कोरबा: NTPC प्लांट में प्रबंधन की घोर लापरवाही का मामला सामने आया है.यहां दर्री निवासी ठेका मजदूर रविशंकर साहू की आंखों में केमिकल चला गया. जिसके कारण उसकी एक आंख की रोशनी चली (ntpc plant worker lost eyesight in korba) गई. जब मजदूर ने प्रबंधन से इलाज कराने की बात की तो उसे काम बिना वेतन दिए ही काम से हटा दिया गया. मजदूर ने इस पूरी घटना की आपबीती साझा की है.
एनटीपीसी में घोर लापरवाही ये है पूरा मामला
दर्री क्षेत्र के प्रगति नगर का निवासी रविशंकर साहू ठेका श्रमिक के तौर पर मां दुर्गा भू-विस्थापित में पावर प्लांट के भीतर स्थापित सीएचपी के कोल सेंटरिंग में काम करता था. इस दौरान कोयला में मिलाने वाला केमिकल मजदूर की आंखों में चला गया. केमिकल आंखों में जाते ही तेज जलन होने लगी. जिसकी जानकारी रविशंकर ने सुपरवाइजर को दी.इसके बाद ठेकेदार को मामले की जानकारी हुई. लेकिन सुपरवाइजर और ठेकेदार दोनों ने इस घटना को हल्के में ले लिया. इस दौरान दो दिनों तक श्रमिक ने कोल सेंटरिंग का काम किया. लेकिन जब परेशानी बढ़ी तो रविशंकर ने ठेकेदार को इलाज कराने को कहा. लेकिन ठेका कंपनी ने इलाज करवाने के बजाए मजदूर को मेडिकल अनफिट बताते हुए काम से निकाल दिया. यही नहीं इस दौरान एक महीने का वेतन भी नहीं दिया गया है.
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एक आंख की रोशनी गई, दूसरी की हुई कम
परेशानी बढ़ने पर मजदूर ने सरकारी स्वास्थ्य केंद्र गोपालपुर में आंखों की जांच कराई. तब उसे मेडिकल कॉलेज अस्पताल भेजा गया. जहां नेत्र रोग विशेषज्ञ ने रवि को बताया कि उसकी एक आंख की रोशनी पूरी तरह से जा चुकी है. जल्द इलाज नहीं कराया तो दूसरे आंख की रोशनी भी चली जाएगी. डॉक्टर की माने तो मजदूर की आंखों की रोशनी 30 फीसदी ही बची है.
दर्री थाने में दर्ज हुई FIR
मजदूर रविशंकर साहू के मुताबिक वह ठेकेदार और एनटीपीसी प्रबंधन दोनों के पास जा चुका है. लेकिन उसे इलाज नहीं मिला. बकाया वेतन भी नहीं दिया गया. थक हार कर इसकी शिकायत दर्री थाने में दर्ज कराई. जहां काम के दौरान सतर्कता नहीं बरतने और डॉक्टरी मुलाहिजा रिपोर्ट के आधार पर दर्री थाना में सुपरवाइजर राकेश महंत और ठेका कंपनी के ठेकेदार पर एफआईआर दर्ज कर लिया है. पुलिस ने इस संबंध में जांच की बात कही है.
एनटीपीसी का विभागीय अस्पताल सफेद हाथी
कोरबा जिला प्रदेश की ऊर्जाधानी के तौर पर ख्याति प्राप्त है। जहां एनटीपीसी, बालको, सीएसईबी और एसईसीएल जैसे सार्वजनिक उपक्रम स्थापित हैं. सभी के पास इस तरह की परिस्थितियों के लिए ही खुद का अस्पताल होता है. ताकि सरकारी या निजी अस्पतालों पर निर्भरता ना रहे, लेकिन एनटीपीसी का विभागीय अस्पताल महज़ खानापूर्ति के लिए संचालित किया जाता है. जहां मोटी तनख्वाह पर चिकित्सक तैनात तो हैं, लेकिन किसी काम के नहीं. मौजूदा मामले में भी मजदूर ने एनटीपीसी प्रबंधन को जानकारी दी . लेकिन विभागीय अस्पताल में भी उसका इलाज नहीं कराया गया. जिसके कारण अब उसके एक आंख की रोशनी चली गई है. मामला मीडिया में आने के बाद एनटीपीसी प्रबंधन ने इस मामले को संज्ञान में लेने की बात कही है.