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कोरबा आईटीआई कॉलेज हुआ बदहाल, 60 साल पुरानी मशीनों से ट्रेंड हो रहे छात्र - korba latest news

Korba ITI College is in bad condition कोरबा में 60 साल पुरानी आउटडेटेड मशीनों से आईटीआई के छात्रों को प्रशिक्षण दिया जा रहा है. जिस बिल्डिंग में छात्रों को पढ़ाया जा रहा है. उसकी हालत भी खराब है. बारिश से बचने के लिए छत को प्लास्टिक से कवर किया गया है.korba latest news

कोरबा आईटीआई कॉलेज हुआ बदहाल, 60 साल पुरानी मशीनों से ट्रेंड हो रहे छात्र
कोरबा आईटीआई कॉलेज हुआ बदहाल, 60 साल पुरानी मशीनों से ट्रेंड हो रहे छात्र

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Published : Sep 19, 2022, 3:43 PM IST

Updated : Sep 19, 2022, 6:52 PM IST

कोरबा : आधुनिक सूचना क्रांति के युग में जब हर महीने तकनीक बदल जाती है. तब आईटीआई के छात्रों को 60 के दशक की मशीनों से तकनीकी प्रशिक्षण दिया जा रहा (students trained with outdated machines ) है. मशीनें तो आउटडेटेड हैं ही, इसे रखने के लिए भी इंस्टीट्यूट के पास स्थान नहीं है. जिस कार्यशाला में छात्रों को टेक्निकल ज्ञान दिया जाता है, वहां छत ही नहीं है. अब ऐसे में मशीनों को बरसात से बचाने के लिए इनके ऊपर प्लास्टिक का कवर चढ़ा दिया गया है. जब बरसात होती है, तब मशीनों पर पानी बरसता रहता है. मशीनों के ठीक बगल में छात्रों के भी बैठने की व्यवस्था है. बारिश में मशीनों पर बरसात होते रहती है. इसी समय छात्र ठीक इसके बगल में बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं. हालांकि छात्र जहां बैठते हैं, उस स्थान के ऊपर एक छज्जा लगा दिया गया है.

कोरबा आईटीआई कॉलेज हुआ बदहाल, 60 साल पुरानी मशीनों से ट्रेंड हो रहे छात्र

13 ट्रेड में 600 विद्यार्थी लेते हैं तकनीकी ज्ञान: जिस तरह इंजीनियरिंग कॉलेजों में अलग अलग ब्रांच होते हैं, ठीक उसी तरह आईटीआई में ट्रेड संचालित किए जाते हैं. इसमें प्रवेश की अर्हता दसवीं होती है. दसवीं पास कर कोई भी छात्र रोजगारोन्मुख प्रशिक्षण लेकर विभिन्न औद्योगिक संस्थानों में नौकरी के लिए ही आईटीआई का विकल्प चुनते हैं. जिला मुख्यालय स्थित आईटीआई, रामपुर में 13 ट्रेड संचालित हैं. जिसमें फिटर, वेल्डर, मशीनिस्ट, ग्राइंडर और कंप्यूटर ऑपरेटर जैसे ट्रेड प्रमुख हैं. इन सभी ट्रेड में 600 छात्र यहां तकनीकी ज्ञान प्राप्त कर रहे हैं. सभी का सपना है कि वह आईटीआई से प्रशिक्षण प्राप्त कर सार्वजनिक उपक्रमों या उद्योगों में रोजगार प्राप्त कर सकें.

कोरबा आईटीआई कॉलेज हुआ बदहाल, 60 साल पुरानी मशीनों से ट्रेंड हो रहे छात्र

ज्यादातर युवा ग्रामीण परिवेश से : दशकों से आईटीआई को औद्योगिक संस्थानों में रोजगार प्राप्त करने के लिए एक उपयुक्त पाठ्यक्रम माना जाता रहा है. यही कारण है कि युवा दसवीं की पढ़ाई पूरी करने के बाद ही आईटीआई में प्रवेश लेते हैं. जिनमें ज्यादा तादाद ग्रामीण अंचल से आने वाले युवाओं की होती है. शहरी परिवेश के युवा इंजीनियर या अन्य विकल्प चुन लेते हैं, लेकिन ग्रामीण परिवेश और आदिवासी बाहुल्य क्षेत्रों के युवा आईटीआई में प्रवेश लेकर जल्द से जल्द रोजगार प्राप्त करना चाहते हैं ताकि वह परिवार की आजीविका चलाने में मदद कर सकें. यही कारण है कि आईटीआई में ग्रामीण क्षेत्र के युवाओं की संख्या अधिक रहती है.

