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एकजुट होकर पॉजिटिविटी के साथ कोरबा के चंद्रा परिवार ने दी कोरोना को मात

कोरबा में एक परिवार के सभी लोग कोरोना की गिरफ्त में आ गए थे. परिवार ने एकजुटता के साथ एक दूसरे का साथ दिया. इस तरह चंद्रा परिवार के सभी सदस्यों ने पॉजिटिव माहौल बनाकर कोरोना को 17 दिनों में मात दी.

story of the family who defeated Corona with positivity in Korba
अश्विनी चंद्रा का परिवार

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Published : Apr 23, 2021, 6:27 PM IST

कोरबा :कहते हैं परिवार एक इंसान की असली ताकत होता है.कोरोना वायरस के खिलाफ इस लड़ाई में अगर आपका परिवार आपके साथ है तो फिर डर किस बात का. कोरबा जिले के जमनीपाली टाउनशिप में रहने वाले अश्वनी चंद्रा के परिवार ने इस बात को सही साबित करके दिखाया है. चंद्रा, उनकी पत्नी और दोनों बच्चे सभी की कोरोना टेस्ट रिपोर्ट पॉजिटिव आई थी. होम आइसोलेशन में रहकर परिवार अपना इलाज करा रहा था. इस कठिन समय में सभी एक दूसरे की हिम्मत बने. पॉजिटिविटी के साथ अपना इलाज करवाया और 17 दिन आइसोलेशन में रहने के बाद स्वस्थ होकर लौटे.

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परिवार के 4 लोगों को हुआ था कोरोना

कोरबा NTPC में ऑपरेटर के पद पर कार्यरत अश्वनी चंद्रा, उनकी पत्नी अन्नपूर्णा, 12 साल के बेटे अभिमन्यु और 24 वर्षीय बेटी भैरवी सभी पिछले साल नवंबर में कोरोना पॉजिटिव आए थे. जब परिवार के लोगों की एक-एक कर रिपोर्ट पॉजिटिव आने लगी तो सभी का परेशान होना स्वभाविक था. कोरोना से लड़ने के अलावा उनके सामने परिवार और उनकी जरूरतों की भी समस्या आ खड़ी हुई थी. परिवार के सभी लोगों को होम क्वॉरेंटाइन किया गया था. किसी को भी बाहर जाने की इजाजत नहीं थी. परिवार के सदस्यों ने हिम्मत से काम लेते हुए घर में पॉजिटिव महौल बनाया और खुद को घर के कामों में व्यस्त रखने लगे.

बेटे के साथ गार्डनिंग करते अश्वनी

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पॉजिटिव सोच से मिली मदद

परिवार के मुखिया अश्वनी बताते हैं कि मैने शुरू से ही सकारात्मक सोच रखी. एक पल के लिए भी निगेटिविटी को खुद पर हावी नहीं होने दिया. घर पर गेम्स खेलकर, घरेलू काम कर और बातचीत कर हंसी-खुशी के साथ समय बिताते थे. अश्वनी कहते हैं कि पूरा परिवार एक साथ था और हम एक दूसरे को संबल देते रहते थे. मैंने कभी यह नहीं सोचा कि कल क्या होगा मैंने सिर्फ इतना सोचा कि जो आज मेरे हाथ में है. इसे जी भर कर जी लेना चाहिए. फिर चाहे कल का परिणाम जो भी हो. इसी सोच के साथ हम आगे बढ़े. मिल-जुलकर काम करने लगे मेरे घर में एक छोटा-सा गार्डन है. वहां सब्जी और फूल पौधों को संवारने में काफी समय देने लगे. देखते ही देखते कब समय खत्म हुआ पता ही नहीं चला. सभी ने बीमारी को मात दी और निगेटिव से रिपोर्ट पॉजिटिव आई.

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दोस्तों ने की मदद

अन्नपूर्णा कहती हैं कि राशन का सामान जुटाना सबसे बड़ी चुनौती थी. इसके अलावा हमारा बेटा सिर्फ 12 साल का था और वह भी संक्रमित हो गया था. सबसे ज्यादा उसकी चिंता रहती थी. हम तो घर में समय किसी तरह काट लेते थे, लेकिन बच्चे अगर घर से बाहर न जाए तो चिड़चिड़े होने लगते हैं. पति के मित्रों ने काफी सहयोग किया. सभी लगातार फोन करते थे और पूछते थे कि किसी की जरूरत हो तो कहना. बोलने के पहले ही सामान हमारे पास पहुंच जाता था.इससे हमें काफी सहायता मिली.


सोशल मीडिया की फर्जी सूचनाओं से रहें दूर

अश्वनी कहते हैं कि कोरोना से जंग जीतना उतना भी मुश्किल नहीं है जितना की बताया जा रहा था. अगर हम अपनी सोच पॉजिटिव रखे तो कोरोना से जल्द रिकवर हो सकते हैं. संक्रमित आने वाले व्यक्ति बस सोशल मीडिया की अफवाहों और न्यूज में चलने वाली नकारात्मक खबरों से दूर रहें. खुद को किसी एक्टिविटी में व्यस्त रखें.

लोगों की करें मदद

अन्नपूर्णा कहती हैं कि ऐसे समय में अगर आप किसी कोरोना संक्रमित की मदद करते हैं तो आपके परिवार को आपकी चिंता होना लाजिमी है. अभी परेशानी का समय है ऐसे समय में अगर हम किसी की मदद के लिए सामने नहीं आएंगे तो कौन आएगा. उन्होंने सभी से ज्यादा से ज्यादा लोगों की मदद करने की अपील की है.

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