छत्तीसगढ़

chhattisgarh

ETV Bharat / city

बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में कैरियर की अपार संभावना, स्टार्टअप का भी काफी स्कोप

लगभग सभी विश्वविद्यालयों में कई ऐसे कोर्स (Course) पढ़ाए जाते हैं. जिसकी पढ़ाई के बाद स्टूडेंट्स (Students) अपने भविष्य को बनाते रहे हैं. इन कोर्सेज में जॉब अपॉर्चुनिटी (Job Opportunity) भी काफी रहती है. लेकिन कई ऐसे कोर्स हैं जिसके बारे में स्टूडेंट्स को पता ही नहीं रहता. हम आज ऐसे ही एक कोर्स 'बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग' (Biomedical Engineering) की बात हम करने जा रहे हैं, जिसमें कैरियर की अपार संभावनाएं (Career Prospects) हैं.

ETV exclusive conversation with Assistant Professor Dr Saurabh Gupta
असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सौरभ गुप्ता से ईटीवी की खास बातचीत

By

Published : Oct 3, 2021, 6:35 PM IST

Updated : Oct 4, 2021, 12:07 PM IST

रायपुरः यूं तो सभी विश्वविद्यालयों में बहुत सारे कोर्सेज पढ़ाए जाते हैं. जिसे बच्चों का भविष्य में अच्छा स्कोप रहता है. वहीं, जॉब अपॉर्चुनिटी (Job Opportunity) भी रहती है. लेकिन कई ऐसे कोर्स हैं जिसके बारे में बच्चों को पता नहीं रहता. जिस वजह से बच्चे उसका चयन नहीं करते. हालांकि उन कोर्सेज में भी फ्यूचर अपॉर्चुनिटी काफी अच्छी रहती है. आज ऐसे ही एक कोर्स 'बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग' (Biomedical engineering) की बात हम करने जा रहे हैं.

असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सौरभ गुप्ता से ईटीवी की खास बातचीत

बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग (Biomedical Engineering), बायोलॉजी और इंजीनियरिंग (Biology and Engineering) का एक मिक्स कोर्स (Mix Course) है. जो कि आज बहुत सारे विश्वविद्यालयों में पढ़ाया जाता है. लेकिन कई ऐसे बच्चे भी हैं, जिनको इस कोर्स के बारे में ज्यादा नहीं पता रहता. ईटीवी भारत ने एनआईटी रायपुर के बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सौरभ गुप्ता से खास बातचीत की. आइए जानते हैं उन्होंने क्या कहा...



सवालःबायोमेडिकल इंजीनियरिंग किस तरह का सब्जेक्ट है और कोविड के दौरान किस तरह ही काम आए हैं?

जवाबः एनआईटी (NIT) रायपुर बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग के असिस्टेंट प्रोफेसर डॉक्टर सौरभ गुप्ता ने बताया कि जब हम इंजीनियरिंग की पढ़ाई करते हैं तब हमें पीसीएम (फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथ) और पीसीबी (फिजिक्स, केमेस्ट्री, बॉयो) के बीच चुनना पड़ता है. जैसा कि हमने कोरोना के दौरान देखा कि जो भी लोग बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग पढ़ते हैं, उन्हें कोरोना काल के दौरान इस्तेमाल किए गए इंस्ट्रूमेंट का पूरा नॉलेज था. जैसे कि थर्मामीटर, ऑक्सीजन कंसंट्रेटर, ऑक्सीमीटर, वेंटिलेटर आदि इन सभी डिवाइस की नॉलेज बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग में पढ़ाते वक्त दी जाती है. यह नॉर्मली बीटेक के 4 साल के कोर्स में बच्चों को पढ़ाया जाता है.

बायोमेडिकल इंजीनियरिंग में कैरियर की अपार संभावना
सवालः बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग में क्या है कैरियर की संभावना?जवाबः बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग एक इंटरडिसिप्लिनरी फील्ड (Interdisciplinary Field) है. इसमें इंजीनियरिंग के कोर सब्जेक्ट को बायोलॉजी के साथ मिक्स करके पढ़ाया जाता है. जैसे मैकेनिकल, सिविल, इलेक्ट्रॉनिक आदि इंजीनियरिंग के सब्जेक्ट हैं, उसको हम बॉयोलॉजी में मिक्स कर बॉयोमैकेनिक्स, बॉयो-इलेक्ट्रिसिटी, बॉयो इनफॉर्मेटिक्स (Biomechanics, Bio-electricity, Bio Informatics) हम पढ़ाते हैं. इस तरह के सब्जेक्ट पढ़ कर स्टूडेंट अपना कैरियर किसी भी फील्ड में बना सकते हैं. अगर उनका इंटरेस्ट किसी भी एक बॉयोमेडिकल इंजीनियरिंग सब्जेक्ट में है तो बीटेक में 4 साल का कोर्स होता है. वहीं, मास्टर्स के लिए एनआईटी, आईआईटी (NIT, IIT) में इसके मास्टर्स के कोर्स भी 2 साल के होते हैं जहां पर स्पेशलाइज्ड एरिया ऑफ फील्ड (Specialized Area Of Field) की नॉलेज दी जाती है. उसके बाद पीएचडी में भी काफी स्कोप होता है.

ढाई साल का फॉर्मूला बीजेपी का षडयंत्र, बघेल सरकार को अस्थिर करने की साजिश: बृहस्पति सिंह

सवालः इंजीनियरिंग की अधिकतर फील्ड बायोलॉजी और हुमन बॉडी पर ही क्यों होती हैं आधारित?

जवाबः स्टूडेंट का इंटरेस्ट इस फील्ड में रहता है. लेकिन जो स्टूडेंट बायोलॉजी के साथ 12 वीं में पीसीएम होता है, वह ऑल रेडी बायोलॉजी और पीसीएम पढ़े होते हैं. तो वह ज्यादातर इस फील्ड में इंटरेस्ट दिखाते हैं और इस कोर्स को चुनते हैं. कई बार ऐसे भी स्टूडेंट आते हैं, जो पीसीएम सब्जेक्ट से पढ़े होते हैं. उन्हें ऐसा लगता है कि अगर हम पीसीएम पढ़े हैं तो बायोलॉजी से हम बहुत दूर हैं. इस वजह से उन्हें काफी डिफिकल्टिज (Difficulties) होती है. इस तरह के सब्जेक्ट में देखा जाए तो आज इंजीनियरिंग की अधिकतर फील्ड बायोलॉजी और हुमन बॉडी (Human Body) पर ही काम कर रही है.

सवालः किन सब्जेक्ट्स में युवाओं को स्टार्टअप में मिलती है सहायता?

जवाबः सभी बड़े कंपनियों के आज हेल्थ केयर यूनिट हैं उनकी प्लेसमेंट्स भी होती है. सबसे ज्यादा इस सब्जेक्ट को पढ़ कर युवाओं के लिए स्टार्टअप की अपॉर्चुनिटी बहुत ज्यादा है. क्योंकि इंडिया में मेडिकल डिवाइसेज की मैन्युफैक्चरिंग लगभग नहीं होती. यहां तक कि थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर जैसे डिवाइसेज भी हम दूसरे देश से इंपोर्ट करते हैं. तो अगर एक इंडियन स्टूडेंट (Indian Student) थर्मामीटर, ऑक्सीमीटर को भी बना लेता है तो उसके लिए भारत में बहुत बड़ा मार्केट है और भारत पूरे विश्व में तीसरा सबसे बड़ा मार्केट भी है.

Last Updated : Oct 4, 2021, 12:07 PM IST

ABOUT THE AUTHOR

...view details