारी वर्ग के प्रत्याशियों को ही जीत हासिल हुई है. अगर आगामी चुनाव में किसी पार्टी द्वारा, महाराजा भंजदेव के परिवार से, राजनीति में सक्रिय किसी व्यक्ति को उम्मीदवार बनाया जाय तो इसका असर बस्तर संभाग के कई विधानसभा सीटों पर पड़ सकता है. अब भी बस्तर के अंदरूनी क्षेत्रों में परिवार की छवि राजा वाली है. ग्रामीणों द्वारा उन्हें काफी सम्मान भी दिया जाता है.''

नए सीआरपीएफ कैंप बड़ा मुद्दा:बस्तर क्षेत्र के वरिष्ठ पत्रकार विकास तिवारी ने बताया ''बस्तर संभाग के कोंटा विधानसभा क्षेत्र में बांध का मामला और इलाके में खोले जा रहे नए सीआरपीएफ कैम्प का मामला बड़ा मुद्दा है. नए कैंप का विरोध हो रहा है. सुरक्षा बलों के नये कैम्प का विरोध बस्तर के कई विधानसभा क्षेत्रों में हो रहा है. यह विरोध कहीं कम है तो कहीं ज्यादा. दंतेवाड़ा विधानसभा क्षेत्र में सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं मिलने से लोग काफी नाराज हैं. यहां के लोगों की नाराजगी क्षेत्र की विधायक और उनके परिवार से भी है.

स्थानीय विधायक से नाराजगी: पत्रकार विकास तिवारी के अनुसार ''कोंडागांव विधानसभा क्षेत्र में संभाग के अन्य क्षेत्रों की तुलना में सरकारी योजनाओं का लाभ लोगों तक ज्यादा पहुंच रहा है. लेकिन स्थानीय विधायक से यहां के लोगों की भी नाराजगी है.

गांव में अबतक नहीं पहुंची सरकार:स्थानीय पत्रकार विकास तिवारी के अनुसार ''बस्तर संभाग के ग्रामीण भी चाहते हैं कि उन्हें आंगनबाड़ी, स्कूल, स्वास्थ्य केंद्र और राशन दुकानें जैसी सरकारी योजनाओं का लाभ मिले. आधार कार्ड बनवाने के लिए सुकमा से दंतेवाड़ा तक हजारों की संख्या में ग्रामीणों का पहुंचना इस बात का एक बड़ा उदाहरण है. हाल ही में अबूझमाड़ के तोके गांव के लोग अपने गांव में आश्रम (स्कूल) खोलने की मांग को लेकर नारायणपुर जिला मुख्यालय पहुंचे थे. इस गांव में अभी तक सरकार नहीं पहुंच पाई है.

सरकारी योजनाओं का लाभ नहीं: विकास तिवारी कहते हैं कि ''अगर सरकारी तंत्र चाहे तो सरकारी योजनाओं का लाभ दूरस्थ अंचलों में भी पहुंचाया जा सकता है. उदाहरण के तौर पर खूंखार नक्सली नेता, हिड़मा के गांव में हैंडपंप है. इस गांव में सुरक्षा बलों को भी जाने में काफी मशक्कत करनी पड़ती है. कई अंदरूनी इलाकों में सोलर लाइटें क्रेडा के माध्यम से पहुंचाई जा रही हैं. इसी तरह अन्य योजनाओं का लाभ भी ग्रामीणों तक पहुंचाया जाए तो इसमें कोई विरोध नहीं होगा.''

विकास तिवारी के अनुसार ''बीजापुर विधानसभा क्षेत्र में सुरक्षा बलों के नए कैंप लगाने से लोगों में नाराजगी है. इसके विरोध में सिलगेर में ग्रामीणों द्वारा लंबे समय से प्रदर्शन किया जा रहा है. इसे लेकर लोग काफी आक्रोशित हैं. ज्यादातर विधानसभा सीटों में विधायकों के प्रति लोगों की नाराजगी है जो 2023 के विधानसभा चुनाव के लिए बड़ा मुद्दा बन सकता है.''

बस्तर के प्रमुख चुनावी मुद्दे

संभाग के वर्तमान विधायक :

1. जगदलपुर से कांग्रेस प्रत्याशी रेखचंद जैन ने भाजपा प्रत्याशी संतोष बाफना को हराकर जीत हासिल की है.

2. चित्रकोट से कांग्रेस प्रत्याशी दीपक बैज ने भाजपा प्रत्याशी लछुराम कश्यप को हराकर जीत हासिल की.

3. दंतेवाड़ा से भाजपा प्रयाशी भीमा मांडवी ने कांग्रेस प्रत्याशी देवती कर्मा को हराकर जीत हासिल की थी. उपचुनाव में देवती कर्मा ने जीत हासिल की.

4. बीजापुर से कांग्रेस प्रत्याशी विक्रम मांडवी ने भाजपा प्रत्याशी महेश गागड़ा को हराकर जीत हासिल की.

5. कोंटा से करेस के कवासी लखमा ने सीपीआई के मनीष कुंजाम को हराकर जीत हासिल की.

6. बस्तर से कांग्रेस के लखेश्वर बघेल में भाजपा प्रत्याशी डॉ सुभाउ कश्यप को हराकर जीत हासिल की.

7. कांकेर से कांग्रेस के शिशुपाल सोरी ने भाजपा प्रत्याशी हीरा मरकाम को हराकर जीत हासिल की.

8. केशकाल से कांग्रेस के संतराम नेताम ने भाजपा के हरिशंकर नेताम को हराकर जीत हासिल की.

9. कोंडागांव से कांग्रेस के मोहन मरकाम ने भाजपा की लता उसेंडी को हराकर जीत हासिल की.

10. नारायणपुर से कांग्रेस के चन्दन कश्यप ने भाजपा के केदार कश्यप को हराकर जीत हासिल की.

11. अंतागढ़ से कांग्रेस के अनूप नाग ने भाजपा के विक्रम उसेंडी को हराकर जीत हासिल की.

12. भानुप्रतापपुर से कांग्रेस के मनोज मांडवी ने भाजपा के देवलाल दुग्गा को हराकर जीत हासिल की.

Last Updated : May 22, 2022, 1:02 PM IST

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