महासमुंद : कोरोना वायरस संक्रमण के मद्देनजर हुए लॉकडाउन से कई व्यवसाय बुरी तरह प्रभावित हुए है. महासमुंद में फोटो स्टूडियो संचालकों की जिंदगी के पहिए भी पूरी तरह थम गए हैं. फोटोग्राफर्स का रोजगार छिन गया है. एक समय था जब लोगों के बीच फोटो स्टूडियो का क्रेज था, लोग फोटो खिंचवाने के लिए अपनी फैमिली और फ्रेंड के साथ फोटो स्टूडियो में जाया करते थे. लेकिन डिजिटलाइजेशन और मोबाइल के दौर ने गरीबी में आटा और गीला कर दिया. लोग अब मोबाइल से फोटो खीच ले रहे हैं, सेल्फी के ट्रेंड ने इन फोटोग्राफर्स के धंधे पर ब्रेक लगा दिया.
लॉकडाउन में ठप हुई फोटोग्राफी फोटोग्राफर्स का बिजनेस सिर्फ शादी सीजन तक सीमित रह गया है. लेकिन लॉकडाउन ने उस पर भी पानी फेर दिया. पूरे साल का खर्च 4 से 5 महीने की बीच होने वाली शादियों में निकल जाता था, उसी से स्टूडियो का काम भी चलता था. जो कि इस बार नहीं हो सका.
शहर में करीब 15 स्टूडियो
फोटोग्राफरों की माली हालत दयनीय हो गई है. महासमुंद शहर में लगभग 15 स्टूडियो है. लगभग 30 लोग शादी और बर्थडे कार्यक्रम में फोटोग्राफी कर अपना पेट पालते थे. पूरे जिले के फोटोग्राफरों की संख्या करीब ढाई सौ है. जिनके पीछे उनका पूरा परिवार और उनके साथ काम करने वाले लोगों की रोजी-रोटी चलती थी. लेकिन अब सब ठप पड़ गया है.
SPECIAL: कोरोना संकट के बीच फिजिकल डिस्टेंसिंग, लेकिन सामाजिक जुड़ाव बढ़ा
लॉकडाउन में ठप हुआ कारोबार
ETV भारत की टीम ने फोटो स्टूडियो के कुछ लोगों से चर्चा की, उनका कहना है कि लॉकडाउन उनके काम के सीजन के दौरान लगा जिससे व्यवसाय पूरी तरह से खत्म हो गया. हमने शादी सीजन की जो 6 महीने पहले से बुकिंग ली थी. वह कोरोना महामारी के कारण कैंसिल हो गई. उस कार्यक्रम के लिए जो एडवांस राशियां ली थी अब वह वापस लौटानी पड़ रही है. बहुत ज्यादा दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है. क्योंकि शादी का काम करने के लिए कैमरे और कुछ सामान लिए गए थे जो काफी महंगे थे.
पासपोर्ट साइज फोटो के लिए भी नहीं आ रहे लोग
लॉकडाउन में रियायतें मिली जिसके बाद कुछ शादियां हुई. पर लिमिटेड लोग और सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करने के कारण सबसे पहले फोटोग्राफर को ही किनारे कर दिया गया. स्कूल, सरकारी ऑफिस और निजी कार्यालय बंद होने से लोग अब पासपोर्ट फोटो के लिए भी नहीं आ रहे हैं. स्टूडियो वालों का कहना है कि उनका काम किस व्यवसाय से संबंधित है यह सरकार तय नहीं कर पा रही है. जब लॉकडाउन हटा तो सभी वर्ग की दुकानों को खोलने का लिस्ट में नाम तो था. पर स्टूडियो वालों का नाम कहीं भी नहीं था. जिसके कारण बड़ी मशक्कत करनी पड़ी.
SPECIAL: अनलॉक के बाद भी नहीं मिल रहा काम, रोजी-रोटी के जुगाड़ में भटक रहे मजदूर
10 से 12 लाख का काम प्रभावित
स्टूडियो वाले इस तीन-चार महीने में लगभग 10 से 12 लाख का काम कर लेते थे. जो अब पूरी तरह से जीरो हो गया है. जिस स्थिति का सामना इस समय फोटोग्राफर और स्टूडियो वाले कर रहे हैं उससे लगने लगा है कि जल्द ही ये लोग अपना व्यवसाय बदल देंगे. उनका कहना है कि पहले ही डिजिटाइजेशन के कारण धंधा चौपट था. अब कोरोना संकट और लॉकडाउन की वजह से पूरी तरह बेरोजगार हो गए है. घर चलाने के लिए कोई दूसरा काम ढूंढना पड़ेगा.