रायपुरः छत्तीसगढ़ सरकार (Government of Chhattisgarh) ने चिटफंड कंपनियों (chit fund companies) में डूबे धन वापसी के लिए निवेशकों से आवेदन मंगवाए थे. जिसके बाद 1 से 20 अगस्त तक 25 लाख से अधिक निवेशकों (investors) ने आवेदन जमा किए. आवेदनों को जमा हुए एक माह से अधिक का समय बीत गया है. अब तक यह आवेदन तहसील कार्यालयों (Tehsil Offices) के उन्हीं कमरों में धूल फांक रहे हैं, जहां उन्हें निवेशकों ने जमा किया था. वहीं, 1 माह बीतने के बाद हर रोज आवेदक कार्यालय आ कर धन वापसी (Refunds) प्रक्रिया के बारे में जानकारी ले रहे हैं. जिन्हें कार्यालय में बैठे बाबू कोई आदेश नहीं आने की बात कह कर वापस भेज रहे हैं.
चिटफंड कंपनियों (chit fund companies) में डूबे धन की वापसी के ऐलान के बाद बड़ी संख्या में प्रदेश भर के तहसीलों में चिटफंड निवेशकों (chit fund investors) ने आवेदन जमा किया. चौंकाने वाली बात यह है कि अभी तक तहसीलों से जिला मुख्यालय तक आवेदन नहीं पहुंच पाए हैं. ऐसे ही 2 साल पहले भी करीब पांच लाख आवेदन जमा हुए थे. उन्हें भी अब तक धन वापसी नहीं की जा सकी है. रायपुर की बात करें तो सभी ब्लॉक से 3 लाख से अधिक आवेदन पत्र (Application letter) जमा किए गए थे. जांच में अब तक 110 चिटफंड कंपनियों द्वारा अरबों रुपए की ठगी की जानकारी सामने आई है, लेकिन प्रशासन की ओर से इस पर कोई ठोस पहल नहीं की जा सकी है.
ऐसे पूरी होगी धन वापसी की प्रक्रिया
विभागीय अधिकारियों के मुताबिक तहसील कार्यालयों से अब कलेक्टरों के माध्यम से जिले के पुलिस अधीक्षकों को जानकारी भेजी जाएगी. उसके बाद आवेदकों के बयान दर्ज कर एफआईआर दर्ज किए जाएंगे. फिर कंपनियों की चल अचल संपत्तियों की जानकारी जुटाने के बाद धन वापसी की प्रक्रिया कंपनियों की संपत्ति कुर्क कर के पूरी की जाएगी. न्यायालय के आदेश के बाद नीलामी होगी और तब जा कर धन वापसी होगी. जानकारी के मुताबिक इस प्रक्रिया में काफी समय लग सकता है. ऐसे में प्रशासन को जितनी जल्दी हो सके तहसीलों में डंप आवेदनों को मुख्यालय भेजने की जरूरत है, ताकि प्रक्रिया जल्द ही पूर्ण की जा सके।
5 हजार से 50 लाख तक के आवेदन
आवेदन करने वालों में 5 हजार से 50 लाख तक के निवेश करने वाले लोग हैं. इन आवेदनों में 110 से ज्यादा चिटफंड कंपनियों के ठगने की बात सामने आई है. जिनकी संपत्ति के संबंध में प्रशासन के पास कोई जानकारी ही नहीं है. निवेशकों के द्वारा किए गए आवेदनों के आधार पर तहसील में निवेशकों के नाम, पता, मोबाइल नंबर, जमा की गई राशि, कंपनी का नाम, जमा करने की तारीख व मैच्योरिटी की तारीख की इंट्री की गई है. उसी के आधार पर प्रशासन की ओर से कार्रवाई की जाएगी.