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SPECIAL: भगवान को 'बनाने' के लिए हुए कर्जदार, राहत की आस में बैठे मूर्तिकार

मंगलमूर्ति, विघ्न हर्ता...पहले जब हर साल आते थे तो मूर्तिकारों के घर लक्ष्मी साथ लाते थे. लेकिन कोरोना संक्रमण के दौर ने ये हाल कर दिया है कि लंबोदर की मूर्तियां बनाने वालों का उदर कहीं खाली न रह जाए. जो हाथ सुंदर-सुंदर प्रतिमाएं बनाते थे, वे मदद मांगने के लिए मजबूर हो गए हैं...।

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Published : Jul 11, 2020, 8:39 PM IST

The sculptor
मूर्तिकार

महासमुंद:कोरोना काल ने त्योहारों का रंग भी फीका कर दिया है. गणेशोत्सव आते ही मूर्तिकारों के चेहरे पर मुस्कान आ जाती थी. जो हाथ लंबोदर की सुंदर-सुंदर मूर्तियां बनाते थे. जिनके परिवार का पेट और जेब इनकी खरीदारी से भर जाया करता था. इस महामारी ने ये हाल कर दिया है कि आकर्षक प्रतिमाएं बनाने वाले वही हाथ मदद के लिए फैलाने पड़ रहे हैं. मूर्तिकारों का कहना है कि साल भर की कमाई इस एक महीने पर निर्भर करती है ऐसे में उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ गई है. कई ने तो कर्ज लेकर प्रतिमा बनाने का कच्चा माल खरीदा था.

राहत की आस में बैठे मूर्तिकार

इस साल संक्रमण के खतरे को देखते हुए सरकार ने सार्वजनिक कार्यक्रमों पर पाबंदी लगा दी है. सरकार के इस फैसले का सबसे ज्यादा असर किसी पर पड़ा है तो वे हैं मूर्तिकार. गणेश चतुर्थी, नवरात्रि में मूर्ति बनाकर ये मूर्तिकार अपने साल भर का इंतजाम कर लिया करते थे. इस साल किसी तरह से पंडाल नहीं लग रहे हैं और न ही बड़ी मूर्तियां स्थापित की जा रही हैं. अबतक जिन मूर्तिकारों के पास ऑर्डर की लाइन लगी रहती थी, वे एक-एक प्रतिमा बेचने के लिए तरस रहे हैं. मूर्तिकारों के सामने अब आर्थिक संकट गहराने लगा है. ऐसे में उन्होंने प्रशासन से मदद की गुहार लगाई है.

SPECIAL: हे विघ्नहर्ता! कोरोना काल में 'भगवान' को बनाने वाला भी सो रहा है भूखा

पूरे साल मूर्तिकार इस सीजन का इंतजार करते हैं. इस एक सीजन की कमाई से वे पूरे साल घर चलाते हैं. इस साल आयोजन नहीं होने से मूर्तिकारों के सामने बड़ा संकट खड़ा हो गया है. मूर्तिकार अब प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं. उनका कहना है कि प्रशासन इस स्थिति में उन्हें कोई मदद दे तो वे अपना घर चला सकेंगे वरना उनके सामने भूखे मरने की नौबत आ जाएगी.

मूर्ति बनाते मूर्तिकार

कर्ज में डूब चुके हैं मूर्तिकार

गणेश चतुर्थी को देखते हुए मूर्तिकारों ने कच्चा सामान लेने के लिए कर्ज लिया था. मूर्तिकार हर साल मूर्तियां बिक जाने के बाद अपना कर्ज उतार लिया करते थे, लेकिन इस समय मूर्तियां तो तैयार हैं लेकिन उसे खरीदने वाला कोई नहीं है. ऐसे में मूर्तिकार अब कर्ज में डूबने लगे हैं. कुछ मूर्तिकारों ने हर बार की तरह इस साल भी अपनी जमापूंजी सीजन के प्रमुख व्यवसाय के लिए लगा दी है अब उनके पास परिवार की परवरिश के लिए भी रुपए नहीं बचे हैं.

हजार से ज्यादा परिवारों पर संकट

महासमुंद में एक हजार से ज्यादा मूर्तिकार हैं. इन सभी का प्रमुख व्यवसाय मूर्ति निर्माण करना है. इस काम से उनकी रोजी- रोटी चलती है. अब इन मूर्तिकारों के पास परिवार चलाने का संकट खड़ा हो गया है. मूर्तिकार लगातार शासन-प्रशासन से मदद की गुहार लगा रहे हैं.

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