पिछले एक दशक से भवन की छत है गायब :आईटीआई में तकनीकी ज्ञान प्राप्त करने वाले युवाओं को कितनी बदहाल व्यवस्था में पढ़ना पड़ रहा है इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि पिछले लगभग एक दशक से मशीनों को जहां रखा गया है, उस भवन में छत नहीं (Korba ITI College is in bad condition ) है. इसके बावजूद छात्रों को इसी भवन के एक कोने में बैठाया जाता है. बरसात होने पर छींटे छात्रों तक भी पहुंच जाते हैं. आईटीआई रामपुर की स्थापना अविभाजित मध्यप्रदेश में 1960 के दशक में हुई थी. तभी से इसका संचालन वर्तमान भवन में किया जा रहा है. यह लगातार जर्जर होती चली गई. लेकिन इसकी मरम्मत पर ध्यान नहीं दिया गया.

आउटडेटेड मशीनों से छात्रों को प्रशिक्षण :भवन में रखे मशीनों को जंग और करंट फैलने से बचाने के लिए प्लास्टिक का कवर चढ़ा दिया गया है. जब बारिश होती है तो मशीनों के ऊपर बारिश का पानी टपकता रहता है. बारिश सीधे मशीनों पर ना पड़े इसलिए इसे प्लास्टिक से ढका गया है. मशीनिस्ट या ग्राइंडर ट्रेड में प्रशिक्षण के लिए जितनी मशीनें यहां मौजूद हैं, वह सभी आउटडेटेड हो चुकी हैं. वर्तमान परिवेश में जब रोज तकनीक बदल रही है, ऐसे समय में भी आईटीआई के छात्रों को 60 साल पुरानी तकनीक पर आधारित मशीनों से प्रशिक्षित किया जा रहा है.

नहीं कर पाएंगे ठीक तरह से काम : पुरानी मशीनों से प्रैक्टिकल के मामले में आईटीआई की अध्ययनरत छात्रा लालिमा कहती है कि "हमें जिन मशीनों से प्रशिक्षण दिया जा रहा है, वह सालों पुरानी हैं. वर्तमान तकनीक पूरी तरह से बदल चुकी है. जब हम यहां से पढ़कर निकलेंगे तब हमें नई तकनीक पर आधारित मशीनों पर काम करना होगा. लेकिन अभी हमारा कौशल विकास नहीं हो रहा है. जिससे भविष्य में काम करने के दौरान हमें परेशानी आएगी."

आईटीआई में अंतिम वर्ष के छात्र अमोल कहते हैं कि "मुझे यहां 2 साल हो चुके हैं और परिस्थितियों में कोई बदलाव नहीं आया है. प्रिंसिपल और अन्य शिक्षक भवन की हालत से वाकिफ हैं. वह इसे देखते हैं और कहते हैं कि जल्द सुधार होगा, लेकिन सुधार नहीं होता. ज्यादातर मशीन खराब है. केवल एक, दो मशीनें ही चालू हालत में हैं. इसी के जरिए हम सभी को प्रशिक्षण दिया जाता है."

डीएमएफ फंड से भी नहीं मिली कोई मदद: कोरबा जिले में डीएमएफ(जिला खनिज न्यास) (DMF amount in Korba) से 300 करोड़ रुपए का औसतन राजस्व प्रत्येक वर्ष प्राप्त होता है. डीएमएफ से होने वाले कार्यों पर कई आरोप लगते हैं. आईटीआई के प्रिंसिपल ने बताया कि ''उन्होंने डीएमएफ से भवन मरम्मत का प्रस्ताव दिया था लेकिन इस प्रस्ताव को स्वीकृति नहीं मिली.''

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उच्चाधिकारियों को दी जानकारी, प्रशासन को भी अवगत कराया : आईटीआई रामपुर के प्राचार्य अब्दुल सत्तार ने बताया कि वह कैमरे के सामने कुछ भी कहने के लिए अधिकृत नहीं हैं. इस तरह की जानकारी बिलासपुर से रायपुर के अधिकारी ही दे सकते हैं. सत्तार ने यह भी कहा कि "मशीनों को रखने के लिए हमारे पास और कोई स्थान नहीं है. छत टूट चुकी है इसलिए उसमें प्लास्टिक के कवर चढ़ा कर रखते हैं ताकि उसे बारिश से बचाया जा सके. भवन का निर्माण व मशीन की खरीदी काफी पहले हुई थी. भवन और मशीनों की जानकारी विभाग के उच्च अधिकारियों के साथ ही स्थानीय प्रशासन को भी दे दी है."korba latest news

Last Updated : Sep 19, 2022, 6:52 PM IST

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