कोरबाःदेशभर में कोयला संकट की स्थिति के बीच केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी (Union Coal Minister Prahlad Joshi) आज कोरबा प्रवास पर आएंगे. इस क्रम में देश और एशिया की सबसे बड़े खुली कोयला खदान गेवरा का दौरा करेंगे. जानकारी के अनुसार वह अधिकारियों की बैठक लेने के बाद मुख्यमंत्री भूपेश बघेल (Chief Minister Bhupesh Baghel) से भी मुलाकात करेंगे. सीएम से मुलाकात के बाद केंद्रीय मंत्री सीधे झारखंड जाएंगे. इस तरह से केंद्रीय स्तर के अधिकारियों की दौरे के बाद अब केंद्रीय मंत्री का दौरा सुनिश्चित हुआ है.
एसईसीएल बिलासपुर मुख्यालय के जनसंपर्क अधिकारी सनीष चंद्रा ने ईटीवी भारत को बताया कि केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी आज गेवरा पहुंचेंगे. यहां वह अधिकारियों की बैठक लेंगे, हालांकि यह प्रवास बेहद अल्प समय के लिए है. जिसके बाद वह रायपुर और फिर झारखंड रवाना होंगे.
कोयला संकट से उबरने की दिशा में कोल इंडिया लिमिटेड (Coal India Limited) अपनी पूरी ताकत झोंकने में लगा हुआ है. जिस क्रम में कोयला उत्पादन की समीक्षा (Coal Production Review) करने सीधे केंद्रीय कोयला मंत्री यहां पहुंच रहे हैं. बता दें कि देश के विभिन्न राज्यों में कोयले के स्टॉक (coal stocks) में कमी आ गई है. जिसकी वजह से कई राज्यों में बिजली का संकट (Power Crisis) गहराने लगा है. आने वाले समय में दूसरे राज्यों में भी कोयले की कमी की वजह से बिजली संकट गहरा सकता है.
देशभर में जाता है एसईसीएल का कोयला
एसईसीएल (SECL) देशभर के पावर प्लांट (Power Plant) को कोयला सप्लाई करती है. कोरबा में संचालित दीपका, कुसमुंडा और गेवरा एसईसीएल के मेगा प्रोजेक्ट हैं. इन तीन खदानों का देश भर में कोयले की मांग की आपूर्ति कराने में अहम योगदान है. अब यह तीनों ही खदानें अपने निर्धारित कोयला उत्पादन के लक्ष्य से पिछड़ गई हैं. इस कारण पूरे देश में कोयला संकट गहराया हुआ है. अंतरराष्ट्रीय बाजारों में कोयले की कीमतों (Coal Price In International Market) में बेतहाशा वृद्धि के कारण कोयले का आयात बंद है. इस कारण एसईसीएल पर पावर सेक्टर को कोयला आपूर्ति का दबाव है. ऐसी परिस्थितियों में छत्तीसगढ़ को कम कोयले की आपूर्ति की जा रही थी, जिससे प्रदेश के ताप विद्युत संयंत्रों में कोयले की कमी बरकरार है.
कोयले का स्टॉक 5 दिन से कम का, तो पावर प्लांट क्रिटिकल जोन में
यदि कोयले का स्टॉक 5 दिन से कम हुआ तो संबंधित पावर प्लांट को क्रिटिकल जोन में माना जाता है. वर्तमान में प्रदेश के लगभग सभी पावर प्लांटों के पास 5 से 10 दिन का ही कोयले का स्टॉक शेष है. बैठक में मांग के अनुरूप कोयला आपूर्ति पर सोमवार को मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के साथ एसईसीएल के सीएमडी एके पांडा से छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्रों (Power Plants) को प्राथमिकता के आधार पर कोयले आपूर्ति की बात कही गई है. आवश्यकता के अनुसार ही अच्छी गुणवत्ता के कोयले की सप्लाई की जानी चाहिए, यह बात छत्तीसगढ़ सरकार ने जोर देकर कही है. एसईसीएल के सीएमडी पांडा ने रेलवे अफसरों की मौजूदगी में 29 हजार 500 मेट्रिक टन कोयला प्रतिदिन छत्तीसगढ़ के ताप विद्युत संयंत्र को सप्लाई करने की बात कही है, लेकिन यह बात धरातल पर कैसे उतरेगी इस पर अब भी संशय बरकरार है.
पावर सेक्टर पर आ गया है भारी दबाव
अंतरराष्ट्रीय मार्केट (International Market) से देश में कोयला आयात बंद होने के बाद एसईसीएल पर पावर सेक्टर (Power Sector) को भी कोयला देने का दबाव है. कोयले की मांग में बढ़ोतरी हुई है, लेकिन हाल फिलहाल में हुई तेज बारिश और अन्य कारणों से एसईसीएल को कोयला खदानों से पूरी क्षमता से उत्पादन नहीं हो रहा है. निर्धारित लक्ष्य (set target) की तुलना में 50 से 60 फीसदी तक ही कोयले का उत्पादन हो रहा है. जो कि केंद्र सरकार के लिए बड़ी चिंता का विषय है. दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने भी कोयला संकट के हालात पैदा होने पर चिंता जाहिर करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी (Prime Minister Narendra Modi) को पत्र लिखा था. जबकि सोमवार को छत्तीसगढ़ के सीएम भूपेश बघेल ने भी एसईसीएल के सीएमडी एके पांडा के साथ बैठक कर छत्तीसगढ़ को प्रतिदिन 29 हजार 500 मिलियन टन कोयला (Million Tons Of Coal) प्रदाय करने की बात कह चुके हैं.
पांडा ने भी इसकी सहमति दी है. केंद्र सरकार का सर्वोच्च नेतृत्व (Supreme Leadership) शुरू से ही कोयला संकट की बातों को नकारता रहा है. लेकिन ठीक इसी दरम्यान एसईसीएल के मुख्यालय से लेकर गेवरा और कुसमुंडा खदानों में केंद्र स्तर के अधिकारियों का लगातार दौरा हो रहा है. कुछ दिन पहले सीएमडी (CMD) भी कोरबा पहुंचे थे. डायरेक्टर टेक्निकल ने भी खदानों का दौरा किया है और अब सीधे केंद्रीय कोयला मंत्री प्रहलाद जोशी कोरबा पहुंच रहे हैं. इन सभी घटनाक्रमों को कोयला संकट से जोड़कर ही देखा जा रहा है. यदि कोयला संकट जल्द दूर नहीं हुआ तो पावर प्लांट के समक्ष विद्युत उत्पादन (Power Generation) की बड़ी समस्या खड़ी हो सकती है. वर्तमान में छत्तीसगढ़ के सभी पावर प्लांट के पास सिर्फ 3 से 5 दिनों का ही कोयले का स्टॉक शेष है. जबकि सामान्य दिनों में यह कम से कम 15 दिनों का होना चाहिए.