कोरबा: छत्तीसगढ़ में कोरोना की तीसरी लहर चल रही है. हर रोज हजारों नए केस आ रहे हैं. हालांकि मरीज गंभीर नहीं है. दूसरी लहर के दौरान जब स्थिति काफी गंभीर हो गई थी. उस दौरान मेडिकल सुविधाओं में इजाफे को लेकर कई प्लानिंग की गई. इन्हीं में से एक था कोरबा जिले के सरकारी अस्पताल में सीटी स्कैन मशीन की सुविधा शुरू करने का मामला. दूसरी लहर के बाद अब कोरोना की तीसरी लहर भी आ गई है लेकिन जिले के सरकारी स्वास्थ्य विभाग के पास अब भी सीटी स्कैन मशीन की सुविधा उपलब्ध नहीं है. (lack of CT scan facility in Korba )
दूसरी लहर के दौरान ETV भारत ने सीटी स्कैन मशीन का मुद्दा उठाया था. योजना बनी थी कि खनिज न्यास से 300 करोड़ रुपये के सालाना राजस्व वाले प्रदेश की उर्जाधानी कोरबा जिले में सीटी स्कैन मशीन की खरीदी होगी. तत्कालीन कलेक्टर किरण कौशल के साथ ही राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने भी भरोसा दिलाया था. दूसरी लहर के बाद अब तीसरी लहर आ गई है. लेकिन जिले के सरकारी स्वास्थ्य विभाग के पास अब भी सीटी स्कैन मशीन की सुविधा उपलब्ध नहीं है.
NTPC देगी सिटी स्कैन मशीन, लेकिन प्रक्रिया अधूरी
सालभर पहले खनिज न्यास फंड से सीटी स्कैन मशीन के खरीदी करने का प्रस्ताव बना था. योजना पर काम भी हुआ. लेकिन बाद में यह तय हुआ कि NTPC अपने सीएसआर मद से जिला प्रशासन को सीटी स्कैन मशीन उपलब्ध कराएगी. इसके लिए 2 करोड़ रुपये का फंड भी स्वीकृत कर दिया गया है. लेकिन ये प्रक्रिया अब तक पूरी नहीं हो पाई है. दो बार एकल निविदा के कारण एनटीपीसी प्रबंधन को निवेदन निरस्त करना पड़ा. अब जाकर कुछ कंपनियों ने निविदा में हिस्सा लिया है. 5 जनवरी को ही एनटीपीसी ने सीटी स्कैन मशीन की तकनीकी निविदा खोली है. प्रक्रिया कुछ आगे जरूर बड़ी है. लेकिन अब भी लंबा सफर तय करना होगा.
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AERB से लेना पड़ता है सर्टिफिकेट
सिटी स्कैन मशीन की स्थापना व इसके उपयोग के लिए केंद्र सरकार की एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड (AERB) से सर्टिफिकेट लेना अनिवार्य होता है. इसके लिए टीम स्थापना स्थल पर पहुंचकर मौका मुआयना करती है. मशीन के रेडिएशन और इसके उपयोग की सुरक्षा संबंधी जांच की जाती है. अच्छी बात ये है कि मेडिकल कॉलेज अस्पताल के अधीन अधिग्रहित ट्रामा सेंटर में पहले निजी संस्था की तरफ से सीटी स्कैन मशीन की स्थापना की गई थी. यह फॉर्मेलिटी पहले ही पूरी की जा चुकी है. मेडिकल कॉलेज अस्पताल प्रबंधन ने कहा है कि एईआरबी से दोबारा सर्टिफिकेट लेने की जरूरत नहीं पड़नी चाहिए.
समन्वय का भी अभाव
एनटीपीसी प्रबंधन, स्वास्थ विभाग व जिला प्रशासन के बीच निश्चित तौर पर समन्वय का अभाव है. ETV भारत ने जब NTPC के ईडी से सवाल पूछा कि 'सीटी स्कैन मशीन अब तक क्यों नहीं लगाई गई. तब उन्होंने कहा कि प्रक्रिया जारी है. लेकिन अब भी उन्हें इस बात की जानकारी नहीं है कि एटॉमिक एनर्जी रेगुलेटरी बोर्ड से स्वास्थ्य सर्टिफिकेट लिया है या नहीं. जबकि स्वास्थ्य विभाग से बात करने पर पता चला कि ट्रामा सेंटर में पहले से ही सीटी स्कैन मशीन संचालित थी. इसलिए अनुमति पहले ही ले ली गई है. दोबारा जरूरत नहीं पड़ेगी. दोनों ही विभागों ने आपस में कोई तालमेल नहीं है जिससे इसका खामियाजा कोरोना संक्रमित मरीजों को भुगतना पड़ सकता है.