महासमुंद : प्रदेश में मार्च महीने में ही जमकर गर्मी पड़ने लगी है. महासमुंद में भी गर्मियों को लेकर लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग ने तैयारियां कर ली थी, लेकिन गर्मी की शुरुआत में ही इन तैयारियों की पोल खुलती नजर आ रही है. जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में सैकड़ों हैंडपंप खराब पड़े हुए हैं. ग्रामीणों को पानी के लिए 2-3 किलोमीटर पैदल चलकर जाना पड़ता है. इसकी शिकायत ग्रामीण कई बार अधिकारियों से कर चुके हैं, लेकिन अब तक इनकी समस्या पर कोई सुनवाई नहीं की गई है. लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी सही बता रहे हैं.
12 लाख की आबादी वाले महासमुंद जिले में कुल 11 हजार 966 हैंडपंप लगाए गए हैं. 76 हैंडपंप भू-जलस्तर के नीचे चले जाने की वजह से बंद पड़े हुए हैं. तकरीबन 139 हैंडपंप खराब हो चुके हैं. जिले में कुल 215 हैंडपंप बंद हैं.
जानिए, कहां अकबर के जमाने से चला आ रहा पानी का संकट
कोसमर्रा पंचायत की अगर बात करें तो यहां के कछारडीह गांव में 800 लोग रहते हैं. आदिवासी और पिछड़ा वर्ग, बाहुल्य इस गांव में एक बोर, 12 हैंडपंप और एक तालाब है. गांव के लगभग आधे बोर से गंदा पानी आ रहा है. कुछ हैंडपंप भू-जलस्तर नीचे चले जाने की वजह से बंद हो गए हैं. तालाब भी गर्मी का मौसम आते ही सूख जाता है. गांव के नलों में पानी भी नहीं आता है. गांव के लोगों को खेत में लगे बोर पर निर्भर रहना पड़ता था. ग्रामीणों को हर रोज 2 से 3 किलोमीटर चलकर पानी लेने जाना पड़ता है.
ग्रामीणों ने बोर की समस्या के बारे में कई बार अधिकारियों से शिकायत की है. इस पूरे मामले पर विभाग ने अब तक कोई कार्रवाई नहीं की है. ग्रामीणों का कहना है कि अभी मार्च में पानी के लिए इतनी परेशानी झेलनी पड़ रही है. गर्मी बढ़ने पर पानी की समस्या और भी बढ़ जाएगी. इस पूरे मामले में जब मीडिया ने लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी विभाग के अधिकारी से सवाल किया गया तो उन्होंने सब ठीक होने की बात कही है.