कोरबा:21 मार्च को दुनिया भर में वर्ल्ड फारेस्ट डे मनाया जाता है. इस दिन ETV भारत आपको कोरबा की समृद्ध जैव विविधता से अवगत करा रहा है. बीते कुछ सालों के दौरान जिले में कुछ ऐसे जीव मिले हैं. जिनकी मौजूदगी से वन विभाग (Korba Forest Department) भी रोमांचित हैं. जिले में दनिया का सबसे जहरीला सांप किंग कोबरा, तेंदुआ या फिर दुर्लभ ऊदबिलाव सब मौजूद है. जानकार इसे समृद्ध वन और उपयुक्त वातावरण का परिणाम बता रहे हैं.
वर्ल्ड फारेस्ट डे पर कोरबा की जैव विविधिता कोरबा जिले का कुल क्षेत्रफल 7 लाख 14 हजार 544 हेक्टेयर है. जिसमें से 2 लाख 83 हजार 497 हेक्टेयर वन भूमि है. जो कुल संभाग का 40 फीसदी हिस्सा है. कोरबा जिले को भले ही बिजली उत्पादन व कोयले की उपलब्धता के कारण देश और दुनिया में पहचाना जाता है. लेकिन अब ये अपने समृद्ध वनों के लिए भी ख्याति प्राप्त कर रहा है. कोरबा की जैव विविधता (biodiversity of Korba) अब जानकारों में चर्चा का विषय है.
20 कोबरा के प्रमाण
अब से लगभग 2 साल पहले पहली बार किंग कोबरा के प्रमाण मिले. तब से अब तक इस इलाके में वन विभाग की रेस्क्यू टीम में चार से पांच किंग कोबरा का रेस्क्यू किया है. एक किंग कोबरा की लंबाई तो लगभग 15 फीट थी. किंग कोबरा दुनिया के सबसे जहरीले सांप होते हैं. जो छत्तीसगढ़ में कोरबा जिले में पाए जाते हैं. जानकारी के अभाव में स्थानीय ग्रामीण अचानक इसे अपने सामने देखकर मारने का प्रयास भी करते हैं. एक दो मामलों में ऐसा हुआ भी है. अब वन विभाग इनके संरक्षण की योजना बना रहा है. जल्दी ही एक ठोस कार्य के साथ इनके संरक्षण की कवायद शुरू होगी, सर्वे का काम पूरा किया जा चुका है.
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दो बार मिला दुर्लभ ऊदबिलाव
यूरेशियन ऑटर जिसे हिंदी में ऊदबिलाव कहा जाता है. यह हाल फिलहाल में दो बार वन विभाग को कोरबा में मिला है हाल ही में लगभग 1 सप्ताह पहले ही एक दुर्लभ ऊदबिलाव एनटीपीसी के सिल्वर जुबली पार्क (Rare beaver at NTPC Silver Jubilee Park korba) के समीप मिला. पिछली बार इस तरह का जीव केरला में पाया गया था. जिसके बाद यह दो बार कोरबा में मिल चुका है. जानकार कहते हैं कि उदबिलाव ठंडे प्रदेश में रहना पसंद करते हैं, संभवत: कोरबा का वातावरण इन्हें पसंद आ रहा है. जिससे कि इनकी उपस्थिति यहां बनी हुई है. इनकी और भी तादाद कोरबा में मौजूद होने की बात जानकार कहते हैं.
हाथियों ने बनाया स्थायी रहवासबीते कुछ सालों से कटघोरा और कोरबा वन मंडल के वन हाथियों को अपनी ओर लुभा रहे हैं. जबकि एक दशक पहले तक ऐसा नहीं था, हाथी यहां आकर कुछ दिन रहने के बाद वापस लौट जाते थे. इसी दरमियान हाथी मानव द्वंद भी जारी है. इससे निजात पाने के लिए वन सरकार, छत्तीसगढ़ का पहला हाथी रिजर्व (Chhattisgarh first elephant reserve) लेमरू हाथी रिज़र्व के नाम पर कोरबा में बनाने जा रही है. उम्मीद है कि इसी साल लेमरू हाथी रिजर्व का गठन होगा. अधिकारियों की मानें तो कोरबा जिले में हाथियों की संख्या 100 से भी अधिक है.जिले का कुरमुरा रेंज और कटघोरा वन मंडल का पसान हाथियों के लिए अब स्थायी रहवास बन चुका है.
6 हजार 412 पशु पक्षियों की मौजूदगी लगभग साल भर पहले हुए एक सर्वे के अनुसार कोरबा जिले में पशु पक्षियों की संख्या 6 हजार 412 है. जो कि 5 वर्ष पहले तक 5 हजार 299 थी. कोरबा में पशु पक्षियों की संख्या बढ़ी है.इन पशु पक्षियों में राष्ट्रीय पक्षी मोर, चीतल, जंगली सूअर, भेड़िया, माउस डियर, ऊदबिलाव, बड़ी गिलहरी, तेंदुआ व भालू जैसे जानवर शामिल हैं. जो कटघोरा के वन मंडलों में मौजूद हैं.अलग-अलग प्रजातियों के सांप और भालुओं की संख्या के लिए कोरबा और भी समृद्ध है. भालू की तादात तो इतनी अधिक है कि बालको रेंज के रिहायशी इलाकों तक भी कभी-कभी भालू प्रवेश कर जाते हैं. हालांकि इससे कई बार डर का माहौल भी बन जाता है.