रायपुरः बस्तर चिंतन शिविर के बाद अनुमान लगाया जा रहा है कि छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भाजपा (BJP) अब ज्यादा आक्रामक (Aggressive) विपक्ष (Opposition) की भूमिका में दिखाई पड़ सकती है. पिछले कुछ समय से पार्टी (Party) के बड़े नेता (great leader) उतने सक्रिय (Active) नजर नहीं आ रहे थे.
चिंतन शिविर के बाद भाजपा प्रदेश में बना रही है 'आक्रामक' रणनीति - Alert
बस्तर में चिंतन शिविर के बाद छत्तीसगढ़ (Chhattisgarh) में भाजपा (BJP) अब ज्यादा आक्रामक (Aggressive) विपक्ष (Opposition) की भूमिका में है. कुछ समय से पार्टी (Party) के बड़े नेता उतने सक्रिय (Active) नजर नहीं आ रहे थे, लेकिन चिंतन शिविर (contemplation camp) के बाद स्थिति बदलती नजर आ रही है.
लेकिन प्रदेश प्रभारी (state in-charge) डी पुरंदेश्वरी के द्वारा जिम्मेदारी (Responsibility) लेने के बाद कुछ सक्रियता (activism) बढ़ी थी. फिर भी सड़क पर अभी इसका असर नजर नहीं आ रहा था, लेकिन इस चिंतन शिविर के दौरान जिन बिंदुओं (points) पर प्रमुखता से फोकस किया गया उससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि भाजपा भूपेश सरकार को घेरने के लिए किस तरह का रुख अपना सकती है.
धर्मांतरण का मुद्दा
भाजपा के चिंतन शिविर में जिस मुद्दे पर प्रमुखता से चर्चा हुई उनमें से एक धर्मांतरण (conversion) भी है. भाजपा इस मुद्दे को लेकर देश भर में मुखर रही है. अब इस पर आने वाले दिनों में पार्टी आक्रामक रूप से कांग्रेस (Congress) को घेरने की कोशिश कर सकती है. भाजपा इस मुद्दे को लेकर चुनाव (Election) में भी जाने की घोषणा कर चुकी है. गौरतलब है कि सुकमा एसपी के पत्र के बाद बस्तर में धर्मांतरण को लेकर मुद्दा कुछ दिन पहले उठ चुका है. तभी तो बस्तर में भाजपा ने इस विषय पर खास फोकस (focus) किया है.
रमन सरकार के MOU रद्द करने के बाद बघेल सरकार बुलाने जा रही इन्वेस्टर मीट
प्रशासनिक अधिकारियों को रमन की चेतावनी
इस शिविर में डॉ रमन सिंह अलग ही रंग में नजर आए. उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को कहा कि वे पटवारी से लेकर एसपी (SP) कलेक्टर (DM) के काले कारनामों की लिस्ट बना लें. अब ज्यादा वक्त नहीं बचा है. सबका हिसाब लिया जाएगा. 15 साल इस प्रदेश पर शासन करने वाले डॉ रमन सिंह के इस बयान के अपने मायने हैं. उन्हें बहुत अच्छे से मालूम होगा कि प्रशासन में
किस तरह के खेल होते हैं. इस बयान से कई लोग इस लिए भी हैरान हैं क्योंकि रमन सिंह को अधिकारियों को जनप्रतिनिधियों पर तरजीह देने वाला मुख्यमंत्री माना जाता था. अब वही अफसरों को खुलेआम चेतावनी (Warning) दे रहे हैं. यानि भाजपा आने वाले दिनों में अफसरशाही पर भी कड़ी नजर रखेगी.
पुरंदेश्वरी का 'थूकने' वाला बयान
भाजपा कार्यकर्ताओं (workers) में जोश भरने के लिए प्रभारी डी पुरंदेश्वरी ने एक ऐसा बयान दे दिया जिसकी चर्चा पूरे चिंतन शिविर पर भारी पड़ गई. उनके 'थूकने' वाले इस बयान के बहाने कांग्रेस को भी पलटवार करने का मौका मिल गया. मुख्यमंत्री ने कहा कि 'वो जब कांग्रेस में थीं तब तो ठीक थीं न जानें भाजपा में जाने के बाद क्या मनो दशा हो गई है'. विधायक बृहस्पत सिंह ने कहा कि 'भूपेश सरकार के लिए इस तरह की भाषा (Language) का इस्तेमाल कर रही हैं ये बेहद अफसोसजनक है. भूपेश सरकार को चुनने वाली जनता (public) इसका इतना करारा जवाब देगी की ये लोग थूकने के लायक ही नहीं बचेंगे.
फिलहाल, कांग्रेस अपने अंदरूनी कारणों से उतनी मजबूत नजर नहीं आ रही हो लेकिन जिस तरह से बयानों पर पलटवार हुआ है, उससे साफ है कि आने वाले दिनों में हर मुद्दों पर तीखी जुबानी जंग और प्रदर्शन (Display) का दौर चल पड़ेगा. यह चुनावी साल नजदीक आते आते बढ़ते हुए नजर आएगा.