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इन दुखियारे गांववालों की पुकार सुन लो सरकार, पीने को साफ पानी तक नहीं हो रहा नसीब

आप पानी को बिना फिल्टर किए हाथ भी नहीं लगाते होंगे. लेकिन छत्तीसगढ़ के रायगढ़ जिला मुख्यालय से 15 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद टीपाखोल गांव में लोगों को पीने के लिए साफ पानी तक नसीब नहीं हो रहा है.

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Published : Jun 17, 2019, 12:32 AM IST

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रायगढ़: गांव के हालत बंद से बदतर हैं आलम यह है कि आज के दौर में भी इस गांव के लोग झिरिया का पानी पीने को मजबूर हैं. गांव में कई सरकारी हैंडपंप तो मौजूद हैं, लेकिन इनमें से लाल पानी निकलता है, जिसे पीना तो दूर इसमें से नहाने पर भी बीमारी का खतरा बना रहता है. इसके साथ ही ग्रामीण इस पानी का इस्तेमाल दैनिक कामों के लिए भी नहीं करते हैं, क्योंकि पानी का लाल रंग कपड़ों पर भी चढ़ जाता है, जिससे वो गंदे हो जाते हैं.

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इलाज के लिए जाना पड़ता है रायगढ़
टीपाखोल में प्रशासन की ओर से बांध बनाया गया है और इसमें मौजूद पानी को नहर के जरिए खेतों तक पहुंचाया जाता है, जिसकी मदद से सैकड़ों एकड़ खेतों की सिंचाई तो होती है, लेकिन इस पानी का इस्तेमाल पीने के लिए नहीं किया जा सकता. इसके साथ ही अगर कोई बीमार हो जाए तो इलाज के लिए उसे लेकर रायगढ़ जाना पड़ता है.

सरपंच पर ग्रामीणों ने लगाया आरोप
बरसात के दिनों में बांध का जलस्तर बढ़ने की वजह से झिरिया में नदी का पानी भर जाता हैं और ग्रामीण पीने के लिए इसी का इस्तेमाल करते हैं. गांववाले इस समस्या को जनप्रतिनिधियों के सामने भी उठा चुके हैं लेकिन नजीता सिफर ही रहा. गांववालों का आरोप है कि जब भी वो इस मसले को सरपंच के सामने उठाते हैं तो उनका कहना होता हैं टीपाकोल गांव के लोग उनकी मदद नहीं किए थे, इस वजह से वो इस गांव का विकास नहीं कर रहे हैं.

साफ पानी के लिए तरस रहे ग्रामीण
वहीं इस मामले में सरपंच के पति का क्या कहना है ग्रामीणों की ओर से लगाया गया आरोप गलत हैं और उन्होंने यहां कई विकासकार्य कराए हैं. जिस देश में वॉटर प्यूरीफायर का व्यापार अच्छा खासा फल फूल रहा है. लोग पीने से पहले यह सुनिश्चित करना चाहते हैं कि पानी फिल्टर या आरओ का है या नहीं, वहीं इसी देश में दूसरी ओर सूबे के कुछ गांव ऐसे भी हैं जहां के लोग इस दौर में भी पीने के साफ पानी के लिए तरस रहे हैं.

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