कोरबा:कोरोना वायरस के प्रकोप से उपजी लॉकडाउन की परिस्थितियां छत्तीसगढ़ समेत पूरे देश-दुनिया के लिए किसी बुरे सपने से कम नहीं थी. लेकिन इस दौरान कहीं कुछ अच्छा भी हुआ है. लॉकडाउन में जब किसी के पास कोई काम नहीं था, तब जिले के पीजी कॉलेज के स्पोर्ट्स ऑफिसर ने सोचा कि क्यों न इस समय का सदुपयोग कर अपने शौक को आगे बढ़ाया जाए. उनका यह शौक था साइकिलिंग का. बस फिर क्या था, कुछ मित्रों की टोली बनाई और शुरू रोजाना 50 से 60 किलोमीटर की साइकिलिंग का सफर शुरू हो गया. आलम यह हुआ कि हफ्ते में एक दिन 100-100 किलोमीटर तक भी साइकिलिंग होने लगी.
बड़ों को देख धीरे-धीरे टोली से जुड़ने लगे बच्चे भी
सेहत के साथ मनोरंजन और समय काटने के लिए शुरू की गई साइकिलिंग के इस सफर का असर बच्चों पर यह हुआ कि वे भी इसमें पारंगत हो गए. स्पोर्ट्स ऑफिसर (sports officer) की सटीक सलाह और कॉलेज से मिली प्रोफेशनल साइकिल (professional bicycle) ने बच्चों में छिपी प्रतिभा को उजागर करने में अहम भूमिका निभाई. इसके बाद अब जब परिस्थितियां सामान्य हुईं तब स्टेट चैंपियनशिप की प्रतियोगिता (State Championship Competition) सामने आई. इसके बाद बच्चों ने जोरदार प्रदर्शन कर मैदान मार लिया.
लेमरू घाटी में साइकिलिंग के बाद सपाट ट्रैक पर दिखाया जलवा
कोरबा के कॉफी प्वाइंट और लेमरू की घाटी में साइकिल चला चुके बच्चों ने प्रतियोगिता के सपाट ट्रैक पर ऐसा जलवा बिखेरा कि उनके निकटतम प्रतिद्वंदी उनके आसपास भी नहीं थे. इन बच्चों ने अपने प्रतिद्वंद्वियों को 2 किमी के मार्जिन से पछाड़ते हुए स्टेट चैंपियन का तमगा हासिल कर लिया. अब यह सभी नेशनल की तैयारी कर रहे हैं.
ऐसे हुई इस सफर की शुरुआत...
जिले के राजगामार रोड में शासकीय इंजीनियर विश्वेश्वरैया पीजी कॉलेज (Government Engineer Visvesvaraya PG College) स्थापित है. यह जिले का लीड कॉलेज भी है. यहां क्रीड़ा अधिकारी के तौर पर डॉ बीएस राव पदस्थ हैं. जब लॉकडाउन लगा तब समय काटने के लिए राव ने अपने साइकिलिंग के शौक को आगे बढ़ाते हुए एक नई शुरुआत की. उनके साथ आसपास रहने वाले युवा और मित्र भी जुड़ गए.
कोरबा के नाम पर बन गया साइकिलिंग ग्रुप
कोरबा के नाम पर एक साइकिलिंग ग्रुप बन गया. इस टोली से विपिन यादव और जाहिद अली जैसे कई अभिभावक भी जुड़े. जब घर के बड़े साइकिलिंग करने जाते तब बच्चे भी उन्हें देखते. बड़ों से आकर्षित होकर बच्चे भी साइकिलिंग करने लगे. यह सिलसिला लगातार जारी रहा. जब लॉकडाउन की परिस्थितियां थोड़ी सामान्य हुईं. तब भी साइकिलिंग का एक ग्रुप बन चुका था और अब यह अगले लेवल पर जाने लगा.
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