रायपुर:छत्तीसगढ़ राज्य वनों से घिरा हुआ है. बस्तर से लेकर सरगुजा तक जंगलों में वाइल्ड लाइफ (Wild life) का अलग ही माहौल है. उदंती से लेकर अचानकमार टाइगर रिजर्व (Achanakmar Tiger Reserve) और भोरमदेव जैसे जंगलों में वाइल्ड लाइफ (Wild life in Bhoramdev) को लेकर काफी काम किया जाना है. छत्तीसगढ़ में बायोडायवर्सिटी (Biodiversity in Chhattisgarh) को बढ़ावा देने के उद्देश्य से वन विभाग (Forest Department Chhattisgarh) ने बीते दिनों एक फोटोग्राफी और पोस्टर लेखन सहित कई प्रतियोगिता आयोजित की थी. इस प्रतियोगिता में एक बार फिर से वन विभाग के अधिकारियों के कारनामे ने ना केवल विभाग को बल्कि प्रदेश के वन्य प्रेमियों को भी असहज कर दिया है. बोर्ड ने इस कॉम्पिटीशन में चिड़िया अमेरिकन केस्ट्रेल बर्ड (American kestrel bird) की फोटो को अवार्ड के लिए सेलेक्ट किया जो छत्तीसगढ़ ही नहीं बल्कि भारत में नहीं पाई जाती. जिस पिक्चर को चयनित किया गया वो भी सोशल साइट से निकाली गई थी. सोने पर सुहागा ये कि विभाग ने अपने ही अधिकारी को प्रथम पुरस्कार के लिए चयनित कर लिया.
छत्तीसगढ़ बायोडायवर्सिटी बोर्ड की ओर से प्रदेश में बायोडायवर्सिटी पर फोटोग्राफी (Photography on biodiversity) और पोस्टर लेखन सहित कई कैटेगरी में प्रतियोगिताएं आयोजित की गई थी. अवार्ड के लिए चुने गए पक्षी को लेकर वन विभाग फिर से विवादो में आ गया है. वाइल्ड लाइफ से जुड़े विशेषज्ञों ने कहा है कि जो चिड़िया देश में नहीं है उसे छत्तीसगढ़ बायोडायवर्सिटी में अवार्ड के लिए चुन लिया है. छत्तीसगढ़ के वन्य प्रेमी नितिन सिंघवी कहते हैं कि बायोडायवर्सिटी को प्रोटेक्ट करने के लिए ही बायोडायवर्सिटी बोर्ड बनाया गया है. छत्तीसगढ़ वन विभाग अपना मूल कार्य भूल चुका है. अधिकारी दिखावे पर ज्यादा काम करते हैं. उनका कहना है कि बायोडायवर्सिटी पर जो प्रतियोगिताएं हुई हैं, उनका रिजल्ट सबके सामने आना चाहिए था. बोर्ड ने अमेरिकन केस्ट्रेल बर्ड (American kestrel bird) के फोटो का चयन अवार्ड के लिए किया है.
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विभाग के पास नहीं है कोई जानकारी
यूके के एक फोटोग्राफर स्टीफन पीटरसन ने अमेरिकन केस्ट्रेल बर्ड की फोटो खींची थी. किसी ने इंटरनेट से उनकी ये फोटो निकालकर प्रतियोगिता के लिए भेज दिया. नितिन सिंघवी का कहना है कि ज्यूरी मेम्बरों ने 10 नाम सिलेक्ट करके भेजे थे, लेकिन वन विभाग के अधिकारियों ने उन 10 में से एक भी नाम का चयन नहीं किया. अपने मन से 3 लोगों के नाम सलेक्ट कर दिए. छत्तीसगढ़ में बर्ड के जानकारों ने जब इसे देखा तो उन्होंने इस बर्ड के भारत में नहीं होने की बात कही. इस फोटो को लेकर विभाग की जमकर किरकिरी हो रही है. फोटो कहां खींची गई है, कब खींची गई है इसकी भी कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
वन विभाग की हो रही बदनामी
जैव विविधता यानी बायोडायवर्सिटी को बढ़ावा देने के उद्देश्य से इस तरह की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं. प्रतियोगिताओं के नतीजों को लेकर जिस तरह की किरकिरी हो रही है. इस पर कुछ भी बोलने से विभाग के लोग बच रहे हैं. वाइल्डलाइफ को लेकर काम कर रहे वरिष्ठ अधिकारियों ने इस तरह की घटना को लेकर जमकर नाराजगी जाहिर की है.