कोरबा: विशेष पिछड़ी जनजाति पहाड़ी कोरवा समुदाय से आने वाली महिला की मौत के बाद कार्रवाई के नाम पर तीन वॉर्ड बॉय को बर्खास्त किया गया है. तीनों जीवनदीप समिति के अधीन अस्थायी कर्मचारी (Employees of Jeevandeep Committee suspended in Korba)थे. कार्रवाई के नाम पर निजी अस्पताल गीता देवी मेमोरियल (Private Hospital Geeta Devi Memorial Seal ) को भी सील किया गया है. अब बड़ा सवाल ये है कि वॉर्ड बॉय जैसे अस्थायी छोटे कर्मचारियों को निपटा कर प्रशासन औपचारिकता पूरी कर लेगी, या फिर रेफरल रैकेट की जड़ उखाड़ फेंकने के लिए इसे चलाने वाली बड़ी मछलियां को भी दंड मिलेगा?
पहले पूरा मामला जानिए
सतरेंगा निवासी सुनी बाई हाथ में फ्रैक्चर की शिकायत के बाद 9 फरवरी को जिला अस्पताल पहुंची थी. यहां उसका इलाज करने के बजाय रेफरल रैकेट के जरिए निजी अस्पताल गीता देवी मेमोरियल में शिफ्ट किया गया. यहां उसे ऑपरेशन की बात कही गई, जिसके लिए 3 दिन तक लापरवाहीपूर्वक भूखे प्यासे रखा गया. जिसके बाद उसकी मौत हो गई. इस घटना के बाद जिले से लेकर राजधानी तक अधिकारियों में हड़कंप मचा हुआ है. आनन-फानन में 3 कर्मचारियों को बर्खास्त कर दिया गया है. कलेक्टर ने जांच के आदेश भी दिए हैं. जांच कमेटी में कोरबा एसडीएम हरिशंकर पैकरा, सीएमएचओ बीबी बोर्डे व आदिवासी विकास विभाग की सहायक आयुक्त माया वारियर शामिल हैं.
मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ डॉक्टरों के तीन मंजिला निजी अस्पताल
रेफरल रैकेट की जड़ें कितनी गहरी है. इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल में पदस्थ महिला रोग विशेषज्ञ डॉक्टर हुजूर का जिला जेल के सामने तीन मंजिला निजी अस्पताल श्वेता हॉस्पिटल के नाम से संचालित है.
इसी तरह मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में पदस्थ डॉक्टर दीवान निजी अस्पताल में जाकर ऑपरेशन करते हैं. अब तक की जांच में यह बात सामने आई है कि गीता देवी मेमोरियल अस्पताल में डॉक्टर दीवान ही मृतका सुनी बाई का ऑपरेशन करने वाले थे.
मेडिकल कॉलेज हॉस्पिटल में पदस्थ डॉक्टर सिसोदिया का भी बुधवारी में नर्सिंग होम संचालित है. स्वयं सीएमएचओ बोर्डे की धर्मपत्नी भी अपना एक निजी नर्सिंग होम चलाती हैं.
गीता देवी मेमोरियल अस्पताल सील हुआ तो आदिवासियों की आवाज बनने पर लोगों ने ETV Bharat को कहा धन्यवाद