कोरबा : आधुनिक सूचना क्रांति के युग में जब हर महीने तकनीक बदल जाती है. तब आईटीआई के छात्रों को 60 के दशक की मशीनों से तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा (students trained with outdated machines ) है. मशीनें तो आउटडेटेड हैं ही, इसे रखने के लिए भी इंस्टीट्यूट के पास स्थान नहीं है. जिस कार्यशाला में छात्रों को टेक्निकल ज्ञान दिया जाता है, वहां छत ही नहीं है. अब ऐसे में मशीनों को बरसात से बचाने के लिए इनके ऊपर प्लास्टिक का कवर चढ़ा दिया गया है. जब बरसात होती है, तब मशीनों पर पानी बरसता रहता है. मशीनों के ठीक बगल में छात्रों के भी बैठने की व्यवस्था है. बारिश में मशीनों पर बरसात होते रहती है. इसी समय छात्र ठीक इसके बगल में बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. हालांकि छात्र जहां बैठते हैं, उस स्थान के ऊपर एक छज्जा लगा दिया गया है.
13 ट्रेड में 600 विद्यार्थी लेते हैं तकनीकी ज्ञान: जिस तरह इंजीनियरिंग कॉलेजों में अलग अलग ब्रांच होते हैं, ठीक उसी तरह आईटीआई में ट्रेड संचालित किए जाते हैं. इसमें प्रवेश की अर्हता दसवीं होती है. दसवीं पास कर कोई भी छात्र रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण लेकर विभिन्न औद्योगिक संस्थानों में नौकरी के लिए ही आईटीआई का विकल्प चुनते हैं. जिला मुख्यालय स्थित आईटीआई, रामपुर में 13 ट्रेड संचालित हैं. जिसमें फिटर, वेल्डर, मशीनिस्ट, ग्राइंडर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे ट्रेड प्रमुख हैं. इन सभी ट्रेड में 600 छात्र यहां तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं. सभी का सपना है कि वह आईटीआई से प्रशिक्षण प्राप्त कर सार्वजनिक उपक्रमों या उद्योगों में रोजगार प्राप्त कर सकें.
ज्यादातर युवा ग्रामीण परिवेश से : दशकों से आईटीआई को औद्योगिक संस्थानों में रोजगार प्राप्त करने के लिए एक उपयुक्त पाठ्यक्रम माना जाता रहा है. यही कारण है कि युवा दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही आईटीआई में प्रवेश लेते हैं. जिनमें ज्यादा तादाद ग्रामीण अंचल से आने वाले युवाओं की होती है. शहरी परिवेश के युवा इंजीनियर या अन्य विकल्प चुन लेते हैं, लेकिन ग्रामीण परिवेश और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के युवा आईटीआई में प्रवेश लेकर जल्द से जल्द रोजगार प्राप्त करना चाहते हैं ताकि वह परिवार की आजीविका चलाने में मदद कर सकें. यही कारण है कि आईटीआई में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की संख्या अधिक रहती है.
पिछले एक दशक से भवन की छत है गायब :आईटीआई में तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने वाले युवाओं को कितनी बदहाल व्यवस्था में पढ़ना पड़ रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले लगभग एक दशक से मशीनों को जहां रखा गया है, उस भवन में छत नहीं (Korba ITI College is in bad condition ) है. इसके बावजूद छात्रों को इसी भवन के एक कोने में बैठाया जाता है. बरसात होने पर छींटे छात्रों तक भी पहुंच जाते हैं. आईटीआई रामपुर की स्थापना अविभाजित मध्यप्रदेश में 1960 के दशक में हुई थी. तभी से इसका संचालन वर्तमान भवन में किया जा रहा है. यह लगातार जर्जर होती चली गई. लेकिन इसकी मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया.
आउटडेटेड मशीनों से छात्रों को प्रशिक्षण :भवन में रखे मशीनों को जंग और करंट फैलने से बचाने के लिए प्लास्टिक का कवर चढ़ा दिया गया है. जब बारिश होती है तो मशीनों के ऊपर बारिश का पानी टपकता रहता है. बारिश सीधे मशीनों पर ना पड़े इसलिए इसे प्लास्टिक से ढका गया है. मशीनिस्ट या ग्राइंडर ट्रेड में प्रशिक्षण के लिए जितनी मशीनें यहां मौजूद हैं, वह सभी आउटडेटेड हो चुकी हैं. वर्तमान परिवेश में जब रोज तकनीक बदल रही है, ऐसे समय में भी आईटीआई के छात्रों को 60 साल पुरानी तकनीक पर आधारित मशीनों से प्रशिक्षित किया जा रहा है.