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कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में आधी रात बत्ती गुल, नवजात की मौत - Newborn dies due to power failure in SNCU

Negligence in Korba Medical College Hospital: कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल के एसएनसीयू वार्ड में बिजली चले जाने से एक परिवार का चिराग बुझ गया. हैरानी की बात है कि एसएनसीयू वार्ड में बिजली जाने पर वैकल्पिक व्यवस्था ही नहीं है.

power failure in SNCU ward of Medical College Hospital Korba
कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नवजात की मौत

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Published : Jul 28, 2022, 8:58 PM IST

Updated : Jul 28, 2022, 9:51 PM IST

कोरबा:छत्तीसगढ़ की ऊर्जाघानी और देश के कई राज्यों को बिजली देने वाले कोरबा जिले में बिजली चले जाने की वजह से आईसीयू में भर्ती एक नवजात की मौत हो गई. बुधवार रात मेडिकल कॉलेज अस्पताल में एक बड़ी लापरवाही सामने आई है. यहां के एसएनसीयू वार्ड पहले तो अचानक बिजली चली गई, इसके बाद अस्पताल के कर्मचारियों ने बच्चों के अभिभावकों से यह कह दिया कि तकनीकी खराबी आ गई है. इंफेक्शन फैल जाएगा. बच्चों को यहां से ले जाएं. लेकि इसी बीच एक नवजात की मौत हो गई. जबकि 2 नवजात को स्पतालों में रेफर कर दिया गया. सुबह जब बात खुली तब छुट्टी होने की वजह से डीन डॉ अविनाश मेश्राम देर से अस्पताल पहुंचे और जांच की बात कही. (power failure in SNCU ward of Medical College Hospital Korba )

कोरबा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में नवजात की मौत

इस तरह समझें कैसे हुई लापरवाही :यह पूरा मामला कोरबा जिले के मेडिकल कॉलेज अस्पताल के सिक न्यू बोर्न केयर यूनिट(SNCU) में हुई है. अब तक मिली जानकारी के अनुसार आधी रात को अचानक बिजली जाने की वजह से एक नवजात की मौत हो गई है. जबकि दो को अन्य अस्पतालों में रेफर किया गया है. अस्पताल प्रबंधन का कहना है कि बिजली शॉर्ट सर्किट की वजह से गई. जबकि अधिकारी कह रहे हैं कि बच्चा पहले से ही बीमार था. कारण चाहे जो भी हो बड़ी लापरवाही सामने आई है. जिससे की एक परिवार में नए मेहमान आने की खुशियां मातम में बदल गई.

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अब तक बीवी को नहीं बताया कि हमारा बच्चा नहीं रहा :मेडिकल कॉलेज अस्पताल में लापरवाही के कारण दीपका के अमित कुमार ने अपना पहला बच्चा खो दिया. उनकी पत्नी की डिलीवरी मेडिकल कॉलेज अस्पताल में ही हुई थी. अमित ने बताया कि "रात को करीब 12:00 बजे का कॉल आया और कहा कि बच्चे की हालत खराब है. 1:00 बजे दोबारा कॉल आया और यह कहा गया कि बच्चे को यहां ले जाइए. लाइट का आना जाना लगा हुआ है. हम बच्चे को इतनी रात को कहां लेकर जाते, कौन सा डॉक्टर आधी रात को भर्ती लेता? यह भी कहा गया कि बच्चे की मौत हो गई है. अब यहां से इंफेक्शन फैल जाएगा फिर मुझसे एक कागज में भी दासराखत करवा लिया. इतने बड़े अस्पताल में बिजली जाने के बाद कोई वैकल्पिक व्यवस्था नहीं है. तो किस काम का है ये अस्पताल, दो अन्य बच्चों को अन्य स्थानों का रेफर किया गया था. जिससे कि उनकी जान बच गई है. एक अभिभावक से तो नर्सों ने यह भी कह दिया कि आधी रात को ऑक्सिजन लेकर आइए, मेरा पहला बच्चा था. अब तक मैंने अपनी बीवी को नहीं बताया है कि उसकी मौत हो गई है, पूरे परिवार में मातम छा गया है."

एक बच्चे की मौत देखकर हम हिल गए : जिन बच्चों को रेफर किया गया था. उनमें से एक के परिजन संजय ने कहा कि एक बच्चे की मौत को देखकर हम हिल गए थे. हमें अस्पताल प्रबंधन ने यह बताया कि लाइट चली गई है. शार्ट सर्किट के कारण ऐसा हुआ है. जिसकी वजह से बच्चों को रेफर किया जा रहा है. जब हमने एक बच्चे की मौत होता देखा तो हम हिल गए थे. यहां से एक बच्चे को बिलासपुर रेफर किया गया है. जबकि दूसरे को हरीश नायक के अस्पताल में रेफर किया गया.

वेंटिलेटर में बैकअप रहता है जांच कराएंगे :गुरुवार को हरेली की वजह से सरकारी अवकाश है. जिसके कारण चिकित्सकों को छुट्टी थी. डीन डॉ अविनाश मेश्राम काफी देर बाद अस्पताल पहुंचे. जब सवाल पूछा गया तो उन्होंने कहा कि " वेंटीलेटर में 2 से ढाई घंटे का बैकअप रहता है. मुझे इसकी जानकारी मिली है. बच्चा जिसकी मौत हो गया वह पहले से कमजोर था. लाइट शॉर्ट सर्किट होने की वजह से गई थी. राउंड लगा रहा हूं, जांच करेंगे इसमें किसकी लापरवाही है. इसके बाद ठोस कार्रवाई करेंग."

Last Updated : Jul 28, 2022, 9:51 PM IST

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