कोरबा: कोरबा में बहुप्रतीक्षित मेडिकल कॉलेज को मान्यता मिल गई है. केंद्र सरकार ने मान्यता संबंधी आदेश (given recognition to Medical College Korba)जारी कर दिए हैं. जिसके बाद अब कोरबा जिले में ही एमबीबीएस की पढ़ाई कर डॉक्टर बनने का सपना छात्र पूरा कर सकेंगे. प्रदेश में कांग्रेस की सरकार बनने के बाद सीएम भूपेश बघेल जिले के दौरे पर थे. तब पहली बार मंच पर मेडिकल कॉलेज खोलने की मांग उठी थी. राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल के सीएम भूपेश बघेल से आग्रह के बाद सीएम ने मेडिकल कॉलेज खोलने की घोषणा की थी. हालांकि मान्यता संबंधित सभी प्रक्रियाएं केंद्र स्तर से ही पूरी होती हैं. केंद्र की टीम के दौरे के बाद या मान्यता मिली है.
साकार होगा जिले में एमबीबीएस का सपना:नेशनल मेडिकल काउंसिल की केंद्र स्तर की टीम जिले के दौरे पर थी. जिनके निरीक्षण और प्रतिवेदन के आधार पर ही मेडिकल कॉलेज को मान्यता दी जाती है. मान्यता की यह प्रक्रिया पिछले 2 साल से अटकी हुई थी. तीन बार के निरीक्षण के बाद भी कोरबा मेडिकल कॉलेज को मान्यता नहीं मिल पा रही थी. लेकिन अब जाकर यह अड़चन दूर हुई है.
दलगत राजनीति से ऊपर उठकर किया प्रयास: मेडिकल कॉलेज को मान्यता मिलने के बाद राजस्व मंत्री ने प्रतिक्रिया दी है. प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि "जिले के कोरबा जिले के विकास कार्य दलगत राजनीति से ऊपर रहकर करने का उनका संकल्प अब पूरा होता दिख रहा है. क्षेत्र के लोगों ने भरपूर प्यार और विश्वास दिया, जिसके बूते उन्होंने कोरबा मेडिकल कॉलेज के वर्षों पुराने सपने को पूरा होता देखने में सफलता पाई है."
यह भी पढ़ें:प्रशांत अग्रवाल, संतोष सिंह और हिमानी खन्ना फिक्की स्मार्ट पुलिसिंग अवॉर्ड से सम्मानित
इस तरह रहा नौवें मेडिकल कॉलेज सफर: राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कहा कि "करीब ढाई साल पहले फरवरी 2020 में नवा छत्तीसगढ़ के कोरबा में प्रस्तावित नौवें मेडिकल कॉलेज को दिल्ली से हरी झंडी दी गई थी. राज्य शासन से भेजे गए ड्राफ्ट पर केंद्र सरकार की ओर से सैद्धांतिक सहमति प्रदान की गई. इसके बाद अधोसंरचना समेत अन्य आवश्यक संसाधनों की जुगत सुनिश्चित करने के बाद नेशनल मेडिकल काउंसिल (एनएमसी) की टीम ने कोरबा मेडिकल कॉलेज का दौरा किया. इस बीच प्रदेश के राजस्व मंत्री जयसिंह अग्रवाल ने कैबिनेट मंत्री टीएस सिंहदेव से मेडिकल कॉलेज कोरबा की गुजारिश की थी. जिस पर उन्होंने आश्वासन दिया था कि जब कभी प्रदेश में नया मेडिकल कॉलेज खुलेगा, लिस्ट में कोरबा का नाम सबसे ऊपर रहेगा. इसके बाद सरकार की ओर से कोरबा में कॉलेज शुरू करने की संभावनाएं बनाते हुए तैयारी तेज कर दी गई थी. चिकित्सा शिक्षा संचालनालय (डीएमई) स्तर पर ड्राफ्ट तैयार मुख्यमंत्री को प्रस्तुत गया और वहां से मोहर लगते ही उसे स्वीकृति के लिए केंद्र सरकार के समक्ष भेज दिया गया था. जिले में कोरबा मेडिकल कॉलेज को प्रदेश के 9वें मेडिकल कॉलेज के रूप में स्वीकृति दी गई थी. जिसके धरातल पर आने का इंतजार बड़ी ब्रेसब्री से किया जा रहा था. इस उपलब्धि के लिए छत्तीसगढ़ विधानसभा के अध्यक्ष डॉ चरणदास महंत व कोरबा सांसद श्रीमती ज्योत्सना महंत ने भी काफी प्रयास किए और ऊर्जानगरी के युवाओं के लिए किया गया संघर्ष फलीभूम हुआ."
डीएमएफ से 350 करोड़ रुपये की राशि व 350 बिस्तर उपलब्ध:मेडिकल कॉलेज खोलने व संचालन के लिए जिला प्रशासन ने डीएमएफ से साढ़े 3 सौ करोड़ का प्रस्ताव दिया था. मेडिकल कॉलेज अस्पताल के लिए इंदिरा गांधी 100 शैया जिला चिकित्सालय के 120 बिस्तर के साथ ही ऊपरी तल पर अतिरिक्त कमरा बनाकर बेड संख्या बढ़ाई गई है. इसके साथ ही पीपीपी मॉडल से बने ट्रामा सेंटर के 50 बिस्तर को भी इसमें शामिल कर 350 बिस्तर की उपलब्धता बताई गई है. इसके अलावा मेडिकल कॉलेज अस्पताल में सर्जरी, गहन चिकित्सा, जांच एवं अत्याधुनिक उपकरणों की सुविधा बढ़ाते हुए मरीजों की हर जरूरत के अनुरूप अपग्रेड किया गया है. एनएमसी के निर्धारित मापदंडों के अनुरूप तकनीकी आवश्यकताओं को पूरा करते हुए कोरबा ने मान्यता हासिल की है.