कोरबा: विरासत में मिले जिस प्राचीन डांस फॉर्म को भारत में बोरिंग कहा जाने लगा है. उस मुद्राओं से भरे नृत्य को विदेशों में खासा पसंद किया जा रहा है. 29 अप्रैल को विश्व भर में अंतरराष्ट्रीय नृत्य दिवस मनाया जाता है. इस खास अवसर पर ETV भारत आपको प्राचीन भारतीय नृत्य विधा की खूबसूरत नृत्यांगनाओं और उनके गुरु से मिलवा रहे हैं. जिन्होंने मॉर्डनाइजेशन के इस दौर में विरासत में मिली भारतीय परंपरा को ना सिर्फ संजोकर रखा बल्कि लगातार इसकी साधना कर अपनी कला को तराश रहे हैं. (International Dance Day 2022 )
विदेशों से आया बुलावा लेकिन अपने मिट्टी की सेवा में अलग आनंद :इंदिरा कलासंगीत विश्वविद्यालय से तबला वादन व रायगढ़ और बनारस घराने से संबंध रखने वाले मोरध्वज वैष्णव (famous tablaist Mordhwaj Vaishnav ) फिलहाल बालको में रहकर अपनी कला का विस्तार कर रहे हैं. मोरध्वज कहते हैं कि ' मैं नियमित अंतराल पर विदेशों का दौरा करता रहता हूं. प्रस्तुति देने के लिए अक्सर आमंत्रण मिलते हैं. कई बार तो मुझे ऑफर मिला कि आप यही बस जाइए और हमें भारतीय संगीत और डांस सिखाइए, लेकिन मुझे अपने मिट्टी की सेवा करनी है. यहां के बच्चों को तैयार करना है. वर्तमान में भी मेरे पास 100 से अधिक स्टूडेंट्स हैं. मुझे कथक और तबला सिखाते हुए 20 साल हो चुके हैं. मेरे 140 से अधिक छात्रों ने राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान पाई है. इनाम जीते हैं'.
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मोरध्वज वैष्णव बताते हैं कि 'वर्तमान परिवेश में जो परिस्थितियां है उसके अनुसार भारतीय, पुरानी क्लासिकल विधाओं को भूल रहे हैं. हम पाश्चात्य की तरफ बढ़ रहे हैं. जबकि इसके विपरीत पश्चिम के लोग भारतीय विधाओं से जुड़ रहे हैं. वहां भारतीय क्लासिकल नृत्य को काफी पसंद किया जाता है. विदेशी भारतीय नृत्य को प्रस्तुति को काफी ध्यान से देखते और सुनते हैं. धैर्य, एकाग्रत के साथ संगीत व नृत्य का आनंद लेते हैं. लेकिन हमारी देश में कहीं- ना कहीं इसे ऑउट डेटेड कहा जाने लगा है. हालांकि इनकी संख्या काफी कम है. यहां भी कई लोग है जो अपने भावी पीढ़ी को क्लासिकल नृत्य और संगीत के बारे में सिखाना चाहते हैं.
भारतीय नृत्य हमें हमारी जड़ों से जोड़ते हैं :संगीत विश्वविद्यालय से विशारद और बीए में गोल्ड मेडल हासिल करने वाली प्रीति चंद्रा भी मोरध्वज की शिष्या हैं. प्रीति कहती हैं कि 'वेस्टर्न डांस सीखना मुश्किल नहीं है. आप 10 दिन में भी वीडियो देखकर डांस सीख सकते हैं. लेकिन क्लासिकल डांस सीखने के लिए धैर्य की जरूरत है. यह आसान नहीं है. काफी मेहनत की जरूरत होती है. ज्यादातर लोग वेस्टर्न डांस करना पसंद करते हैं, लेकिन कथक करना सबके बस की बात नहीं है. यह डांस फॉर्म हमें हमारे संस्कारों से जोड़ती है.आप कोई भी शास्त्रीय डांस उठाकर देख लीजिए, कथक में भी सबसे पहले हम शुरू करते हैं तो भूमि प्रणाम से इसकी शुरुआत होती है. नृत्य के जरिए हम प्रकृति से जुड़े हुए हैं'.