कोरबा: अंतरराष्ट्रीय नर्स दिवस पर ETV भारत आपको कोरबा की मदर टेरेसा से मिलवा रहा है. वे रिटायरमेंट के 14 साल बाद भी लोगों को नि:शुल्क सेवा दे रही हैं. ललिता पहली बार 1972 में कोरबा आईं थीं. उन्होंने पीएचसी कोरबा में लंबे समय तक ड्यूटी दी. इस दौरान भी अस्पताल आने वाले मरीज सिस्टर ललिता को अस्पताल में देखने के बाद राहत की सांस लेते थे. उनसे ही अपना दुख-दर्द बांटते थे. कोरबा के नामी डॉक्टर जटिल केस के लिए ललिता को ही याद करते थे. (International nurses day 2022)
रिटायरमेंट के बाद भी मरीजों की कर रहीं सेवा: मरीजों की सेवा में ललिता ने अपनी पूरी उम्र लगा दी. अब वह 75 साल की हो चुकी हैं. रिटायर हुए 14 साल बीत चुके हैं, लेकिन लोगों की सेवा का जज्बा कम नहीं हुआ. पुरानी बस्ती में रहने वाली ललिता लोगों में सिस्टर ललिता के नाम से मशहूर हैं. कोरबा में उन्हें कोरबा की मदर टेरेसा के तौर पर पहचाना जाता है. अब भी दूर-दूर से जरूरतमंद उनके पास इलाज के लिए पहुंचते हैं. लोगों के लिए ही ललिता ने घर पर ही छोटा सा क्लीनिक जैसा कमरा बनाया हुआ है. इस कमरे में वह छोटे-मोटी बीमारियों की दवा मरीजों को बांटती हैं.
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कोरोना काल में बाहर ना जा सकें इसलिए लगा देते थे ताला : सिस्टर ललिता के बड़े बेटे शैलेश, मां के सेवा भाव के कायल हैं. लेकिन वह यह भी कहते हैं कि "कभी-कभी मां का ये जॉब हमारे लिए परेशानी का सबब बन जाता है. कोरोना काल में जब सभी अपने घर से निकलने से भी डरते थे. तब भी मां लोगों के बुलावे पर उनके घर जाने को आतुर रहती थी. हालात यह पैदा हो गए थे कि मैं घर में ताला बंद करके रखता था. ताकि संक्रमण के खतरनाक समय में मां किसी का इलाज करने घर के बाहर ना चली जाएं. घर में छोटे बच्चे हैं इसलिए संक्रमण का खतरा भी था. लेकिन कहीं ना कहीं खुशी भी इस बात की है कि लोग मां को इतना सम्मान देते हैं. आज भी लोग मुझे सिस्टर ललिता के बेटे के तौर पर पहचानते हैं. जब लोग कहते हैं कि "तुम सिस्टर ललिता के बेटे हो क्या" तब मुझे गर्व महसूस होता है."